पटना:कल से शुरू होने वाली जनता दल यूनाइटेड के कार्यकारिणी की बैठक से पहले बिहार के सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा तेज हो गई है कि बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार पार्टी अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी अपने बहुत ही खास व्यक्ति को सौंप सकते हैं। मीडिया में गुपचुप तरीके से एक खबर लगातार रिस-रिस कर सामने आ रही है कि नीतीश ने अपना उत्तराधिकारी चुन लिया है और उनका उत्तराधिकारी न उनकी पार्टी का कोई बड़ा नेता होगा, न उनके परिवार का कोई सदस्य।उनके उत्तराधिकारी के रूप में जिस व्यक्ति का नाम चल रहा है, वे हैं पूर्व आईएएस मनीष कुमार वर्मा।ये वही मनीष वर्मा हैं जिनके लिए दो वर्ष पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए एक अतिरिक्त परामर्शी पद का सृजन किया गया था। इस पद पर पूर्व IAS मनीष कुमार वर्मा को नियुक्त किया गया। इससे पहले सेवानिवृत आईएएस मनीष कुमार वर्मा को बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण का सदस्य बनाया गया था।
ओडिशा कैडर के 2000 बैच के आईएएस मनीष कुमार वर्मा नीतीश कुमार के काफी करीबी हैं. वे उनके जिले नालंदा और उनकी ही जाति कुर्मी से ताल्लुक रखते हैं. फिलहाल वे मुख्यमंत्री के अतिरिक्त परामर्शी और बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकार के सदस्य हैं. मनीष कुमार बिहार में प्रतिनियुक्ति पर आए थे. यहां पूर्णिया और पटना के डीएम रहे और जब उन्हें वापस ओडिशा भेजा जाने लगा तो उन्होंने वीआरएस ले लिया. पटना का डीएम रहते हुए मनीष के साथ एक विवाद भी जुड़ा. दरअसल 2014 में गांधी मैदान में रावण दहन के दौरान 42 लोगों की मौत हो गई थी। इसके बावजूद नीतीश कुमार ने उनके खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई नहीं की।
बताया जाता है कि नीतीश लंबे अरसे से अपने उत्तराधिकारी की तलाश में हैं. जानकार बताते हैं कि इसके लिए उन्होंने पहले आरसीपी सिंह को चुना था जो मनीष की तरह ही उनके स्वजातीय थे और प्रशासनिक अधिकारी भी थे. मगर वे भरोसेमंद साबित नहीं हुए. फिर उन्होंने चुनावी रणनीतिकार और फिलहाल जनसुराज अभियान चलाने वाले प्रशांत किशोर पर भी दांव खेला. उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा देकर बिहार विकास समिति का उपाध्यक्ष बनाया. मगर कहा जाता है कि प्रशांत किशोर ने बाद के दिनों में नीतीश की बातों पर ध्यान देना बंद कर दिया.
जानकार बताते हैं कि नीतीश चाहते थे प्रशांत किशोर झारखंड में जदयू का इलेक्शन कैंपेन संभाल लें. मगर प्रशांत किशोर की उन दिनों प्राथमिकता आंध्र प्रदेश का कैंपेन था. उन्होंने इस बात को टाल दिया. इस बात से नीतीश दुखी हो गए. प्रशांत किशोर जब छात्र जदयू के लिए प्रशिक्षण अभियान चलाते थे, तो अक्सर कहा करते थे कि मैं तो वह इंसान हूं तो पीएम और सीएम बनाया करता हूं. उनके इस बड़बोलेपन से भी नीतीश उनसे नाराज थे. इसलिए जब आरसीपी सिंह, ललन सिंह और नीरज कुमार जैसे जदयू के नेताओं ने प्रशांत किशोर के खिलाफ अभियान चलाया तो उन्होंने कोई दखल नहीं दिया और प्रशांत किशोर को जदयू छोड़कर जाने दिया.
हालांकि अभी भी पार्टी में संजय कुमार झा और अशोक कुमार चौधरी जैसे नेता हैं जो नीतीश के काफी करीबी हैं. मगर नीतीश इन दोनों पर एक हद तक ही भरोसा करते हैं. इसी वजह से नीतीश के उत्तराधिकारी के लिए मनीष कुमार वर्मा का पलड़ा थोड़ा भारी दिखता है।

