@Shilpa_Bhartiy ने @narendramodi को टैग करते हुए लिखा कि ये कोई एक्सीडेंट नही, ये एक तरीक़े से खून है सरकार के द्वारा किया गया , सरकार ने लाखों मजदूरों और गरीबो को रास्ते पे मरने के लिए मजबूर कर दिया,तंत्र पूरी तरह से विफल रहा है इनसब के लिए किसी भी तरह के प्रॉपर इंतजाम करने में,ये उसीका नतीजा है कि हजारों मौते ओर दुखद घटनाए घट रही है।
नई दिल्ली/औरंगाबाद:पिछले डेढ़ महीने से जारी लॉक डाउन ने जहां गरीबों के सामने कई तरह के संकट पैदा कर दिए है वहीं अब जानें भी जाने लगी हैं।बड़ी खबर महाराष्ट्र से है ।महाराष्ट्र के औरंगाबाद में शुक्रवार सुबह प्रवासी मजदूरों के ऊपर से मालगाड़ी के गुजरने से 16 लोगों की मौत हो गई। इसके अलावा कई लोग घायल हैं।इस बीच इस दर्दनाक हादसे पर प्रधानमंत्री मोदी ने दुख जताया है और जानकारी दी है कि उन्होंने रेल मंत्री पीयूष गोयल से बात की। हादसे के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया, ‘महाराष्ट्र के औरंगाबाद में ट्रेन हादसे में लोगों की जान जाने से काफी दुखी हूं। मैंने रेल मंत्री श्री पीयूष गोयल से बात की है और वह पूरी घटना पर नजर बनाए हुए हैं। आवश्यक हर संभव सहायता प्रदान की जा रही है।’
वहीं, प्रधानमंत्री मोदी के शोक संवेदना व्यक्त करने और दुख प्रकट करने का जहां एक तरफ सोशल मीडिया पर स्वागत किया गया वहीं दूसरी तरफ सरकार और प्रधानमंत्री मोदी को आईना भी दिखाया गया।प्रधानमंत्री मोदी के ट्विटर अकाउंट से किये गए ट्वीट पर कई लोगो ने सवाल उठाते हुए कई तरह के सवाल उठाए।@Shilpa_Bhartiy ने @narendramodi को टैग करते हुए लिखा कि ये कोई एक्सीडेंट नही, ये एक तरीक़े से खून है सरकार के द्वारा किया गया , सरकार ने लाखों मजदूरों और गरीबो को रास्ते पे मरने के लिए मजबूर कर दिया,तंत्र पूरी तरह से विफल रहा है इनसब के लिए किसी भी तरह के प्रॉपर इंतजाम करने में,ये उसीका नतीजा है कि हजारों मौते ओर दुखद घटनाए घट रही है।
@SurajGwalvansh ने ट्वीट करते हुए सवाल उठाया कि बस दुख ही जता सकती है ये सरकार ये कैसा इन्साफ है ।अमीरो के लिए सब व्यवस्था है और इन गरीबो के लिए कोई व्यवस्था नही ऐसा है । सरकार तो सबके के लिए बनती हैं न । सरकार तो सब मिलकर बनाते है तो फिर एक लोग लिए सब व्यवस्था और एक लोग के लिए कुछ नही ये कहा का ईन्साफ है।@Rajendr89859186 ने कटाक्ष किया कि श्रीमान जी श्रद्धांजलि देने से पहले ये सोचने की जरूरत है कि, मजदूरों को रेल की पटरियों पर सोने के लिए मजबुर किसने किया ? जब कोटा, नांदेड़, हरिद्वार, जैसलेमर के विशेष लोगो के लिए विशेष बसे और विमान चलाएं जा सकते थे तो आम लोगो के लिए क्यो नहीं ? ये मरे नहीं, सरकार ने मारा है ।
गौरतलब है कि लॉकडाउन का जब पहली बार ऐलान हुआ था, उसके बाद से ही लाखों की संख्या में मजदूर जहां पर थे, वहां फंस गए थे. खाने, रोजगार की चिंता में लिप्त मजदूर पैदल ही अपने गांवों की ओर चल दिए थे जो सिलसिला आज भी जारी है।इसके पहले भी रास्ते में हुए कुछ एक्सिडेंट में प्रवासी मजदूर अपनी जान बीते दिनों गंवा चुके हैं।