लॉक डाउन के दौरान घर मे कैद एक भारतीय नारी रीना श्रीवास्तव के अनुसार मीडिया केवल झूठ और बकवास का पुलन्दा है।अभिनेता केवल मनोरंजनकर्ता हैं जीवन में वास्तविक नायक नहीं।भारतीय नारी की वजह से ही घर मंदिर बनता है।पैसे की कोई वैल्यू नही है क्योंकि आज दाल रोटी के अलावा क्या खा सकते हैं।सामुहिक परिवार एकल परिवार से अच्छा होता है।
पटना:इन दिनों लगभग पूरा विश्व महामारी करोना की चपेट में है।हर तरफ हाहाकार मचा है।कहीं लॉक डाउन तो कहीं कर्फ्यू।24 घण्टे गुलज़ार रहने वाले मॉल, बाजार,रेस्टुरेंट, पब,सिनेमाघर आज सुने पड़े हैं।लोग जहां तक मुमकिन हो रहा है अपने आप को तन्हाई में रहना पसंद कर रहे हैं।ये उनकी मजबूरी भी है।ज़ाहिर है भारत भी इससे अछूता नहीं है।यहाँ भी पिछले 25 मार्च से लॉक डाउन है।लोग अपने अपने घरों में रहने को मजबूर हैं।सड़कों,बाज़ारों,मॉल और पार्कों में सन्नाटा छाया है।सभी अपने अपने घरों में रह कर करोना महामारी से लड़ रहे हैं या फिर इस बीमारी को खत्म करने में अपना योगदान दे रहे हैं।लोग इन समय का सदुपयोग करने के लिए पढ़ लिख रहे हैं।कोई इनडोर गेम से अपना दिल बहला रहा है तो कोई अंताक्षरी के माध्यम से।इन सबके बीच लोग घर में बिताए इन दिनों से हासिल सबक़, अनुभव और सीख को सोशल मीडिया के माध्यम से साझा कर रहे हैं।ऐसे ही अनुभव पर आधारित एक पोस्ट बिहार आम आदमी पार्टी से जुड़ी रीना श्रीवास्तव ने अपने फेसबुक पर किया है जिसमे उन्होंने लॉक डाउन के अपने खट्टे मीठे अनुभव को समाज के बीच ललाने की कोशिश की है।
रीना श्रीवास्तव के अनुसार आज अमेरिका अग्रणी देश नहीं है।चीन कभी विश्व कल्याण की नही सोच सकता।यूरोपीय उतने शिक्षित नहीं जितना उन्हें समझा जाता था।हम अपनी छुट्टियॉ बिना यूरोप या अमेरिका गये भी आनन्द के साथ बिता सकते हैं।भारतीयों की रोग प्रतिरोधक क्षमता विश्व के लोगों से बहुत ज्यादा है।
रीना श्रीवास्तव के अनुसार आज अमेरिका अग्रणी देश नहीं है।चीन कभी विश्व कल्याण की नही सोच सकता।यूरोपीय उतने शिक्षित नहीं जितना उन्हें समझा जाता था।हम अपनी छुट्टियॉ बिना यूरोप या अमेरिका गये भी आनन्द के साथ बिता सकते हैं।भारतीयों की रोग प्रतिरोधक क्षमता विश्व के लोगों से बहुत ज्यादा है।कोई पादरी, पुजारी, ग्रन्थी,मौलवी या ज्योतिषी एक भी रोगी को नहीं बचा सका।स्वास्थ्य कर्मी,पुलिस कर्मी, प्रशासन कर्मी ही असली हीरो हैं ना कि क्रिकेटर ,फिल्मी सितारे व फुटबाल प्लेयर ।बिना उपभोग के विश्व में सोना चॉदी व तेल का कोई महत्व नहीं।पहली बार पशु व परिन्दों को लगा कि यह संसार उनका भी है।तारे वास्तव में टिमटिमाते हैं यह विश्वास महानगरों के बच्चों को पहली बार हुआ।विश्व के अधिकतर लोग अपना कार्य घर से भी कर सकते हैं।हम और हमारी सन्तान बिना ‘जंक फूड’ के भी जिन्दा रह सकते है।एक साफ सुथरा व सवचछ जीवन जीना कोई कठिन कार्य नहीं है। भोजन पकाना केवल स्त्रियां ही नहीं जानती।मीडिया केवल झूठ और बकवास का पुलन्दा है।अभिनेता केवल मनोरंजनकर्ता हैं जीवन में वास्तविक नायक नहीं।भारतीय नारी की वजह से ही घर मंदिर बनता है।पैसे की कोई वैल्यू नही है क्योंकि आज दाल रोटी के अलावा क्या खा सकते हैं।भारतीय अमीरों मे मानवता कुट-कुट कर भरीं हुईं है एक दो को छोड़कर। विकट समय को सही तरीक़े से भारतीय ही संभाल सकता है। सामुहिक परिवार एकल परिवार से अच्छा होता है।