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विधानसभा सत्र की तैयारी को लेकर माले विधायक दल की बैठक संपन्न

  • विधायकों का अपमान, कोविड काल में हुई मौतों की जांच व मुआवजा, तीन महीने के अंदर सबके टीकाकरण, महंगाई, रोजगार व माॅब लिंचिंग के सवाल होंगे प्रमुख मुद्दे.
  • महागठबंधन के दलों के साथ बातचीत करके बिहार सरकार को घेरने की बनाई जाएगी रणनीति
  • शिक्षकों के तमाम खाली पदों पर अविलंब बहाली, उर्दू अनुवादकों की बहाली आदि मुद्दे भी उठाए जायेंगे

पटना:आगामी विधानसभा सत्र की तैयारी में आज माले विधायक दल कार्यालय में विधायक दल की बैठक संपन्न हुई. बैठक में विगत विधानसभा सत्र के दौरान विपक्ष के विधायकों के हुए अपमान, कोविड काल में हुई मौतों की जांच व हरेक मृतक परिजन को मुआवजा, बिहार की लचर स्वास्थ्य व्यवस्था, महंगाई, रोजगार, बाढ़ तथा समस्तीपुर में माॅब लिंचिंग सहित बिहार में अल्पसंख्यक समुदाय को एक बार फिर से टारगेट किए जाने जैसे मुद्दों को विधानसभा में प्रमुखता से उठाया जाएगा. कोविड काल में असफल व नकारा साबित हुई बिहार सरकार को हर मोर्चे पर कारगर तरीके से घेरने के लिए महागठबंधन के दलों के बीच साझा रणनीति बनाने की भी कोशिश की जाएगी. माले विधायक दल महागठबंधन के दलों से जल्द ही इस मामले में संपर्क करेगा.बैठक में पार्टी के सभी 12 विधायकों के साथ पार्टी के राज्य सचिव कुणाल भी उपस्थित थे. माले विधायक दल के नेता महबूब आलम, उपनेता सत्यदेव राम, सचेतक अरूण सिंह, पुस्तकालय समिति के सभापति सुदामा प्रसाद, वीरेन्द्र प्रसाद गुप्ता, गोपाल रविदास, मनोज मंजिल, महानंद सिंह, संदीप सौरभ, अजीत कुशवाहा, अमरजीत कुशवाहा और रामबलि सिंह यादव ने बैठक में हिस्सा लिया. विधायकों ने राज्यस्तरीय मुद्दों के साथ-साथ अपने क्षेत्र की समस्याओं को भी कारगर तरीके से उठाने पर बातचीत की.बैठक के हवाले से माले विधायक दल के नेता महबूब आलम ने कहा कि विगत विधानसभा सत्र के दौरान जिस प्रकार से विपक्ष के विधायकों पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार व बिहार विधानसभा के अध्यक्ष विजय सिन्हा के इशारे पर हमला करवाया गया, उसने पूरे बिहार को शर्मसार किया था. लोकतंत्र को शर्मसार करने वाली उस कार्रवाई के लिए किसी भी दोषी पर अभी तक कार्रवाई नहीं की गई है. हम एक बार फिर से सदन के नेता व विधानसभा अध्यक्ष से दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग करेंगे ताकि लोकतांत्रिक मूल्यों व विधायकों के सम्मान की रक्षा की जा सके.आज हर कोई जानता है कि बिहार सरकार कोविड काल में हुई मौतों को छुपा रही है. हमारी पार्टी अपनी जीती सभी 12 विधानसभा सीटों सहित पूरे राज्य में मौतों का आंकड़ा इकटठा कर रही है. यह आंकड़ा सरकार को सौंपा जाएगा. हमारी मांग होगी कि बिहार सरकार आंकड़ों को छुपाना बंद करे और हर एक मौत की गिनती करे तथा मृतक परिजन को मुआवजा दे. यदि सरकार मौतों का आंकड़ा छुपाते रही तो हम कोविड से हुई त्रासदी का सही-सही आकलन नहीं कर पायेंगे. इसका एक और दुष्परिणाम संभावित थर्ड लहर से निपटने की तैयारी पर भी पड़ सकता है.

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कोविड ने बिहार की लचर स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोल दी है. यदि हमारी स्वास्थ्य व्यवस्था ठीक होती तो हम व्यापक पैमाने पर लोगों की जिंदगी बचा सकते थे. कोविड को देखते हुए बिहार सरकार ने विधायक मद की 2 करोड़ की राशि हमारी बिना सहमति के जब्त कर ली. हमने कोविड महामारी को देखते हुए शेष बची एक करोड़ की राशि को भी स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च करने की अनुशंसा कर दी. लेकिन हमें पता ही नहीं चल रहा है कि सरकार इस राशि का क्या कर रही है? विधानसभा सत्र के दौरान सरकार को इसका जवाब देना होगा. तीन महीने के अंदर सबके टीकाकरण की मांग भी हमारी प्रमुख मांगों में एक है.कमरतोड़ महंगाई के लिए पूरी तरह से भाजपा जिम्मेवार है. आज पटना में पेट्रोल 100 रु. प्रति लिटर से ऊपर पहुंच गया है, सरसो का तेल का दाम 200 रु. किलो हो गया है. एक तरफ कोविड की मार है, तो दूसरी ओर महंगाई की मार. लोगों की क्रयशक्ति में कोई बढ़ोतरी नहीं हो रही है. हम महंगाई के मोर्चे पर सरकार को घेरने का काम करेंगे.शिक्षकों के तमाम खाली पदों पर अविलंब बहाली, उर्दू अनुवादकों की बहाली आदि मुद्दे भी उठाए जायेंगे. एसटेट 2019 में सरकार के अपादरर्शी व लगातार भ्रमपूर्ण बयानों से शिक्षक अभ्यर्थियों में आक्रोश स्वभाविक है. जब बिहार में शिक्षकों के लाखों पद खाली हैं, तब सरकार अविलंब बहाली क्यों नहीं कर रही है? हमारी मांग होगी कि सभी क्वालीफाइड अभ्यर्थियों की नियुक्ति सरकार अविलंब करे. उसी प्रकार उर्दू अनुवादकों की नियुक्ति का भी सवाल लंबे समय से अटका पड़ा हुआ है. विदित हो कि भाजपा-जदयू ने चुनाव के समय 19 लाख रोजगार देने का वादा किया था, लेकिन अब वह अपने वादे से पीछे भाग रही है. सरकार को पीछे नहीं भागने दिया जाएगा.इन सवालों के साथ-साथ समस्तीपुर में हाल-फिलहाल में मुस्लिम समुदाय के खिलाफ संगठित माॅब लिंचिंग के प्रश्न को भी उठाया जाएगा. हम श्रवण यादव के हत्यारे की भी गिरफ्तारी की मांग करते हैं. लेकिन पुलिस की मौजूदगी में कानून-व्यवस्था को धत्ता बताते हुए अल्पसंख्यक समुदाय से होने के कारण मो. हसनैन की पत्नी की बर्बरता से हत्या, बेटियों के साथ मारपीट व छेड़खानी, उनके घरों में आग लगा देने व उनके खिलाफ नफरत का माहौल बनाए जाने जैसी कार्रवाई को अंजाम देने वाले हिंदु पुत्र के अपराधियों पर कार्रवाई की मांग को पुरजोर तरीके से उठायेंगे.

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