Bihar Election 2025: बिहार की सियासत में इस बार RJD का नया ‘माय-बाप’ (MY-BAAP) फार्मूला चर्चा में है। तेजस्वी यादव ने अपने पारंपरिक मुस्लिम-यादव (MY) समीकरण को विस्तार देते हुए अब बहुजन, आदिवासी और अति पिछड़े वर्गों को साथ लाने की रणनीति बनाई है। विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के मुखिया मुकेश सहनी को I.N.D.I.A. गठबंधन की ओर से डिप्टी सीएम उम्मीदवार बनाकर RJD ने स्पष्ट संदेश दिया है कि पार्टी सिर्फ यादव-मुस्लिम तक सीमित नहीं, बल्कि अब ‘माय-बाप’ यानी Muslim, Yadav + Bahujan, Adivasi, Ati Pichhra का बड़ा गठबंधन बना रही है।
राजद की यह रणनीति सीधे तौर पर 2022 के जाति सर्वे डेटा से जुड़ी मानी जा रही है। सर्वे के मुताबिक, बिहार की आबादी में लगभग 63% OBC और EBC समुदाय आते हैं, जिनमें 36% अत्यंत पिछड़े वर्ग हैं। तेजस्वी यादव ने इन्हीं वर्गों में पैठ बनाने के लिए मुकेश सहनी जैसे निषाद समुदाय के नेता को आगे किया है, जो NDA के परंपरागत वोट बैंक को कमजोर कर सकते हैं। इसके साथ ही, RJD ने इस बार भूमिहार और सवर्ण समुदाय के चेहरों को भी टिकट देकर ए टू जेड (A to Z) समीकरण को मजबूत करने का प्रयास किया है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि तेजस्वी यादव का यह नया सामाजिक फार्मूला NDA के लिए सिरदर्द बन सकता है। जहां NDA अपने सवर्ण, कुर्मी-कुशवाहा और पासवान वोट बैंक को संभालने में जुटा है, वहीं RJD का “माय-बाप” गठबंधन सामाजिक न्याय की नई परिभाषा लिखने की कोशिश कर रहा है। अब सवाल यह है कि क्या यह ए टू जेड समीकरण बिहार की सत्ता की चाबी तेजस्वी के हाथों में सौंप देगा?

