नई दिल्ली:कल राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोट डाले जाएंगे।इससे पहले महागठबंधन के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ने वोट देने वाले सदस्यों को पत्र लिख कर अपने पक्ष में वोट देने की अपील की है।यशवंत सिन्हा ने लिखा कि अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनें और मुझे वोट दें।उन्होंने लिखा कि मेरे प्यारे सम्मानित साथियों,मैं अपना चुनाव अभियान समाप्त करने के बाद कल नई दिल्ली लौटा हूँ ।28 जून को केरल से शुरू हुआ प्रचार अभियान 16 जुलाई को मेरे गृह राज्य झारखंड में समाप्त हुआ। इस अवधि में मैंने 13 राज्यों की राजधानियों तिरुवनंतपुरम, चेन्नई, रायपुर, हैदराबाद, बेंगलुरु, गांधीनगर, श्रीनगर, चंडीगढ़, जयपुर, गुवाहाटी, भोपाल, पटना और रांची का दौरा किया प्रत्येक स्थान पर मैंने अपनी उम्मीदवारी का समर्थन करने वाले दलों के सांसदों और विधायकों के साथ बैठके की। कुल मिलाकर पचास से अधिक प्रेस कॉफ्रेंस को संबोधित किया और मीडिया को साक्षात्कार दिए।इस पूरे अभियान के दौरान देश के लोगों से मिली प्रतिक्रिया से मैं अभिभूत हूँ मैं उन सभी राजनीतिक दलों के नेताओं को तहे दिल से धन्यवाद देता हूं, जिन्होंने मुझे सर्वसम्मति से अपना उम्मीदवार बनने के लिए उपयुक्त समझा।
जैसा कि मैंने अपनी सभी बैठकों और मीडिया से बातचीत में जोर दिया है. यह चुनाव सिर्फ दो उम्मीदवारों के बीच का चुनाव नहीं है बल्कि उन दो विचारधाराओं और आदर्शोंों का चुनाव है जिनका हम प्रतिनिधित्व करते हैं। मेरी विचारधारा भारत का संविधान है। मेरे प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार उन ताकतों का प्रतिनिधित्व करते * जिनकी विचारधारा और एजेंडा, संविधान को बदलना है। मैं भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था की रक्षा के लिए खड़ा हूं। मेरे प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार को उन लोगों का समर्थन प्राप्त है जो लोकतंत्र पर हर दिन हमले कर रहे हैं मैं धर्मनिरपेक्षता की रक्षा के लिए खड़ा हूं, जो हमारे संविधान का एक मजबूत स्तंभ है और भारत की सदियों पुरानी विविधता में एकता से भरी गंगा-जमुनी विरासत का सबसे अच्छा उदाहरण है। मेरे प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार उस पार्टी से है जिसने इस स्तंभ को नष्ट करने और बहुसंख्यक वर्चस्व स्थापित करने के अपने संकल्प को छुपाया नहीं है मैं सर्वसम्मति और सहयोग की राजनीति को प्रोत्साहित करने के लिए खड़ा हूं। मेरे प्रतिद्वंद्वी को एक ऐसी पार्टी का समर्थन प्राप्त है जो टकराव और संघर्ष की राजनीति करती है मैं बिना किसी भेदभाव के प्रत्येक भारतीय नागरिक की संवैधानिक रूप से प्राप्त स्वतंत्रता और अधिकारों के लिए खड़ा हूं। मेरे प्रतिद्वंद्वी को उन लोगों ने चुना है जो इस सिद्धांत का उल्लंघन कर रहे हैं। मैं सामंजस्यपूर्ण केंद्र-राज्य संबंधों और मिलकर काम करने वाले संघवाद के लिए खड़ा हूँ। मेरे प्रतिद्वंद्वी उस संगठन द्वारा नामित किए गए हैं जिसने भारतीय संविधान के संघीय ढांचे पर कई हमले किए हैं। इससे पहले कभी भी नई दिल्ली में इस तरह शक्ति केंद्रित नहीं हुई है और राज्यों ने कभी भी इतना अपमानित और असहाय महसूस नहीं किया है।अंत में, मैं एक राष्ट्र,कई दल और सामूहिक नेतृत्व के लिए खड़ा हूँ। मेरे प्रतिद्वंद्वी उन लोगों के नियंत्रण में होंगे जिनका उद्देश्य लोकतांत्रिक भारत को कम्युनिस्ट चीन की तरह एक राष्ट्र, एक पार्टी, एक सर्वोच्च – नेता जैसी व्यवस्था में परिवर्तित करना है क्या इसे रोका नही जाना चाहिए? हाँ, रोका ही जाना चाहिए। इसे आप ही रोक सकते हैं।
उन्होंने लिखा कि हमारे संविधान के महान निर्माताओं का ये इरादा या उद्देश्य कभी नहीं था कि गणतंत्र के सर्वोच्च पद का इस्तेमाल हमारे समाज के किसी भी वर्ग के तुष्टीकरण के लिए किया जाए। राष्ट्रपति के पद को सर्वशक्तिमान प्रधानमंत्री के अधीन रहने की कल्पना तो उन्होंने बिल्कुल नहीं की थी। मैंने बार बार प्रतिज्ञा की है कि यदि निर्वाचित हो जाता हूं, तो मैं बिना किसी भय या पक्षपात के संविधान के संरक्षक के रूप में कार्य करूंगा और आवश्यकता पड़ने पर सत्तावादी और अलोकतांत्रिक कार्यपालिका के संस्थागत दुरुपयोग को रोकूंगा। मेरे प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार ने ऐसी कोई प्रतिज्ञा नहीं की है। वास्तव में, पूरे अभियान के दौरान, उन्होंने चुप्पी साध रही है। इससे स्पष्ट है कि यदि वो चुनी जाती हैं, तो एक मूक और रबर स्टांप राष्ट्रपति बन कर रह जाएंगी।
इसलिए, कल आप अपना वोट डालने जाएं उससे पहले मैं आपसे एक आखिरी अपील करना चाहता हूं। कृपया अपने आप से पूछे भारत का राष्ट्रपति कैसा होना चाहिए? जो संविधान की रक्षा करे या जो प्रधानमंत्री की रक्षा करे?इसके अलावा कृपया ये भी ध्यान रखें कि राष्ट्रपति चुनाव में कोई व्हिप नहीं होता है। ये गुप्त मतदान के माध्यम से होता है। संविधान के महान निर्माताओं ने गुप्त मतदान की विधि इसीलिए तैयार की थी ताकि राष्ट्रपति चुनाव में भाग लेने वाले सदस्य अपनी पार्टी के निर्णय से बाध्य होने की बजाए स्वतंत्र रूप से अपने अंतरआत्मा की आवाज सुनें। इसलिए मैं एक बार पुनः सभी सांसदों और विधायकों से विनम्रतापूर्वक अपील करता हूं कि संविधान को बचाने के लिए लोकतंत्र को बचाने के लिए, धर्मनिरपेक्षता को बचाने के लिए भारत को बचाने के लिए दल एवं पार्टी से उपर उठकर मुझे वोट दें।
आज मैं राष्ट्रपति चुनाव में भाग लेने जा रहे भाजपा के मतदाताओं से एक विशेष अपील करना चाहता हूँ। “मैं भी कभी आपकी ही पार्टी का था । हालाँकि, मुझे यह कहते हुए दुख हो रहा है कि जिस पार्टी का नेतृत्व अटल बिहारी वाजपेयी जी और लाल कृष्ण आडवाणी जी ने किया था. वो अब खत्म हो चुकी है। वर्तमान में एकमात्र नेता के नियंत्रण में, ये पूरी तरह से अलग और अनैतिक पार्टी है। मुझे यकीन है कि आप में से अधिकांश लोग ये अंतर जानते-समझते होंगे और उतना ही दुखी होते होंगे जितना मैं होता हूं। यह चुनाव आपके लिए भाजपा में बेहद जरूरी ‘कोर्स करेक्शन’ का आखिरी मौका है। मेरा चुनाव सुनिश्चित करके, आप भाजपा और देश के लोकतंत्र को बचाने के लिए महान काम करेंगे।”