नई दिल्ली:देश में लगातार एक के बाद एक सरकारी कंपनियों का तेजी से निजीकरण किया जा रहा है उन्हें निजी हाथों में सौंपा जा रहा है।इसी कड़ी में अब इसमें एक और नाम जुड़ने जा रहा है।एयर इंडिया के बाद केंद्र की मोदी सरकार एक और सरकारी कंपनी को बेचने की तैयारी कर ली है. एचएलएल लाइफकेयर (HLL Lifecare) की कमान अब प्राइवेट हाथों में सौंपी जा रही है।इसके लिए सरकार को बोली भी मिलने लगी है।दरअसल, HLL लाइफकेयर लिमिटेड में सरकार अपनी पूरी हिस्सेदारी बेच रही है यानी अब ये कंपनी भी निजी हाथों में चली जाएगी. लाइव मिंट में छपी खबर के मुताबिक, इस कंपनी के खरीददारों कीबोली आना भी शुरू हो गई है. भारतीय कंपनी समूह अडानी ग्रुप (Adani Group) और पिरामल हेल्थकेयर (Piramal Healthcare) सार्वजनिक क्षेत्र की दवा कंपनी, एचएलएल लाइफकेयर लिमिटेड (HLL Lifecare limited (HLL) को खरीदने के लिए दौड़ में आगे चल रही हैं. की दौड़ में शामिल हैं।इस ख़बर के सामने आते ही सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है।
इस सिलसिले अपने गुस्से का इज़हार करते हुए फेसबुक के एक यूजर अजय सोनी नामक यूजर ने कटाक्ष करते हुए लिखा कि SBI बैंक कब बिकेगा?इसके जवाब में आलोक कुमार राय ने हालांकि बैंक के बिकने की वकालत ही की और कहा कि इसका बिकना बहुत जरूरी है ,बहुत मनमौजी करता है यह सब ,यह प्राईवेट हो जाता तो ठीक रहता।राकेश जैन नामक यूजर ने पूरी कहानी बताते हुए सरकारी उपक्रम को निजी हाथों में सौंपने की वकालत की और इसके लिए मनमोहन सिंह को ज़िम्मेदार ठहराते हुए मोदी सरकार को क्लीन चिट देते हुए लिखा कि ये याद रखना होगा कि 1991 में सरकार चलाने के लिए तीन दिन तक पैसा नहीं था देश का सोना गिरवी रखा हुआ था और भारत की नीतियों को लेकर दुनिया में और कर्जा मिल नहीं रहा था, ऐसे में नरसिंहराव सरकार के वित्त मंत्री मनमोहन सिंह का आर्थिक सुधार कार्यक्रम लागू किया गया था, जिसके तहत भारत के सभी सरकारी उपक्रमों को धीरे धीरे निजी हाथों में सौंपा जाना हैं ये अडानी, अंबानी, टाटा, बिरला महिंद्रा और ढेरों विदेशी कंपनियां मोदीजी के नहीं कांग्रेस के समय से सरकारी उपक्रमों को खरीद रहे हैं फर्क सिर्फ इतना है कि मोदीजी भारतीय उद्योगपतियों को प्राथमिकता देते हैं मोदीजी के समय कोई विदेशी कंपनियों ने भारतीय कंपनियों को नहीं खरीदा है।सुथर नाथूराम नामक यूजर ने लिखा कि सरकार का काम दुकानदारी करना नही है इसलिए इनका निजीकरण करना जरूरी है , अच्छा होगा अब।Er Amit Kumar नामक यूजर ने लिखा कि बहुत पहले मेरे घर में uptron की टीवी और HMT की घड़ी हुआ करती थी, लेकिन घाटे के चलते ये कंपनियां बंद हो गई, मेरे पापा IL Kota में काम करते थे वो भी घाटे के कारण बंद हो गई, फलतः हजारों कर्मचारी बेरोजगार हो गए,
एयर इंडिया bsnl आदि कंपनियां भी घाटे में चल रही, दो चार करोड़ नहीं अरबों के घाटे में, इनको बेचा न गया तो एक न एक दिन ये बंद हो जाएंगी, में बात तो यह है कि बेचने से आम आदमी को कोई फर्क नहीं पड़ेगा, टिकट तो आपको उतने का ही लेना है, सरकारी सरकारी का ढोल पीटने आसान है, आप में से कितने लोग है जिनके बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ते है, कौन है जो bsnl का मोबाइल या ब्रॉडबैंड चलाते, क्यों विदेशी रेडमी रियलमी का फोन खरीदते हो क्यों नहीं माइक्रोमैक्स का स्वदेशी फोन लेते क्यों nhi HCL की लैपटॉप खरीदते।Ashok Lohara नामक व्यक्ति ने लिखा कि संभल नहीं रहा तो देश ही उन्हें सौप दो भाई! बेच कर बैईमान बनने से अच्छा है।भक्त गण साहब के कमीशन का भी जिक्र नहीं करेंगे जी।मनोज कुमार झा नाम के यूजर ने सरकार को घेरते हुए लिखा कि राष्ट्रीयकरण भी कुछ प्रतिष्ठानों का करो भाई, बाकी हिन्दुत्व और सुरक्षा के राष्ट्रीयकरण के शर्त पर भय, भूख और भ्रष्टाचार के पुराने मुद्दों और वादों को भूल गए क्या।kailash Sharma ने इसका विरोध करते हुए लिखा कि इस तरह किसी दवा कंपनी को प्राइवेट कंपनी को सौंपने के सरकार के फैसले से सहमत नहीं हूं। दवा कंपनी अपनी मनमानी करेंगी गरीब महंगी दवा खरीदने को मजबूर होगा । अपने फैसले पर सरकार गंभीरता से विचार करें । धन्यवाद ।