राजनीति में न बयान बेमतलब होता है और न ही तस्वीर बेमतलब होती है।बयान सोंच विचार के साथ दिए जाते हैं और तस्वीर भी यूँही नहीं खिंचाया जाता है।हर बयान और तस्वीर के पीछे कोई ना कोई संदेश जरुर छिपा रहता है ।मुख्यमंत्री के आधिकारिक अकॉउंट से कल एक तस्वीर जारी हुई है।मौका था इन्वेस्टर्स मीट सह वस्त्र एवं चर्म नीति 2022 के लोकार्पण समारोह का जहां नीतीश कुमार उद्योग मंत्री शाहनवाज हुसैन की पीठ थपथपा रहे हैं।बिहार में पहली बार ऐसा हुआ है या ऐसी तस्वीर सामने आई है जिसमें नीतीश कुमार किसी मंत्री के काम की तारीफ इस तरह से सार्वजनिक रूप से कर रहे हैं।
वैसे शाहनवाज हुसैन जब से उद्योग मंत्री बने हैं विभाग की सक्रियता बढ़ी है इसमें भी कोई शक नहीं है लेकिन नीतीश कुमार कुछ दिन पहले तक शाहनवाज को लेकर सहज नहीं थे। ये भी सार्वजनिक रूप से कई मौके पर देखने का मिला है तो फिर ऐसा क्या हुआ जो शाहनवाज़ नीतीश के इतने चहेते बन गये ।
नीतीश ने बांधे शाहनवाज़ की तारीफों के पुल
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हाजीपुर में गांधी सेतु लोकार्पण समारोह में एथनाल की चर्चा के क्रम में उद्योग मंत्री शाहनवाज हुसैन की खूब तारीफ की। अपना पुराना सहयोगी बताते हुए कहा कि मेरे साथ अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार मे मंत्री थे। इन दिनों बिहार में उद्योग का काम संभाल रहे। लगातार घूमते रहते हैैं। खूब काम कर रहे। देश में विभिन्न जगहों पर जाकर लोगों से बात करते हैैं।मुख्यमंत्री ने कहा कि शाहनवाज दिल्ली में भी घूम-घूम कर बिहार में एथनाल के बारे में केंद्र के मंत्रियों से भी बात करते रहते हैैं। अगर केंद्र का सहयोग रहा तो हम इस क्षेत्र में काफी आगे जाएंगे। मुख्यमंत्री ने एथनाल और शाहनवाज की चर्चा के क्रम में यह कहा कि अभी जब वह कार में हाजीपुर के लिए आ रहे थे, तब भी एथनाल के बारे में नितिन गडकरी के साथ चर्चा की।
भाजपा जदयू रिश्तों में खटास के लिए शाहनवाज़ को ज़िम्मेदार ठहराया जा रहा था
क्या बिहार के उद्योग मंत्री शाहनवाज हुसैन की अति महत्वाकांक्षा ने बीजेपी और जेडीयू के रिश्ते में बडा दरार पैदा कर दिया है. जेडीयू के कई नेता तो ऐसा ही कह रहे हैं. जेडीयू सूत्र बता रहे हैं कि शाहनवाज हुसैन के कारण नीतीश कुमार भारी नाराज हैं. अगर आने वाले दिनों में नीतीश कुमार कोई अलग राह पकडते हैं तो उसमें शाहनवाज हुसैन की भी भूमिका होगी।
बिहार इंवेस्टर्स मीट से नीतीश थे नाराज?
JDU के नेता ने इसी महीने दिल्ली के एक पांच सितारा होटल में हुए बिहार इंवेस्टर्स मीट पर गंभीर सवाल खड़े किये. उन्होंने कहा कि शाहनवाज हुसैन ने सिर्फ अपनी ब्रांडिंग कराने के लिए सरकारी पैसा पानी की तरह बहाया. जेडीयू नेता ने पूछा-क्या किसी राज्य में निवेश करने वालों का सम्मेलन दूसरे राज्य में होगा. अगर कोई उद्योगपति बिहार में निवेश करना चाहेगा तो वह पहले बिहार आयेगा. यहां का माहौल सुविधा देखेगा और तब जाकर निवेश करने पर विचार करेगा. दिल्ली के पांच सितारा होटल में बैठकर बिहार में निवेश की बात कैसे की जा सकती है. नाराज जेडीयू नेता ने कहा कि बिहार इंवेस्टर्स मीट के नाम पर जो तमाशा हुआ उसका सिर्फ एक ही मकसद था-उद्योग मंत्री की अपनी ब्रांडिंग करना।
नीतीश की एक तस्वीर तक नहीं लगी थी
जेडीयू में सबसे ज्यादा नाराजगी इस बात को लेकर है कि दिल्ली के पांच सितारा होटल में हुए बिहार इंवेस्टर्स मीट में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की एक तस्वीर तक नहीं लगायी गयी. जेडीयू के एक दूसरे नेता ने कहा कि देश और दुनिया में अगर बिहार की अच्छी छवि बनी है तो नीतीश कुमार के सुशासन के कारण. लेकिन बिहार इंवेस्टर्स मीट में मुख्यमंत्री की ही तस्वीर नहीं लगायी गयी. वहां उद्योग मंत्री शाहनवाज हुसैन की बड़ी-बड़ी तस्वीरें लगायी गयी थीं.
नीतीश के निशाने पर हैं अमित शाह
2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में चिराग के सहारे जो कुछ भी हुआ उसको लेकर नीतीश अभी भी सहज नहीं हैं जिस वजह से बीजेपी के साथ रहने के बावजूद भी हमेशा दाव लगाते रहते हैं ।एक बड़ा चर्चित गीत है ना “कहीं पे निगाहें कहीं पे निशाना”बस इसी अंदाज में नीतीश कुमार बिहार की राजनीति साध रहे हैं और इसके लिए जब जब दिल्ली बीजेपी नीतीश कुमार पर दबाव बनाने की कोशिश करती है नीतीश कुमार लालू प्रसाद के परिवार से नजदीकी बढ़ाने का प्रयास तेज कर देते हैं ।वहीं बीजेपी के अंदर मोदी और शाह के खिलाफ जो गोलबंदी शुरू हुई है उसका लाभ कैसे मिले इस पर नीतीश कुमार ने काम शुरु कर दिया है।
दूसरी ओर नीतीश कुमार का रिश्ता कभी भी शाहनवाज और गडकरी से अच्छा नहीं रहा है क्योंकि दोनों नेता नीतीश की आलोचना कई मौके पर मुखर होकर कर चुके हैं ।
गांधी सेतु के दूसरे लेन के उद्घाटन समारोह के दौरान नीतीश और गडकरी की जो मुलाकात हुई देखने से ऐसा ही लग रहा था कि जैसे कि वर्षो बाद बिछड़ा हुआ भाई मिल रहा हो।
इतना ही नहीं इस पूरे कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय बिहार विधानसभा की घटना के बाद कार्यक्रम के दौरान दूरी बनाते हुए दिखे क्योंकि राज्यसभा चुनाव के दौरान जिस अंदाज में उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने नित्यानंद को झिड़की लगाई थी उससे साफ हो गया था कि फिलहाल बिहार में शाह की नुमाइंदगी को तवज्जो मिलने वाली नहीं है और इस राजनीति को नीतीश का भी समर्थन प्राप्त है।
वैसे दिल्ली से होने वाले निर्णय में अभी भी टीम शाह भारी है लेकिन नीतीश ने अपनी रणनीति के सहारे पहले भूपेन्द्र यादव को बिहार से बाहर का रास्ता दिखा दिया और फिर बिहार विधान परिषद में संख्या बल नहीं होने के बावजूद दो सीट देने पर बीजेपी को मजबूर कर दिया। आने वाले समय में इस तरह की चौकाने वाली तस्वीरे और देखने को मिले तो कोई बड़ी बात नहीं होगी क्यों लम्बें वक्त के बाद बीजेपी की केन्द्रीय टीम में नीतीश की पहुंच मजबूत होती दिखाई दे रही है।