प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपनी मां हीराबेन के जन्मदिन पर अहमदाबाद पहुंचे हैं। PM ने अपनी मां के पैर धोए, उसके बाद उस पानी को आंखों से लगाया। मोदी ने अपनी मां के साथ बैठकर पूजा की, उन्हें शॉल ओढ़ाया और उनका आशीर्वाद लिया। प्रधानमंत्री मोदी की मां ने भी जन्मदिन पर मिलने पहुंचे बेटे का मुंह मीठा कराया। प्रधानमंत्री मोदी की मां हीराबेन आज 100वें साल में प्रवेश कर रही हैं।
बताते चलें कि गुजरात में मातृशक्ति योजना की शुरुआत मोदी शनिवार को पावागढ़ में महाकाली के दर्शन कर विरासत वन में लोगों से मुलाकात करेंगे। इसके बाद वडोदरा रवाना होंगे। वहां ‘गुजरात गौरव अभियान’ कार्यक्रम के अंतर्गत 21 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा लागत वाली विभिन्न विभागों की परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास करेंगे। इसी कार्यक्रम में वे ‘मुख्यमंत्री मातृशक्ति योजना’ (MMY) की शुरुआत करेंगे। गुजरात सरकार ने महिला की गर्भावस्था से लेकर मातृत्व के पहले 1000 दिनों तक माता और शिशु दोनों को पोषण युक्त आहार उपलब्ध कराने तथा उनकी पोषण स्थिति में सुधार लाने के उद्देश्य से ‘मुख्यमंत्री मातृशक्ति योजना’ की घोषणा की है। आदिवासी बहुल तहसीलों में ‘पोषण सुधा योजना’ भी लॉन्च की जाएगी मोदी शनिवार को गुजरात की आदिवासी बहुल तहसीलों में ‘पोषण सुधा योजना’ को लॉन्च करेंगे। गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को अधिक पोषण उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार ने प्रायोगिक स्तर पर दाहोद, वलसाड, महीसागर, छोटा उदयपुर और नर्मदा सहित 5 आदिवासी बहुल जिलों की 10 तहसीलों में ‘पोषण सुधा योजना’ लागू की थी। अब इसका विस्तार कर राज्य के सभी 14 आदिवासी बहुल जिलों की कुल 106 तहसीलों को इसमें शामिल किया जाएगा। मोबाइल एप्लिकेशन भी बनाया गया योजना के तहत आंगनबाड़ी में पंजीकृत गर्भवती एवं स्तनपान कराने वाली माताओं को एक समय का पोषक आहार दिया जाता है। उन्हें आयरन और कैल्शियम की गोलियां तथा स्वास्थ्य और पोषण के बारे में शिक्षा दी जाती है। योजना की निगरानी और निरीक्षण के लिए मोबाइल एप्लिकेशन भी बनाया गया है।
इस साल योजना के लिए 118 करोड़ रुपए का बजट तय किया गया है। हर महीने इसमें 1.36 लाख लाभार्थियों को शामिल किया जाएगा। क्या है मुख्यमंत्री मातृशक्ति योजना महिला के गर्भकाल के 270 दिन और बच्चे के जन्म से 2 वर्ष तक के 730 दिन यानी कुल 1000 दिनों की अवधि को ‘फर्स्ट विंडो ऑफ अपॉर्चुनिटी’ कहा जाता है। इस समय के दौरान माता और बच्चे के पोषण स्तर को सुदृढ़ बनाना आवश्यक है। भारत सरकार के ‘पोषण अभियान’ के अंतर्गत माता और बच्चे के इन 1000 दिनों पर ध्यान केंद्रित करने को कहा गया है। दरअसल माता का खराब पोषण स्तर गर्भ में मौजूद बच्चे (भ्रूण) के विकास को बाधित करता है, जो आगे चलकर बच्चे के खराब स्वास्थ्य की वजह बनता है। गर्भवती माताओं में कुपोषण और एनीमिया बच्चे की वृद्धि और विकास पर गंभीर प्रभाव डालता है। इस योजना के तहत माता और बच्चे को स्वस्थ आहार मिलना सुनिश्चित किया जाएगा।