Nationalist Bharat
राजनीति

स्वयं सहायता समूह की हजारों महिलाओं का विधानसभा मार्च,माले विधायक भी हुए शामिल

छोटे कर्जों की माफी सहित अन्य मांगों परग र्दनीबाग धरनास्थल पर हुई सभा में हजारों महिलाओं की भागीदारी,कहा:पुंजीपतियों को बेल आउट पैकेज देने वाली सरकार महिलाओं का करे कर्जा माफ,जीविका दीदियों को भी सरकार नहीं दे रही न्यूनतम मानदेय

 

Advertisement

पटना:माइक्रो फायनेंस संस्थाओं की मनमानी पर रोक लगाने, महिलाओं का कर्ज माफ करने, ब्याज वसूली पर अविलंब रोक लगाने, कर्ज पर 0 से 4 प्रतिशत की दर से ब्याज लेने, स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को अनिवार्य रूप से रोजगार देकर उत्पादों की खरीद करने, कर्ज के नियमन के लिए राज्य स्तरीय प्राधिकार का गठन करने, जीविका दीदियों को 21,000 रु. देने आदि मांगों पर आज पटना में स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं ने ऐपवा व स्वयं सहायता समूह संघर्ष समिति के संयुक्त बैनर से मार्च किया. मार्च का नेतृत्व ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी, स्वयं सहायता समूह संघर्ष समिति की समन्वयक रीता वर्णवाल, ऐपवा की बिहार राज्य अध्यक्ष सरोज चैबे, राज्य सचिव शशि यादव, अनिता सिन्हा, सोहिला गुप्ता आदि महिला नेताओं ने किया. गर्दनीबाग धरनास्थल पर हुई सभा को माले विधायक महबूब आलम, सुदामा प्रसाद और संदीप सौरभ ने भी संबोधित किया. अपने संबोधन में माले विधायकों ने कहा कि उनकी मांगों को उन्होंने विधानसभा में भी आज मजबूती से रखा है और आगे भी लड़ाई जारी रहेगी. कार्यक्रम की अध्यक्षता रीता वर्णवाल, इंदू सिंह तथा संचालन अनिता सिन्हा ने किया. कार्यक्रम में गया की जीविका दीदी रूबी, जहानाबाद की मंटू देवी, हिलसा रूबी देवी, आरा की पुष्पा देवी, मुजफ्फरपुर की सुलेखा, वैशाली की रिंकी देवी, पटना की लीला देवी, माला कुमारी, अरवल की चंद्रप्रभा देवी, आदि ने संबोधित किया. इस मौके पर जूही महबूबा, आस्मां खान, नसरीन बानो, आफ्शा जबीं आदि भी उपस्थित थीं.

इसके पूर्व गेट पब्लिक लाइब्रेरी से अपने हाथों में तख्तियां लिए और नारे लगाते महिलाओं का जत्था 12 बजे दिन में निकला और मार्च करते हुए गर्दनीबाग धरनास्थल पर पहुंचा. वे अपनी मांगों को तख्तियां पर लिखकर लाई थीं. प्रदर्शनकारी महिलायें अपना ज्ञापन मुख्यमंत्री के नाम लिखकर आई थीं, और उन्हें सौंपना चाहती थीं, लेकिन मुख्यमंत्री से उनका प्रतिनिधिमंडल नहीं मिलाया गया. उन्होंने अपने मांग पत्र के माध्यम से कहा कि बिहार की करोड़ो महिलाओं को स्वयं सहायता समूहों, माइक्रो फायनेंस वित्त कंपनियों और निजी बैंकों द्वारा स्व-रोजगार के जरिए आत्मनिर्भर बनाने के नाम पर कर्ज दिया गया था, लेकिन लाॅकडाउन के दौरान महिलाओं का कारोबार पूरी तरह ठप्प हो गया था और वे इन कर्जों को चुकाने और उन पर ब्याज देने पर पूरी तरह असमर्थ थीं. फिर भी उस दौर में महिलाओं को धमकी देकर कर्ज की वसूली की गई.  जीविका दीदियों को न्यूनतम 21000 रुपया मानदेय देने पर भी सरकार आनाकानी कर रही है. उनकी प्रमुख मांग में आंध्रप्रदेश की सरकार द्वारा अगस्त 2020 में समूहों के 27 हजार करोड़ रुपये की देनदारी का भुगतान कर कर्ज माफ करने की तर्ज पर बिहार सरकार से भी कर्ज माफी की थी.

Advertisement

सभा को संबोधित करते हुए मीना तिवारी ने कहा कि सरकार एक ओर पूंजीपतियों केा बेल आउट पैकेज दे रही है, लाॅकडाउन के समय में जब सारे लोग परेशान थे, उस दौर में पूंजपतियों की संपति बढ़ रही थी लेकिन महिलाओं से जबरन कर्ज वसूला गया. यह सरासर अन्याय है. आज कर्ज के जाल में महिलाओं को ऐसे उलझा दिया गया है कि वे कर्ज चुकाने के लिए कर्ज लेती हैं और इस भंवरजाल से उबर नहीं पाती है. उन्होंने कहा कि कर्ज चुकता न करने के कारण कई महिलाओं को अपना सबकुछ बेचना पड़ा और उनकी आर्थिक बद से बदतर होती जा रही है.

Advertisement

वक्तओें ने यह भी कहा कि बिहार में ऐपवा और स्वयं सहायता समूह संघर्ष समिति ने विधानसभा चुनाव के पहले कर्ज माफी को लेकर पूरे राज्य में व्यापक प्रदर्शन किया था और जिसके कारण कई जगहों पर कर्ज वसूली पर तात्कालिक रूप से रोक लगी थी. और उसके बाद दबाव में राज्य सरकार ने इन समूहों को छिटपुट तरीके से छोटे-मोटे काम दिए हैं, लेकिन अभी भी हर समूह के लिए जीविकोर्पाजन अर्थात रोजगार की गारंटी नहीं की गई है.

Advertisement

Related posts

लद्दाख के लोगों की दबाई जा रही है आवाज : राहुल

एनसीपी अजीत पवार गुट को मान्यता मिलने पर बांटी गई मिठाईयां

70th BPSC :प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थियों पर लाठीचार्ज, पुलिस ने दौड़ा दौड़ाकर पीटा

Nationalist Bharat Bureau

Leave a Comment