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ऐतिहासिक ख़ुदाबख़्श लाइब्रेरी को बचाने के लिए पूर्व आईपीएस ऑफिसर अमिताभ कुमार दास ने लौटाया अपना पदक

राष्ट्रपति को लिखे अपने पत्र में अमिताभ कुमार दास ने लिखा है कि ख़ुदाबख़्श लाइब्रेरी पुरी इंसानियत की विरासत है।हिंदुस्तान की गंगा जमुनी तहजीब की निशानी है।पूरा बिहार इस पर फ़ख्र करता है।एक पुस्तक प्रेमी होने के नाते सरकार के इस फैसले से मुझे गहरा सदमा लगा है।नीतीश कुमार सरकार के इस फैसले के ख़िलाफ़ में अपना पदक लौटा रहा हूँ।

 

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पटना:130 साल पुराने खुदा बख्श पब्लिक लाइब्रेरी को बचाने के लिए पूर्व सीनियर IPS अमिताभ कुमार दास ने अपना पुलिस मेडल राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को लौटा दिया है।अपने पत्र में अमिताभ कुमार दास ने लिखा है कि ख़ुदाबख़्श लाइब्रेरी पुरी इंसानियत की विरासत है।हिंदुस्तान की गंगा जमुनी तहजीब की निशानी है।पूरा बिहार इस पर फ़ख्र करता है।एक पुस्तक प्रेमी होने के नाते सरकार के इस फैसले से मुझे गहरा सदमा लगा है।नीतीश कुमार सरकार के इस फैसले के ख़िलाफ़ में अपना पदक लौटा रहा हूँ।इससे पहले विश्व प्रसिद्ध ऐतिहासिक धरोहर खुदा बख्श लाइब्रेरी के एक हिस्से पर मंडरा रहे खतरे के बीच इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज ने मुख्यमंत्री से गुहार लगाई है।धरोहर संरक्षण के लिए काम कर रही संस्था के सदस्यों ने नीतीश कुमार से कर्जन रीडिंग रूम को तोड़े जाने से बचाने के लिए दखल देने की अपील की है।उसने कहा कि इस मशहूर संस्थान के किसी भी हिस्से को गिराना न केवल पटना के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए ‘धरोहर की बहुत बड़ी क्षति’ होगी।’शनिवार को मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में दिल्ली स्थित इस एनजीओ की पटना शाखा ने किसी भी अन्य धरोहर भवन को पूर्ण या आंशिक रूप से नहीं गिराने की भी अपील की है जो ऐतिहासिक अशोक राजपथ पर कारगिल चौक से एनआईटी मोड़ तक प्रस्तावित उपरिगामी गलियारे के मार्ग में आ रहे हों।

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इससे पहले बिहार की राजधानी पटना में कारगिल चौक से पीएमसीएच होते हुए एनआईटी मोड़ तक बनने वाले एलिवेटेड कॉरिडोर के निर्माण में खुदाबख्श लाइब्रेरी की जमीन लेने के मामले में चल रहे विवाद पर पथ निर्माण विभाग ने स्थिति को स्पष्ट किया है। पथ निर्माण विभाग द्वारा रविवार को कहा गया कि लाइब्रेरी प्रबंधन की सहमति के बाद ही लाइब्रेरी की जमीन का अधिग्रहण होगा। पथ निर्माण विभाग का कहना है कि खुदाबख्श लाइब्रेरी के प्रबंधन की सहमति से एलिवेटेड कॉरिडोर के निर्माण के लिए लाइब्रेरी परिसर के कुछ हिस्से की जमीन अधिग्रहण का फैसला किया गया था।

 

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