पुरुषों के लिए और खासकर पति के लिए अक्सर पत्नी की ना का कोई अर्थ नही होता….. विवाह नामक सामाजिक समझौता होते ही औरत की देह उसकी नही रह जाती…
बीबी चाहें थकी हो या बीमार… लेकिन पति को खुश रखना उसका फ़र्ज़ होता है…. पति जब चाहे उसकी देह को रौंद सकता है… बिना उसके इंकार पर गौर किये….
यही हाल समाज खुली सोच और खुलकर जीने वाली लड़की का करता है…. यदि बलात्कार हुआ तो दोष लड़की के छोटे कपड़ों को,रात मे चलने को दिया जायेगा….. अरे भाई, लड़की अगर कम कपड़े पहने है तो उसके कपड़े नोच लेने का हक आपको किसने दिया…. ?
लेकिन सच ये है कि समाज ने यदि आपको तथाकथित ऐसी वैसी लड़की समझ लिया तो आपके इंकार का समाज के लिए फिर कोई महत्व नही रह जाता…. यदि पति के अलावा औरत किसी गैर मर्द के साथ एक बार अपनी सहमति से सोई है तो उसके साथ यदि कोई मर्द जबरन भी सोना चाहे तो लोग ये कह कर उसको जस्टीफाई करते हैं कि अरे वो तो लड़की ही ऐसी थी……..
सुनो…. औरत कोई रिमोट या चाभी वाला खिलौना नही है….. उसकी ना की कद्र करना सीखें… फिर चाहें उससे आपका रिश्ता कुछ भी हो…
औरत कोई रिमोट या चाभी वाला खिलौना नहीं
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