राज्यों को ओबीसी लिस्ट तैयार करने का अधिकार देने संबंधी संविधान संशोधन बिल के पास होने के साथ ही एक बार फिर देश में मंडल आयोग की रिपोर्ट लागू होने के बाद जिस तरीके से जातीय राजनीति परवान चढ़ा था ठीक उसी तरीके से राज्यों को ओबीसी लिस्ट तैयार करने का अधिकार देने के बाद पूरे भारत में नये सिरे से जातीय राजनीति की शुरुआत हो जायेगी
◆ संतोष सिंह
राज्यों को ओबीसी लिस्ट तैयार करने का अधिकार देने संबंधी संविधान संशोधन बिल लोकसभा और राज्यसभा में बिना किसी विरोध के पास हो गया। इस संविधान संशोधन बिल से पहले ओबीसी लिस्ट तैयार करने का अधिकार केन्द्र सरकार द्वारा गठित आयोग को था जो तय करता था कि किस जाति को पिछड़ी जाति की सूची में शामिल किया जाये।अब ये अधिकार केन्द्र की एनडीए सरकार ने राज्य सरकार को दे दिया गया है ।बिल के पास होने के साथ ही एक बार फिर देश में मंडल आयोग की रिपोर्ट लागू होने के बाद जिस तरीके से जातीय राजनीति परवान चढ़ा था ठीक उसी तरीके से राज्यों को ओबीसी लिस्ट तैयार करने का अधिकार देने के बाद पूरे भारत में नये सिरे से जातीय राजनीति की शुरुआत हो जायेगी जैसे कल से मध्यप्रदेश में शुरु हो गया है ।तो फिर यह माना जाये कि संघ और बीजेपी को मोदी के चमत्कारी नेतृत्व पर से भरोसा उठने लगा है या फिर संघ और भाजपा को यह लगने लगा है कि राष्ट्रवाद और हिन्दू मुसलमान के सहारे 2024 के लोकसभा चुनाव और 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में वापसी सम्भव नहीं है।क्योंकि जाति आधारित राजनीति जैसे ही परवान चढ़ेगी संघ और बीजेपी दोनों का वजूद खतरे में पड़ जायेगा। क्योंकि जाति आधारित राजनीति जैसे जैसे मजबूत होगी राष्ट्रवाद और हिन्दू राष्ट्र की परिकल्पना की राजनीति कमजोर होगी। याद करिए जब मंडल की राजनीति परवान पर थी उस समय बीजेपी ने उस राजनीति के प्रभाव को कम करने के लिए कमंडल की राजनीति को आगे बढ़ाया था और इसका असर ये हुआ कि धीरे धीरे जातीय राजनीति कमजोर पड़ने लगी और उस समय बीजेपी और संघ ने जाति विहिन राजनीति की जमीन तैयार करना शुरु किया था। उसी जमीन के सहारे आज मोदी देश के पीएम हैं।देखिए आगे आगे होता है क्या।लेकिन इतना तय है कि भारत की राजनीति एक बार फिर रिवर्स गियर में चल दी है ।
(ये लेखक के निजी विचार हैं)