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क्या प्रेम में रहना सच में मुश्किल है…?

आभा शुक्ला

रिश्ते क्यों टूट जाते हैं….? क्या प्रेम में रहना सच में मुश्किल है…? हम प्रेम में आख़िर क्या चाहते हैं…? वक़्त…प्रेम में वक़्त चाहिए …साथ तब ही महसूस होता है जब दो लोग दूरियों में भी किसी तरह जुड़ कर साथ वक़्त गुज़ारे…ये ख़बर मिलती रहे कि तमाम व्यस्तता में तुम याद आ रही हो।कि देखो अभी चाय पीते वक़्त तुम्हारा ख़याल आ रहा… साथ होती तो तुम चाय बना लाती…कि जो तुम अभी नहीं तो तुम्हें सोचते हुए ये तस्वीर खींची है….सामने खिले गुलमोहर की, तुम पीली साड़ी में ऐसी ही दिखती हो।कि देखा है अभी सड़क क्रॉस करते हुए एक लड़के को… ख़ुद भीड़ की तरफ़ चलने लगा अपनी महबूबा को भीड़ से बचाने के लिए ,उसे देख कर लगा तुम होती तो शायद मैं भी ऐसा ही करता…

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Missing you….
क्या इतना भी नहीं किया जा सकता प्रेम में..? कहाँ माँगते हैं लोग प्रेम में महँगे गिफ़्ट्स यार…जो प्रेम में हैं उन्हें बस महबूब का वक़्त चाहिए,थोड़ा दुलार दो …उसी में प्रेम वालों की दुनिया ख़ूबसूरत हो जाती है….क्या प्रेम में दुलार देना, बेवजह कॉल करके love you बोल देना नामुमकिन हो गया है..?नहीं…ऐसा नहीं हुआ होगा ,और जो हो भी गया है तो ठहर कर सोचो कितने जतन से महबूब मिलते हैं…. प्रेम होता है…..सपने सजाते हैं… फिर ऐसे कैसे चले जाने देंगे..बाक़ी चीज़ों के लिए एफ़र्ट लेते हैं न, प्रेम के लिए भी लीजिए न.. .दुनिया को मुहब्बत वालों की दरकार है…रुक कर कीजिए न इश्क़।

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