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अग्निपथ योजना पर सरकार के समर्थन में उतरी लोक गायिका मालिनी अवस्थी,समर्थकों ने ही लगाई क्लास

नई दिल्ली:केंद्र सरकार की अग्निपथ योजना का विरोध अब व्यापक रूप लेने लगा है।सेना भर्ती की तैयारी में लगे युवा  सरकार के इस फैसले का भारी विरोध कर रहे हैं ।इसबीच लोक गायिका मालिनी अवस्थी का सोशल मीडिया पर दिया गया बयान वायरल हो रहा है।भारत सरकार की अग्निपथ योजना के पक्ष में लिखी गयी पोस्ट पर खुद उनके ही चाहने वालों ने क्लास लगा दी है।

क्या लिखा मालिनी अवस्थी ने

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मालिनी अवस्थी ने लिखा कि ” किसी भी योजना को सिर्फ नकारात्मक दृष्टि से देखना, यह बताता है कि आज आदर्श क्या हो गए हैं हमारे!अग्निवीर बनने की कोई बाध्यता नहीं, हर व्यक्ति की निजी इच्छा पर निर्भर है।राजनीतिक विचारधारा के विरोध में अंधे होकर जो राष्ट्र का हित नहीं समझना चाहते, जो युवाओं को एक सार्थक दिशा में बढ़ते देखना नहीं चाहते, उनसे कुछ कहना ही व्यर्थ है। जो 4 वर्ष पर तंज कर रहे हैं, उन्हें यह मालूम होना चाहिए, कि सेना में भर्ती होने मातृभूमि की सेवा करना होता है न कि पैसा कमाना। पैसा कमाना हो तो दूसरा सेक्टर चुनिए। देश की सेना पैसा कमाने का जरिया नहीं है। क्या कभी पता किया देश मे कितने युवा दसवीं पास करने के बाद पढ़ाई छोड़ देते हैं ? क्या आपने कभी भर्ती की तैयारी में जुटे युवाओं को देखा है?जानते हैं कि  दसवीं कक्षा पास करने वालों में 50% से ज्यादा संख्या उन युवाओं की होती है जो सेना में भर्ती होना चाहते हैं। दिशाहीन होने की जगह देश सेवा में भारत का युवा लगेगा। हर बात में खोट ढूंढना ठीक नही है। उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री ने कह दिया है कि ऐसे युवा समायोजित किए जायेंगे, 21 वर्ष में तप कर जो युवा निकलेगा, वह भारत का सशक्त युवा होगा।विरोध के लिए विरोध करना है तो आंख में पट्टी बांधकर भविष्य के बारे में धृतराष्ट्र बने रहिए।

फेसबुक पोस्ट पर दी गयी प्रतिक्रिया का स्क्रीन शॉट

लोगों ने लगाई क्लास

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इस पोस्ट के बाद कुछ ने मालिनी अवस्थी के पक्ष में तो अधिकांश ने विरोध में अपने विचार व्यक्त किये।RENU CHATURVEDI नामक यूजर ने पक्ष में लिखा कि साढ़े 17 साल से 21साल का व्यक्ति 4 साल के बाद साढे 21से25साल का होगा। 21 साल से 25 साल तक के कितने लड़के कमाई करते हैं अधिकांश समय खराब करते हैं। घूमते फिरते रहते हैं। इसमें फिटनेस और अनुशासन सीख लिया तो लाइफ बन जाएगी और अभी तो पूरी डिटेल आई भी नहीं है ।एक आदत बना रखी है सरकार ने कोई फैसला किया और तोड़फोड़ शुरू। यह वही लोग हैं जो जिंदगी में कुछ भी करना नहीं चाहते।
RENU की इस पोस्ट पर कटाक्ष करते हुए AMBUJ KUMAR ने लिखा कि इसका मतलब कि देशभक्त सैनिकों को भरपेट खाना नहीं दिया जाये और उसके परिवार को फुफलिसी में रखा जाए लेकिन नेताओं पदाधिकारियों और आपके जैसे कलाकारों को अकूत सम्पत्ति दिया जाए। हालांकि सैनिकों को सब दिन ऐसे ही समझा जाता था लेकिन मुलायम यादव के रक्षामंत्री बनने पर अच्छी स्थिति हो गई थी।

Pankaj singh ने लिखा कि 4 साल बाद क्या होगा उनका , भारत रत्न का इरादा है क्या mam आपका ,,  मोदी जी कर रहे है तो सही ही होगा , नोट बंदी से आतंकवादी का कमर टूट गया, करप्शन मिट गया , कोयला घोटाले वाले सब जेल में है। 1 करोड़ नौकरी मिल गयी, पेट्रोल सस्ता हो गया, पाकिस्तान खत्म हो गया, कश्मीर में पंडित मजे में है, कोरोना में ऑक्सीजन की कमी से कोई mara नही, सब तो ठीक है आपको भी रत्न मिल ही जायेगा।

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Ashok Kumar Panday ने लिखा कि बेरोजगारों का मजाक बना दिया इस सरकार ने देश में जातिवाद का जहर घोल दिया इस सरकार ने जनमानस के ऊपर नये नये नियम ला कर बोझ जनमानस के ऊपर थोप दिया पढ़ाई दवाई में कोई फोकस नहीं जनमानस लुट रही है सरकारी संस्थाओं को बेंच रही है भ्रष्टाचार चरम पर है आवाज उठाने वालों की सरकारी तंत्र के दुरपयोग से आवाज दबाई जा रही है।

Chand Saudagar ने लिखा कि जो फ़ौज से जुड़ा हुआ नहीं है  फ़ौज के बारे में बिल्कुल भी जानकारी  नहीं है वो फ़ालतू भाषण बाजी मत कीजिए मेरे पोस्ट में अंधभक्ति  में इतना लीन मत हो जाये  की *साहब* ने जो कह दिया वो सब  कुछ सही लगने लगे  थोड़ा खुद का दिमाग लगा लिया किजये या तो जाकर पूछए वो फ़ौज की तैयारी करने वाले स्टूडेंट्स से जो लगातार 17 साल से 23 साल की उम्र तक रोज सुबह 3 बजे उठ कर अपना नींद ख़राब कर मेहनत कर घंटो मैदान में  अपना पसीना बहाते है की अब बहाली आएगी और इस बार भर्ती हो जाएगे वो क्या सिर्फ 4 साल के लिए मेहनत कर रहे हैं मज़ाक बना के रख दिया है सारे सेंट्रल गवर्मेन्ट जॉब का सब कुछ तो बड़े बड़े उद्योगपतियो की बिकता चला जा रहा है कही ऐसा न हो कि आने वाले दिनों में नेता और फ़ौज  को छोड़ कर बड़े उद्योग पति भारत  पे शाषन करने लगेगें रेलवे में BSNL में सबको तो निजीकरण करते जा रहे हो अब क्या फ़ौज की नौकरी के साथ भी  खिलवाड़  करना है क्या?

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