लोग इस बात पर भी नाराज़ दिखे की प्रधानमंत्री ने वेतनभोगियों के प्रति अपनी चिंता का इज़हार तो किया और नियोक्ताओं से सैलरी ना काटने की अपील की लेकिन दिहाड़ी मजदूर और उन गरीबों का ज़िक्र तक नहीं किया जो अगर घर से ना निकलें तो उनके घर का चूल्हा तक नहीं जलेगा।
नई दिल्ली:गुरुवार 19 मार्च की रात 8:00 बजे जैसे ही भारत के प्रधानमंत्री मोदी ने देश के नाम अपने संबोधन में करोना वायरस से लड़ने के लिए लोगों से आगामी 22 मार्च को जनता कर्फ्यू की बात की और आधे घंटे के अपने भाषण में ज़्यादातर ज़िम्मेदारी जनता के सिर मढ़ने की कोशिश की उससे सोशल मीडिया पर एक उबाल सा आगया।एक तरफ जहां ज़्यादातर लोगों ने प्रधानमंत्री मोदी के इस प्रयास के लिए उनकी पीठ थपथपाई और साधुवाद दिया वहीं कुछ लोगों ने तंज़ भी किया।राजनीतिक दलों ने भी अपने अपने हिसाब से इसपर प्रतिक्रिया दी।इससे इतर सोशल मीडिया पर कई ऐसी टिप्पणियां आयी जिसमे कटाक्ष के भाव थे।यानी अपनी टिप्पणियों के द्वारा लोग भारत में करोना से निपटने की तैयारियों से नाख़ुश दिखे।ऐसी ही एक टिप्पणी में कहा गया कि आज जबकि करोना से लड़ने के लिए वैश्विक सतह पर जोरशोर से तैयारी की जा रही है,लोगों को मास्क,सेनिटाइजर और चिकित्सा मुफ्त मुहैया कराई जा रही है वहीं भारत में लोगों को आधे घण्टे का भाषण सुनाया जा रहा है।लोग इस बात पर भी नाराज़ दिखे की प्रधानमंत्री ने वेतनभोगियों के प्रति अपनी चिंता का इज़हार तो किया और नियोक्ताओं से सैलरी ना काटने की अपील की लेकिन दिहाड़ी मजदूर और उन गरीबों का ज़िक्र तक नहीं किया जो अगर घर से ना निकलें तो उनके घर का चूल्हा तक नहीं जलेगा।
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उल्लेखनीय है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, देश में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 173 हो गई है। इनमें 25 विदेशी नागरिक, 17 इटली के, तीन फिलीपीन के, दो ब्रिटेन और कनाडा, इंडोनेशिया तथा सिंगापुर का एक-एक नागरिक हैं। दिल्ली में अभी तक एक विदेशी नागरिक सहित कुल 12 मामलों की पुष्टि हुई है। वहीं, पंजाब, दिल्ली, महाराष्ट्र और कर्नाटक में एक-एक व्यक्ति की मौत हुई है।