बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में नौकरियों को लेकर सियासत गरमा गई है। तेजस्वी यादव के ‘तेजस्वी प्रण’ के तहत लाखों नौकरियों की घोषणा के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2005 से पहले बिहार में अशिक्षा, बेरोजगारी और पलायन राज्य की नियति बन गई थी, लेकिन एनडीए सरकार ने पिछले दो दशकों में हालात पूरी तरह बदले हैं। नीतीश ने लिखा कि तब युवाओं को राज्य से बाहर जाकर पढ़ाई और रोजगार के लिए अपमान झेलना पड़ता था, जबकि अब बिहार में ही इंजीनियरिंग, पॉलिटेक्निक और तकनीकी शिक्षा के नए संस्थान खुल चुके हैं।
मुख्यमंत्री ने बताया कि 2005 से 2020 के बीच 8 लाख से अधिक युवाओं को सरकारी नौकरी दी गई, जबकि 40 लाख लोगों को रोजगार मिला है। सात निश्चय-2 के तहत सरकार ने 10 लाख सरकारी नौकरियां और 10 लाख रोजगार देने का वादा किया था, जिसमें से अधिकतर लक्ष्य पूरे किए जा चुके हैं। नीतीश कुमार ने कहा कि सरकार का लक्ष्य अब अगले 5 वर्षों में 1 करोड़ युवाओं को नौकरी और रोजगार देना है। इसके लिए नए पद सृजित किए जा रहे हैं और कर्पूरी ठाकुर कौशल विश्वविद्यालय के माध्यम से युवाओं को आधुनिक प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
उन्होंने यह भी कहा कि ‘बिहार औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन पैकेज-2025’ से राज्य में औद्योगीकरण को नई गति मिली है। साथ ही ‘बिहार डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर’ की स्थापना की जाएगी, जिससे रक्षा उपकरणों और हथियारों का निर्माण बिहार में ही हो सके। नीतीश ने कहा कि डबल इंजन सरकार की ताकत से राज्य में उद्योगों का विस्तार होगा और अब बिहार के युवाओं को रोजगार के लिए बाहर नहीं जाना पड़ेगा।

