कहा:जो प्रवासी बिना सरकार की मदद से अपने दम पर बिना बिहार आने में सक्षम थे उन प्रवासियों से भी बदसलूकी की गयी, सोशल डिस्टन्सिंग का ख़्याल ना रख मारपीट कर कचरे वाले ट्रकों में ढोया गया। मैं एक बार फिर माननीय मुख्यमंत्री जी से अनुरोध करता हूं कि चिकित्सा क्षमता में वृद्धि, अधिक लोगों का परीक्षण और 14 अप्रैल तक के लॉकडाउन समय में संक्रमण की दर को धीमा करने और रोकथाम उपायों में तेजी लाएं।
पटना:करोना की महामारी के दौर में राजनीतिक टिकटिप्पणी का दौर भी जारी है।इसी सिलसिले में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आमजनों को संबोधित करने पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने धन्यवाद तो दिया साथ कि कई एक सवाल भी किये।तेजस्वी ने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा कि मैं आदरणीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी को धन्यवाद देता हूँ कि आपने अंततः 18वें दिन बिहार को संबोधित किया जबकि इसी अवधि में अन्य राज्यों के मुख्यमंत्री अपने-अपने राज्यवासियों को कोरोना को लेकर कई बार संबोधित कर चुके है।
बिहारवासी उत्सुकता से कोरोना के बचाव, उपचार, सावधानी व जागरूकता संबंधित एवं सरकार द्वारा सामाजिक, प्रशासनिक और आर्थिक स्तर पर भी की गयी तैयारियों को सुनने को बेताब थे। लेकिन माननीय मुख्यमंत्री जी के संबोधन उपरांत बिहारवासी निराशा के भाव में थे क्योंकि अब भी अधिकांश शंकाएँ अस्पष्ट थी। आपने इस महामारी की तुलना बाढ़ और सूखे से की थी, जो कि तथ्य नहीं है। कोरोना वायरस बाढ़ और सूखे के विपरीत एक वैश्विक स्वास्थ्य महामारी है इसलिए इससे निपटने के लिए अधिक गंभीर दृष्टिकोण और पहल की आवश्यकता है।
मुख्यमंत्री जी ने परीक्षण किट, पीपीई, मास्क, वेंटिलेटर, आईसीयू बेड, दस्ताने, सैनिटाइज़र की स्टॉकपाइल व खरीद पर भी अद्यतन जानकारी प्रदान नहीं की। इस जानकारी की माँग पहले ही दिन से हम सभी, मीडियाकर्मी, डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी कर रहे थे। बिहार में कोरोना का जाँच-परीक्षण देश में सबसे कम हैं। शारीरिक और सामाजिक दूरी के अलावा कोरोना परीक्षण ही अकेले इसके प्रसार को रोकने के लिए पहला कदम है।मुख्यमंत्री जी ने कहा कि सरकार द्वारा 40 टीमों के साथ सेटअप किए गए कंट्रोल रूम द्वारा तीन-चार दिन में 3000 कॉल प्राप्त किए गए थे। यह मुट्ठीभर आँकड़ा ही देशभर में फँसे बिहारवासियों के लिए मदद के लिए उठाए कदमों पर सरकार की गंभीरता और मंशा पर सवाल उठा रहा है।हमारे कार्यालय ने ही पिछले 5 दिनों में 4000 से अधिक फ़ोन कॉल्स को अटेंड किया और पूरे देश में फंसे हजारों बिहारीवासियों के लिए भोजन और राशन की व्यवस्था की। हम संबंधित राज्य सरकारों, वोलिंटर्यस और व्यक्तिगत संपर्कों के साथ समन्वय करके हज़ारों प्रवासियों की मदद कर रहे हैं जबकि मुख्य रूप से यह कार्य बिहार सरकार को करना चाहिए था।
जो प्रवासी बिना सरकार की मदद से अपने दम पर बिना बिहार आने में सक्षम थे उन प्रवासियों से भी बदसलूकी की गयी, सोशल डिस्टन्सिंग का ख़्याल ना रख मारपीट कर कचरे वाले ट्रकों में ढोया गया। मैं एक बार फिर माननीय मुख्यमंत्री जी से अनुरोध करता हूं कि चिकित्सा क्षमता में वृद्धि, अधिक लोगों का परीक्षण और 14 अप्रैल तक के लॉकडाउन समय में संक्रमण की दर को धीमा करने और रोकथाम उपायों में तेजी लाएं।
याद रखें, यह एक मैराथन है और इसलिए एक व्यापक और अग्रगामी कार्य योजना की आवश्यकता है। हम एक जिम्मेदार विपक्ष के रूप में कभी भी किसी भी तरह की मदद की पेशकश करने के लिए तैयार हैं। एकजुट, सतर्क और जागरूक बिहार कोरोना को हरा देगा।