इन नामों में कई स्थापित नेता, वजूद विहीन हो चुके नेता, तथाकथित बुद्धिजीवी और समाजसेवी, छोटी मोटी पार्टियों और संगठनों के अध्यक्ष, तथा दलाली कर पेट पाल रहे छोटे मोटे युट्यूबर और कथित पत्रकार शामिल हैं।
पटना:विगत 3 मई को पटना में परशुराम जयंती के अवसर पर राजनीतिक क़द बढ़ाने वाले राष्ट्रीय जनजन पार्टी के सर्वेसर्वा और भूमिहार ब्राह्मण एकता मंच के नेता आशुतोष कुमार ने अपनी जान को खतरा बताते हुए कुछ लोगों पर साजिशन मुक़दमे में फंसाने या हत्या कराने का षड्यंत्र रचने का आरोप लगाया है।अपने सोशल मीडिया पोस्ट में उन्होंने हालांकि किसी का नाम नहीं लिया लेकिन इशारों इशारों सब को सामाजिक एकता का अवरोधक और गद्दार व जलनखोर क़रार दिया है।उन्होंने लिखा कि सामाजिक एकता में अवरोधक जिन 10% गद्दारों और जलनखोरों की बात मैं शुरुआती दिनों से करता आ रहा हूं, आज आसानी से देखने को मिल रहा है। तीन दशक के लम्बे अंतराल के बाद हमारा समाज अब राजनीति की मुख्यधारा में आया है। दिन प्रतिदिन मजबूत होती सामाजिक एकता और हमारे बढ़ते कद को देख ये 10% गद्दार बौखला गए हैं। हर रोज हमें बदनाम करने का षड्यंत्र रच रहे हैं। इनकी बौखलाहट देख मुझे प्रतीत होता है की जल्द ही ये मुझे किसी साजिश के तहत फंसा सकते हैं या मेरी हत्या करवा सकते हैं।
आशुतोष कुमार ने लिखा कि मैं माननीय मुख्यमंत्री (बिहार), डीजीपी (बिहार), गृह सचिव (बिहार) तथा आईजी सुरक्षा (बिहार) को उन तमाम लोगों के नाम की चर्चा करते हुए अपने सुरक्षा की गुहार लगाऊंगा, जिसकी एक प्रति मेरे परिजनों के पास भी होगी। मेरे साथ भविष्य में कोई भी अप्रिय घटना यदि घटती है तो उसके जिम्मेवार ये लोग होंगे।
जरूरत पड़ी तो उन नामों को प्रेस वार्ता के माध्यम से समाज बीच रखने में भी हमें कोई परहेज नहीं होगा। समाज को पता होना चाहिए की वो कौन लोग हैं जो हमारे समाज को आगे बढ़ते नहीं देखना चाहते। इन नामों में कई स्थापित नेता, वजूद विहीन हो चुके नेता, तथाकथित बुद्धिजीवी और समाजसेवी, छोटी मोटी पार्टियों और संगठनों के अध्यक्ष, तथा दलाली कर पेट पाल रहे छोटे मोटे युट्यूबर और कथित पत्रकार शामिल हैं।

बताते चलें कि अक्षय तृतीया और ईद के मौके पर तेजस्वी यादव ने भगवान परशुराम जयंती के बहाने पटना के बापू सभागार में जमकर दही-चूड़ा जमाया था।उन्होंने A to Z को साधने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी थी।पटना के बापू सभागार में आशुतोष कुमार के भूमिहार-ब्राह्मण मंच की ओर से परशुराम जयंती का आयोजन किया गया था। इसमें शामिल होकर तेजस्वी यादव ने खूब दही-चूड़ा समीकरण को साधने की कोशिश की। साथ ही उन्होंने अपने पिता लालू प्रसाद यादव ‘भूराबाल’ साफ करो को भी मंच से नकार दिया था।