पटना:जीवन में सही मार्ग पर चलने के लिए सीख देने वाले पिता कदम-कदम पर हमारा मार्गदर्शन करते हैं। उनकी छत्रछाया से पूरा परिवार खुश रहता है। बच्चे जब कभी किसी मुद्दे पर परेशान होते हैं तो पिता से आशीर्वाद और उनकी सलाह लेते हैं ।सारी चिंता, बाधा दूर हो जाती है। पिता का साया सिर पर होता है तो किसी बात की चिंता नहीं होती है।खिलौना भी पापा, बिछौना भी पापा, जब सीने से लगता है प्रतिबिब अपना सा तो पापा के दिल को लगता है कोई सपना सा। बच्चों को खुश करने के लिए वे बन जाते हैं खुद खिलौना। अगर नींद आ जाए उनको तो बन जाते हैं बिछौना। कभी कंधों पर बिठाकर दिखाते हैं सारा जहां तो कभी अंगुली पकड़कर सहारा बन जाते हैं। यहां मिलता है उसे सुकून भी और सुरक्षा का अनकहा विश्वास भी।लेकिन जब यही साया सर से उठ जाता है तो मानों पहाड़ टूट पड़ता है।हर कदम पर कमी का एहसास होता है।ऐसी ही एक पीड़ा बयान करते हुए भाजपा ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय महासचिव और भाजपा के बिहार प्रवक्ता निखिल आनंद ने अपने स्वर्गीय पिता को उनकी पुण्यतिथि पर याद किया।उन्होंने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा कि”आज मेरे पिताजी स्व० आनंद मोहन जी की पुण्यतिथि है। वे बतौर शिक्षक एन०एम०वाई० हाई स्कूल- जीवराखन टोला एवं टाउन हाई स्कूल- आरा और एच०डी०राय हाई स्कूल, बिहियां चौरस्ता में प्रिंसिपल के तौर पर कार्यरत रहे। पटना विश्वविद्यालय के पटना कॉलेज से उन्होंने आई०ए० और बी०ए० एवं एम०ए० (अर्थशास्त्र) करने के बाद बी०एड० किया था। उन्होंने पटना विश्वविद्यालय के छात्र रहते हुए जैक्सन हॉस्टल में रहकर पढ़ाई की थी। मेरे दादाजी स्व० श्रीभगवान सिंह जी राजनीतिक व्यक्ति थे और मनेर से विधायक भी रहे लेकिन इसका दिखावा या अन्यथा गुमान उनको कभी नहीं रहा और न किसी को महसूस होने दिया। वे पूर्णतः एकेडमिक अभिरुचि वाले एक मितभाषी- मृदुभाषी व बौद्धिक व्यक्ति थे। 07जुलाई, 2004 का दिन आज भी याद है जब एक सड़क दुर्घटना में उनकी मृत्यु हुई थी, तबसे हरदिन उन्हें याद करता हूँ और खोता हूँ। पिताजी आज होते तो हमारी जिंदगी निश्चित तौर पर हर मायने में बेहतर होती। अश्रुपूरित श्रद्धांजलि एवं शत्-शत् नमन
पिता जी को हरदिन याद करता हूँ और खोता हूँ,पिताजी आज होते तो हमारी जिंदगी निश्चित तौर पर हर मायने में बेहतर होती:निखिल आनंद
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