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सरकारी कर्मियों के पदोन्नति पर वर्षों से लगी रोक के कारण हजारों कर्मी बगैर पदोन्नति हो रहे सेवानिवृत्त

*विधान सभा में आश्वासन के एक वर्ष बाद भी प्रोन्नति क्यों नही दे रही सरकार, जवाब दे – महासंघ (गोप गुट)
*सुप्रीम कोर्ट आदेश की मनमाना व्याख्या कर अप्रैल 19 से पदोन्नति पर लगी रोक को अविल्म्ब हटाए सरकार – महासंघ (गोप गुट)
*पदोन्नति पर रोक से सामान्य वर्ग के साथ-साथ पिछड़ा वर्ग , अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के कर्मियों को सर्वाधिक नुकसान ,तो दूसरी तरफ शिक्षित बेरोजगार नई नियुक्ति से हो रहे हैॱ वँचित – प्रेमचंद कुमार सिन्हा,महासचिव,गोप गुट
*पदोन्नति नहीं मिलने से कर्मचारियों के अधिकारों के साथ – साथ हो रहा सामाजिक एवं आर्थिक नुकसान- महासंघ (गोप गुट)

पटना:बिहार राज्य अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ (गोप गुट) महासचिव प्रेमचंद कुमार सिंहा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार
से बिहार सरकार द्वारा 3 वर्ष पूर्व अप्रैल 2019 से राज्य के नियमित कर्मचारियों व अधिकारियों के पदोन्नति पर लगाई गयी रोक को तत्काल प्रभाव से वापस लेने की मांग किया है । उन्होंने कहा कि पदोन्नति नहीं मिलने से अधिकारों का जबरदस्त हनन के साथ – साथ कर्मी सामाजिक प्रतिष्ठा व आर्थिक नुकसान झेल रहे हैॱ,इस नुकसान की भरपाई कोई नहीं कर सकता, सरकार भी नहीं कर सकती क्योंकि पिछले 3 वर्षो मे सेवानिवृत होने वालों मे से ऐसे हजारों – सैकड़ों कर्मी शामिल है जो बगैर पदोन्नति के सेवानिवृत हुए और इनमे से पदोन्नति पाए बगैर सैंकड़ों की संख्या मे कर्मी मृत हो गए।

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महासचिव श्री सिंहा ने आरोप लगाते हुए कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का मनमाना व्याख्या कर बिहार सरकार पिछले 3 वर्ष से पदोन्नति पर रोक लगा रखी है। उन्होंने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य कर्मियों के पदोन्नति पर रोक नहीं लगाया है बल्कि एक अन्य मामले मे status quo का आदेश दिया है और इसी status quo की आड़ मे बिहार सरकार 3 वर्षो से पदोन्नति पर रोक लगाए हुए है। श्री सिंहा ने सवाल करते हुए बताया कि 01 अप्रैल 19 को न्यायालय द्वारा पारित आदेश की अन्तिम कंडिका में राज्यकर्मी को प्रोन्नति देने के उपाय का उल्लेख है, तो सरकार इसका अनुपालन क्यों नहीं कर रही है ? जबकि इसी आदेश के तहत केंद्र सरकार , झारखंड आदि राज्यों की सरकार अपने कर्मियों को पदोन्नति देना जारी रखे हुए है।

 

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कर्मचारी महासंघ (गोप गुट) महासचिव प्रेमचंद कुमार सिंहा ने बताया कि वर्ष 2021 के बजट सत्र में भाकपा (माले) व विधायक दल नेता माननीय महबूब आलम व एक अन्य विधायक समीर कुमार महासेठ के तारांकित प्रश्न के जवाब मे राज्य सरकार ने दिग्भ्रमित करने वाला जवाब दिया । साथ ही सुप्रीम कोर्ट मे अगली तिथि के बाद पदोन्नति लागू करने का दिया गया जवाब भी झूठा साबित हुआ।कर्मचारी महासंघ (गोप गुट) महासचिव प्रेमचंद कुमार सिंहा ने कहा कि हजारों राज्यकर्मी व शिक्षक बगैर पदोन्नति पाए सेवानिवृत्त होते जा रहे हैं, जिससे सभी को सेवाकाल में आर्थिक नुकसान के साथ पद- प्रतिष्ठा का भी नुकसान उठाना पड़ रहा है , सेवानिवृत्ति के पश्चात कर्मी आजीवन आर्थिक नुकसान उठाने व सामाजिक उपेक्षा उठाने को विवश होंगें।

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महासचिव श्री सिंहा ने एक अत्यंत गंभीर सवाल बिहार सरकार पर उठाते हुए कहा कि पदोन्नति पर रोक जारी रहने से सामान्य वर्ग कर्मियों के साथ-साथ पिछड़ा वर्ग , अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के कर्मियों को पदोन्नति से वंचित होना पड़ रहा है जो राज्य मे कार्यरत हजारों पिछड़े,दलित, आदिवासी समुदाय के कर्मियों के अधिकारों पर यह एक गैर संवैधानिक हमला है कि नीतीश सरकार इन कर्मियों को उनके अधिकारों से वँचित कर रही है।कर्मचारी महासंघ (गोप गुट) महासचिव प्रेमचंद कुमार सिंहा ने कहा कि केंद्र सरकार अपने कर्मियों को पदोन्नति दे रही है एवं पड़ोसी झारखंड राज्य् सरकार भी अपने कर्मियों को पदोन्नति पर लगी रोक को हटा लिया है उसी तर्ज पर बिहार सरकार भी अविलंब पदोन्नति पर लगी रोक हटाये ताकि वर्षों से पदोन्नति से वंचित राज्य के कर्मियों को उनका अधिकार हासिल हो और पदोन्नति के लिए और अधिक इंतजार नहीं करना पड़े । पदोन्नति पर लगी रोक से एक तरफ राज्यकर्मी अपने अधिकार से वंचित हो ही रहे हैं तो दूसरी तरफ शिक्षित बेरोजगार नई नियुक्ति से वंचित हो रहे हैं , यानी हर तरफ से दो तरफा नुकसान हो रहा है और प्रशासनिक कार्यक्षमता भी प्रभावित हो रहा है ।महासचिव श्री सिंहा ने कहा कि इसलिए महासंघ (गोप गुट) मांग किया है कि पदोन्नति पर लगी रोक अबिलंब हटाया जाये एवं शत – प्रतिशत पदोन्नति के पदों को भरा जाए ।

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