नई दिल्ली:बिहार में भू–जल स्त्रोतों की गुणवत्ता में आई मौजूदा कमी और बिहार की वर्ष 2021–2022 की 16वीं आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार बिहार के 38 जिलों में से 31 जिलों में जल स्वास्थ्य के लिए खतरा बताया गया और जल में आर्सेनिक, फ्लोराइड और लौहे के विभिन्न स्तर पाए जाने की बात प्रमाणित हुई। जिसके समाधान हेतु किशनगंज सांसद डॉ० मो० जावेद ने लोकसभा में भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय से अतारंकित प्रश्न के माध्यम से आवश्यक ब्योरा मांगा।डॉक्टर मोहम्मद जावेद ने लिखा कि क्या जल शक्ति मंत्री यह बताने की कृपा करेंगे कि क्या सरकार का लक्ष्य ग्रामीण बिहार में बड़े पैमाने पर रासायनिक संदूषण के कारण भू-जल स्रोतों की गुणवत्ता में आई मौजूदा कमी को दूर करना है जैसा कि बिहार की वर्ष 2021-22 की 16वीं आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में प्रमाणित हुआ है जिसमें बताया गया है कि 38 जिलों में से 31 जिलों में जल स्वास्थ्य के लिए खतरा है और इसमें आर्सेनिक, फ्लोराइड और लोहे के विभिन्न स्तर पाए गए हैं।यदि हां,तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है। और (JT) क्या मंत्रालय का उद्देश्य उपरोक्त जिलों में लोगों को सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराने के लिए राहत कार्यक्रम शुरू करना है और यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है?
इस प्रश्न में उत्तर में राज्य मंत्री,जल शक्ति प्रहलाद सिंह पटेल की ओर से उत्तर दिया गया कि राज्य द्वारा सूचित किए गए अनुसार, बिहार में पेयजल स्रोतों में संदूषण से प्रभावित बसावटों के जिला-वार ब्यौरे अनुबंध में दिए गए हैं।वर्ष 2024 तक देश में प्रत्येक ग्रामीण परिवार को निर्धारित गुणवत्ता के साथ पर्याप्त मात्रा में और नियमित एवं दीर्घकालिक आधार पर पीने योग्य नल जल आपूर्ति उपलब्ध कराने हेतु भारत सरकार अगस्त 2019 से राज्यों की भागीदारी के साथ जल जीवन मिशन (जेजेएम)- हर घर जल का क्रियान्वयन कर रही है। राज्य द्वारा सूचित किए गए अनुसार, बिहार में 1.72 करोड़ ग्रामीण परिवारों में से 1.60 करोड़ (92.78% ) परिवारों के पास उनके घरों में नल जल आपूर्ति उपलब्ध है। राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों द्वारा दी गई सूचना के अनुसार, ग्रामीण परिवारों में नल जल कनेक्शन की राज्य / संघ राज्य क्षेत्र, जिला और गांव-वार स्थिति पब्लिक डोमेन में है और जेजेएम डैशबोर्ड के निम्नलिखित लिंक पर उपलब्ध है।राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के लिए जल जीवन मिशन के अंतर्गत निधियों का आवंटन करते समय रासायनिक संदूषणों से प्रभावित बसावटों में रहने वाली आबादी को 10% भारांक महत्व दिया जाता है।
उत्तर में आगे कहा गया कि जल जीवन मिशन के अंतर्गत, नल जल कनेक्शन के माध्यम से परिवार हेतु पीने योग्य नल जलापूर्ति की योजना बनाते समय गुणवत्ता प्रभावित बसावटों को प्राथमिकता दी जानी है। चूंकि किसी सुरक्षित जल स्रोत पर आधारित पाइपगत जलापूर्ति योजना की आयोजना, क्रियान्वयन तथा इसके कार्यरत होने में समय लगता है, अत: मात्र एक अंतरिम उपाय के रूप मैं, राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को विशेष रूप से आर्सेनिक तथा फ्लोराइड प्रभावित बसावटों में परिवारों की पीने और खाना पकाने की आवश्यकताओं को पूरा करने हेतु 8-10 लीटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन (एलपीसीडी) की दर से प्रत्येक परिवार हेतु पीने योग्य जल उपलब्ध कराने के लिए सामुदायिक जल शुद्धिकरण संयंत्र (सीडब्ल्यूपीपी) संस्थापित करने की सलाह दी गई है।केंद्रीय भू-जल बोर्ड देशभर में विभिन्न वैज्ञानिक अध्ययनों तथा भू-जल निगरानी कार्यक्रम के दौरान क्षेत्रीय स्तर पर भू-जल गुणवत्ता डाटा का सृजन करता है। उपचारात्मक कार्रवाई करने, जागरूकता का प्रसार करने तथा उपयोग की निगरानी करने के लिए संबंधित राज्य सरकारों के साथ भू-जल गुणवत्ता संबंधी डाटा साझा कर दिया जाता है।