पटना:आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू द्वारा कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं किए जाने पर तंज कसा है। उन्होंने कहा है कि ‘राष्ट्रपति भवन में हमें कोई मूर्ति तो नहीं चाहिए, हम राष्ट्रपति का चुनाव कर रहे हैं।’ उन्होंने तो पत्रकारों से यहाँ तक कह दिया कि क्या कभी आपने मुर्मू को कुछ बोलते सुना है।बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव शनिवार को शिवहर में एक कार्यक्रम में पत्रकारों के सवाल के जवाब में प्रतिक्रिया दे रहे थे। तेजस्वी के इस बयान पर भाजपा ने मोर्चा खोल दिया है।और तेजस्वी यादव से अपने बयान के लिए माफी मांगने की मांग की है।
केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि आदरणीय श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी को लेकर तेजस्वी यादव का बयान समूचे जनजातीय समाज और महिलाओं का अनादर है।पूरा देश जानता है और तेजस्वी जी को भी पता होना चाहिए कि श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी ओड़िसा के अत्यंत गरीब और पिछड़े हुए जनजातीय समाज से निकलकर लम्बे समय तक सार्वजनिक जीवन में अनेक पदों पर रहकर जनसेवा करते हुए यहाँ तक पहुंची हैँ।तेजस्वी यादव ने अपने बयान से श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी के संघर्षो का भी अपमान किया है।परिवार की विरासत से राजनीति में आने वाले तेजस्वी यादव को गरीबों, पिछड़ों, वँचितो, शोषितों के दर्द का जरा भी आभास नहीं है। उन्हें इसका अगर आभास होता तो वें जनजातीय समाज से निकलकर अनेक संघर्षो से यहाँ तक पहुंचने वाली सुयोग्य श्रीमती द्रौपदी मुर्मू के लिए ऐसे अपमान जनक भावना नहीं रखते।तेजस्वी यादव को देशभर के गरीबों, महिलाओं तथा जनजातीय समाज से अपने बयान के लिए माफ़ी मांगनी चाहिए।
बिहार भाजपा अध्यक्ष संजय जायसवाल ने कहा कि भारतीय राजनीति का सबसे घिनौना चेहरा आज तेजस्वी जी के वक्तव्य से उजागर हुआ है ।माननीय द्रौपदी मुरमू जी जो एक गांव की आदिवासी महिला होने के बावजूद उड़ीसा विधानसभा में सर्वश्रेष्ठ विधायक के रूप में पुरस्कृत हो चुकी हैं। जिनका राज्यपाल का कार्यकाल ऐसा निर्विवाद रहा कि हेमंत सोरेन को भी उनका समर्थन करना पड़ा। वह तेजस्वी यादव को मूर्ति नजर आती हैं।राष्ट्रीय जनता दल में परंपरा रही है कि बड़े-बड़े तथाकथित समाजवादी नेता एक घरेलू महिला को अपना नेता मान लेते हैं । तेजस्वी यादव जी के नजर में किसी खास नेता की पत्नी अथवा बेटी होना ही विद्वान की पहचान है।
एक गांव से पढ़कर आदिवासी महिला का राष्ट्रपति बनना उन्हें अपमान लगता है । सभी राजपरिवारों में यह बीमारी है कि कोई व्यक्ति जिसका किसी परिवार से संबंध नहीं हो वह कैसे राष्ट्रपति अथवा प्रधानमंत्री बन सकता है । इसीलिए हर कदम पर वह विरोध करते दिखते हैं।तेजस्वी जी ने बचपन मे महिला मुख्यमंत्री को देखा है। इसलिए उन्हें हर पिछड़ी, अनुसूचित जाति ,जनजाति की महिला मूर्ति ही नजर आती है ।कभी अपने घर से बाहर की भी दुनिया देखें ।इस समाज में अपने बल पर मुकाम हासिल करने वाले लाखों लोग हैं । पर जीवन में कभी पढ़ाई की हो तब तो राष्ट्रपति का महत्व समझ में आएगा।हम सब अच्छे से जानते हैं कि हमारे गांव मे जो अपने आपको आठवां या नवां पास कहते थे वह वाकई कितना किताब पढ़े रहते थे।जो कागज पड़ने पर आमकदम को आजादी के अमृत सरोवर में डूबा दे वह बिहार का नाम डूबाएगा ही।आज पूरे भारत मे नेता विरोधी दल के द्वारा भावी राष्ट्रपति के अपमान का आक्रोश हर बिहारी को झेलना पड़ रहा है।