मुजफ्फरपुर: बिहार की राजनीति में एक बार फिर सियासी तापमान बढ़ गया है। बीजेपी के बागी विधायक रामसूरत राय ने पार्टी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय पर तीखा हमला बोलते हुए खुली चुनौती दी है। उन्होंने कहा, “वो चाहे जितनी ताकत लगा लें, मैं पीछे हटने वाला नहीं हूं। समय आने पर जनता उन्हें सबक सिखाएगी और मैं भी अपनी भूमिका निभाऊंगा।” राय के इस बयान ने बिहार बीजेपी की आंतरिक राजनीति में भूचाल ला दिया है।
शनिवार को मुजफ्फरपुर में आयोजित एक जनसभा के दौरान रामसूरत राय ने मंच से नित्यानंद राय पर निशाना साधते हुए कहा कि पार्टी में कुछ नेता “पद का दुरुपयोग” कर संगठन और कार्यकर्ताओं को कमजोर कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि जमीनी कार्यकर्ताओं की अनदेखी की जा रही है और पार्टी का संचालन अब कुछ चुनिंदा लोगों तक सीमित रह गया है। राय ने कहा कि “जो लोग सत्ता के नशे में हैं, उन्हें यह याद रखना चाहिए कि जनता ही सबसे बड़ी ताकत है। चुनाव में जनता सबका हिसाब बराबर करेगी।”
राजनीतिक हलकों में इस बयान के कई मायने निकाले जा रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले यह बयान बीजेपी के लिए बड़ा सिरदर्द साबित हो सकता है। पार्टी पहले से ही कुछ सीटों पर टिकट वितरण और नेतृत्व को लेकर असंतोष का सामना कर रही है। रामसूरत राय जैसे वरिष्ठ विधायक का खुलकर विरोध जताना यह संकेत देता है कि बीजेपी के भीतर असंतोष गहराता जा रहा है।
जानकारों के अनुसार, यह विवाद केवल व्यक्तिगत टकराव नहीं बल्कि पार्टी के अंदरूनी समीकरणों का प्रतिबिंब है। बिहार में एनडीए सरकार के सामने पहले से ही विपक्षी गठबंधन की चुनौती है, ऐसे में अंदरूनी मतभेद चुनावी रणनीति को प्रभावित कर सकते हैं। पार्टी हाईकमान की नज़र अब इस बात पर टिकी है कि बागी सुर को शांत करने के लिए क्या कदम उठाए जाएंगे।
राजनीतिक पर्यवेक्षक मानते हैं कि इस घटनाक्रम से बिहार बीजेपी में नेतृत्व और संगठन के बीच संतुलन की परीक्षा शुरू हो चुकी है। आने वाले दिनों में इस बयान के राजनीतिक असर दूरगामी हो सकते हैं, खासकर तब जब चुनावी माहौल हर दिन गरमाता जा रहा है।

