Nationalist Bharat
विविध

सौ डॉलर वाले सेठ

संजय सिन्हा
मेरे पास सौ डॉलर का एक नोट है। मेरी पिछली अमेरिका यात्रा में वो नोट बच गया था। कई लोगों ने कहा था कि नोट को इंडियन रुपए में बदलवा लो, पर मैंने उसे बचा कर रख लिया था। अब सोचता हूं कि उसे मैं रुपए में बदलवा लेता को मुझे क्या मिलता? अधिक से अधिक पांच हज़ार रुपए मिलते। पर मैंने उसे बचा लिया था क्योंकि मुझे पक्का यकीन था कि यही सौ का डॉलर मुझे एक दिन अमीर बना देगा। मैंने मन में सोच लिया था कि इसे रुपए में बदलवाऊंगा, लेकिन तब जब कम से कम मेरे एक नोट के बदले मुझे दस हज़ार रुपए मिलेंगे।
जिस तेजी से अमेरिकी डॉलर की कीमत बढ़ रही है, मुझे तो परम यकीन है कि मेरा सपना दुगुना होकर पूरा होगा। मतलब दस के बीस हज़ार भी हो जाए तो कम है। पर मैं दस पर मान जाऊंगा, क्योंकि मेरे लिए दस हज़ार भी कम नहीं है।
ये होती है बुद्धिमानी। मैं जानता हूं कि मेरे डॉलर बचा कर अमीर हो जाने की कल्पना मात्र से मेरे दुश्मन जल उठेंगे और कहेंगे कि संजय सिन्हा ने डॉलर बचा बहुत बड़ा गुनाह किया है। पर जलने वालों की मैं परवाह नहीं करता। मेरे पास सौ डॉलर है और अब वो पहले दस हज़ार रुपए का नोट बनेगा, फिर बीस हज़ार का।
मैं देखते-देखते अमीर हो जाऊंगा। अब मुझे अमीर होने से कोई नहीं रोक सकता है। ये मेरी दूर दृष्टि और मेरी समझदारी का फल है कि सौ डॉलर से मैं जल्दी दस हज़ारपति बनने जा रहा हूं।
मैंने पूरी लिस्ट बना ली है कि जिस दिन मेरा सौ डॉलर दस हज़ार रुपए बनेगा, उस दिन मैं उन पैसों का क्या-क्या करूंगा। दस हज़ार कम नहीं होते। बहुत होते हैं। मैं उसकी एफडी करा सकता हूं। अगर मैं उसकी फिक्स्ड डिपाजिट में डालूंगा तो हर महीने मुझे साढ़े पांच फीसदी की दर से करीब पैंतालीस रुपए बतौर ब्याज मिलेंगे।

 

पैंतालीस रुपए?मैं पैंतालीस रुपए में क्या-क्या कर सकता हूं? अब मेरी चिंता यही है कि वो सौ डॉलर का नोट मुझे भारत में हर महीने पैंतालीस रुपए देगा। इन दिनों जबलपुर में सेब करीब दो सौ रुपए किलो है। मतलब एक सेब तो मैं हर महीने ब्याज के पैसे से खा सकता हूं। मुझे नहीं पता कि सेब पर सरकार ने जीएसटी की व्यवस्था की है या नहीं, पर दूध दही पर लागू हो गया है। मैंने दूध पीना बंद ही कर दिया है। और दही? दही भी कोई खाने की चीज़ है? वैसे आपको बता दूं कि पैंतालीस रुपए में मैं आधा किलो दूध भी खरीद कर ला सकता हूं और महीने में एक दिन मैं दूध पी ही सकता हूं। अगर दही की बात की जाए तो बरसात में दही नहीं खाना चाहिए। तो कुछ और सोचा जाए। अगर छोटा ब्रेड लाऊं तो वो भी इतने पैसों में आ ही जाएगा। वो करीब चार दिन चल सकता है।
मेरी समस्या ये है कि मैं इतने पैसे संभालूंगा कैसे? मैं सोचता हूं कि मैं कोई चार्टर्ड एकाउंटेंट हायर कर लूं। वही मेरी समस्या का समाधान कर सकता है।
आप लोगों से गुजारिश है कि आप ये बात किसी को बताइएगा नहीं कि संजय सिन्हा के पास सौ डॉलर का एक नोट पड़ा है। आजकल जबलपुर में चोर उच्चकों का बोल-बाला बढ़ गया है। कल ही किसी चोर ने एक कर्नल के घर धावा बोल दिया। कर्नल साहब देश की रक्षा में श्रीनगर में तैनात हैं। उनकी पत्नी और बिटिया जबलपुर में। दो दिनों के लिए कर्नल साहब की पत्नी अपनी बिटिया को किसी कॉलेज में दाखिला दिलाने के लिए मुंबई गई थीं और पीछे से चोर सारी कमाई ले उड़े। सरहद पर तैनात कर्नल साहब ने जितना कुछ अपने बुढ़ापे के लिए बचाया था, सब गायब। बहुत मुश्किल से पुलिस-फुलिस का खेल हुआ, पर चोर कहां पकड़े जाते हैं?

 

जब से कर्नल साहब के घर हुई चोरी की खबर मुझे मिली है, मैं थोड़ा परेशान हूं। सोचता हूं कि अपना वौ सौ डॉलर मैं लॉकर में रखवा दूं। चोरों की नज़र जो डॉलर पर पड़ गई तो मुश्किल होगी। मैं खुश हूं कि डॉलर की कीमत रोज़ बढ़ रही है। ये सरकार की दूरदर्शिता है जो डॉलर महंगा हो रहा है। जिनके बच्चे विदेश से अपने बूढ़े माता-पिता के खर्च के लिए कुछ डॉलर पहले से भेजते रहे हैं, सोचिए वो मां-बाप कितने भाग्यशाली निकले। दिन-रात उनकी अमीरी बढ़ रही है। धीरे-धीरे भारत रहने वाले वो बूढ़े मां-बाप अति अमीर हो जाएंगे, जिनके बच्चे अमेरिका चले गए हैं।
बहरहाल मैं बहुत खुश हूं। मेरे पास सौ डॉलर का एक नोट है। मैं चाहता हूं कि मेरी खुशी में आप लोग भी शामिल हों। आप में कुछ लोग मुझे ये सलाह भी दे सकते हैं कि उस सौ डॉलर के नोट को मैं और कहां निवेश करूं कि…आज सिर्फ डॉलर पुराण ही चलेगा। आपकी सलाह का सदैव स्वागत है।

 

हां, एक चिंता है किसी बहन ने पूछा है कि संजय भैया, अगर जो घर में दूध फट जाए और वो उसका पनीर बना लें तो क्या उन्हें उस पर भी जीएसटी जमा कराने की ज़रूरत पड़ेगी? अब कोई उन्हें समझाए कि ऐसी बातें सार्वजनिक रूप से नहीं पूछनी चाहिए। पता नहीं कब सरकार घर-घर जीएसटी इंस्पेक्टर बिठा दे कि किसके घर दूध फटा?छोड़िए। आप दूध-दही की चिंता छोड़िए। आप तो मेरे सौ डॉलर के नोट की चिंता कीजिए। मुझे जल्दी बताइए कि मैं क्या करूं?मेरा नाम संजय सिन्हा है। मेरी पत्नी का नाम दीपशिखा सेठ है। अब मैं मन ही मन सोच रहा हूं कि मैं अपने नाम के आगे सेठ लगा लूं। सेठ संजय सिन्हा। आखिर मेरे पास सौ डॉलर का एक नोट है तो मैं सेठ हुआ न?

Delhi Vidhansabha Election:आम आदमी पार्टी ने जारी की अंतिम सूची, केजरीवाल समेत 38 उम्मीदवार मैदान में

Nationalist Bharat Bureau

बिहार सरस मेला 12 दिसंबर से,तैयारियां अंतिम चरण में,अभिलाषा शर्मा ने लिया तैयारियों का जायज़ा

Nationalist Bharat Bureau

ज़ी न्यूज़ और शुभाष चंद्रा के ख़िलाफ़ किसने रची साज़िश

नमिता थापर की सफलता की कहानी: एमक्योर फार्मास्युटिकल्स के पीछे महत्वाकांक्षी एंटरप्रेन्योर

Nationalist Bharat Bureau

इंदौर में पीएम मोदी के काफले से पहले एम्बुलेन्स को सूझबुछ के साथ दिया रास्ता

cradmin

बिहार सरस मेला का आगाज

Nationalist Bharat Bureau

शारदा सिन्हा के निधन पर पैतृक गांव हुलास में माहौल गमगीन

एलएनएम संस्थान में योग शिविर आयोजित

सरस मेला में स्वयं सहायता समूह से जुडी महिला उद्यमी सदियों पुरानी लोक कला एवं हस्तशिल्प को पुनर्जीवित कर रही हैं

Nationalist Bharat Bureau

भारत में 5G मोबाइल फोन जो इस समय ट्रेंडिंग में है

Nationalist Bharat Bureau

Leave a Comment