पटना:बिहार विधान परिषद की रिक्त सात सीटों पर निर्वाचन का काम सोमवार को पूरा हो गया. विधान परिषद की सातों सीटों के लिए नामांकन करने वाले सातों दलीय प्रत्याशी निर्विरोध निर्वाचित हो गये. सभी को विधानसभा सचिव कार्यालय में निर्वाचन पदाधिकारी की ओर से जीत का प्रमाणपत्र दे दिया गया. निर्विरोध निर्वाचित होने वालों में राजद के तीन, जदयू के दो और भाजपा के दो सदस्य शामिल हैं. सात सीटों के लिए होने वाले चुनाव में सिर्फ सात प्रत्याशियों ने नामांकन किया था. सोमवार को नाम वापसी की अंतिम तिथि निर्धारित की गयी थी. नाम वापसी की निर्धारित समय सीमा समाप्त होने के बाद सभी को दोपहर साढ़े तीन बजे के बाद जीत का प्रमाणपत्र दे दिया गया. निर्विरोध निर्वाचित होने वालों में राजद की मुन्नी देवी, राजद के मो सोहैब और अशोक कुमार पांडेय, जदयू के अफाक अहमद खां एवं रवींद्र प्रसाद सिंह तथा भाजपा के अनिल कुमार और हरि सहनी शामिल हैं. इस अवसर पर शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी, जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह और उपमुख्यमंत्री तार किशोर प्रसाद उपस्थित थे.
जदयू के नवनिर्वाचित विधान पार्षदों ने की सीएम से मुलाकात :
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से एक अणे मार्ग स्थित ‘संकल्प’ में जदयू से बिहार विधान परिषद के लिए नवनिर्वाचित विधान पार्षद रवींद्र सिंह एवं अफाक अहमद ने मुलाकात की. मुख्यमंत्री ने रवींद्र सिंह एवं अफाक अहमद की बिहार विधान परिषद के सदस्य के रूप में निर्वाचित होने पर बधाई दी.
निर्वाचित घोषित होने वालों में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अशोक कुमार पांडेय, मुन्नी रजक और कारी सोहेब जबकि जदयू के दो उम्मीदवार अफाक अहमद खान और रवींद्र प्रसाद सिंह और भाजपा की ओर से हरि सहनी और अनिल शर्मा शामिल हैं.
निर्वाचन का प्रमाणपत्र सौंपे जाने के दौरान एनडीए उम्मीवारों के साथ भाजपा की ओर से उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद (Tarkishore Prasad), जदयू की ओर से राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह (Lallan Singh) सहित कई अन्य नेता मौजूद रहे.
सभी प्रत्याशी किसी सदन में पहली बार सदस्य बनें
बता दें कि ये सभी प्रत्याशी किसी सदन में पहली बार सदस्य बनें हैं. मालूम हो कि जदयू के कमरे आलम, गुलाम रसूल, रणविजय कुमार सिंह, रोजीना नाजिश और सीपी सिन्हा तथा भाजपा के अर्जुन सहनी और वीआइपी के मुकेश सहनी का कार्यकाल 21 जुलाई को पूरा हो रहा है. इनके खाली हुए सीटों को भरने के लिए यह चुनाव हुआ था.
राजनीतिक दलों ने पुराने सदस्यों को फिर से उम्मीदवार नही बनाया
इस बार, न केवल राजनीतिक दलों ने पुराने सदस्यों को फिर से उम्मीदवार नही बनाया बल्कि प्रत्याशी चयन में कार्यकर्ताओं को तरजीह दी गई. विधानसभा कोटे की सीट होने की वजह से इसमें मतदाता विधायक होते हैं. विधायकों की संख्या के हिसाब से दलों को सीटें मिलती हैं. उसी अनुसार प्रत्याशी भी तय कर लिए जाते हैं और मतदान की स्थिति नहीं बनती है.