नयी दिल्ली:भारत राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार संसद के केन्द्रीय कक्ष में देश के पंद्रहवें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली।श्रीमती मुर्मू द्वारा इस अवसर पर दिए गए भाषण का मूल पाठ इस प्रकार है- “देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर निर्वाचित करने के लिए में सभी सांसदों और सभी विधानसभा सदस्यों का हार्दिक आभार व्यक्त करती हूं। आपका मत देश के करोड़ों नागरिकों के विश्वास की अभिव्यक्ति है।मैं भारत के समस्त नागरिकों की जाशा-आकांक्षा और अधिकारों की प्रतीक इस पवित्र संसद से सभी देशवासियों का पूरी विनम्रता से अभिनंदन करती है आपकी आत्मीयता आपका विश्वास और आपका सहयोग, मेरे लिए इस नए दायित्व को निभाने में मेरी बहुत बड़ी ताकत होंगे।” उन्होंने कहा कि मुझे राष्ट्रपति के रूप में देश ने एक ऐसे महत्वपूर्ण कालखंड में चुना है जब हम इस वर्ष अपनी आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। आज से कुछ दिन बाद ही देश अपनी स्वाधीनता के 75 वर्ष पूरे करेगा। श्रीमती मुर्मू ने कहा ये भी एक संयोग है कि जब देश अपनी आजादी के 50वें वर्ष का पर्व मना रहा था तभी मेरे राजनीतिक जीवन की गुरुजात हुई थी और आज आजादी के 75वें वर्ष में मुझे ये नया दायित्व मिला है।
राष्ट्रपति ने कहा कि ऐसे ऐतिहासिक समय में जब भारत अगले 25 वर्षों के विजन को हासिल करने के लिए हम पूरी ऊर्जा से जुटे हुए हैं, मुझे ये जिम्मेदारी मिलना मेरे लिए बहुत बड़े सौभाग्य की बात है। उन्होंने कहा, “मैं देश की ऐसी पहली राष्ट्रपति भी हूँ जिसका जन्म आजाद भारत में हुआ है। हमारे स्वाधीनता सेनानियों ने आजाद हिंदुस्तान के हम नागरिकों से जो अपेक्षाएं की थी, उनकी पूर्ति के लिए इस अमृतकाल में हमें तेज गति से काम करना है।” उन्होंने कहा कि इन 25 वर्षों में अमृतकाल की सिद्धि का रास्ता दो पटरियों पर आगे बढ़ेगा सबका प्रयास और सबका कर्तव्य उन्होंने कहा कि भारत के उज्ज्वल भविष्य की नई विकास यात्रा, हमें सबके प्रयास से करनी है, कर्तव्य पथ पर चलते हुए करनी है।
श्रीमती मुर्मू ने कहा मंगलवार को (26 जुलाई को ) कारगिल विजय दिवस भी है। यह दिन देश की सेनाओं के शौर्य और संयम दोनों का ही प्रतीक है। मैं जाज, देश की सेनाओं को तथा देश के समस्त नागरिकों को कारगिल विजय दिवस की अग्रिम शुभकामनाएं देती हूँ।उन्होंने अपनी जीवन यात्रा के बारे में बताते हुए कहा कि मैंने अपनी जीवन यात्रा पूर्वी भारत में जोडिशा के एक छोटे से आदिवासी गाँव से शुरू की थीं। में जिस पृष्ठभूमि से आती हूँ, वहां मेरे लिये प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करना भी एक सपने जैसा ही था, लेकिन अनेक बाधाओं के बावजूद मेरा संकल्प दूढ़ रहा और में कॉलेज जाने वाली अपने गांव की पहली बेटी बनी। में जनजातीय समाज से हूँ, और निगम पार्षद से लेकर देश की राष्ट्रपति बनने तक का अवसर मुझे मिला है। यह लोकतंत्र की जननी भारतवर्ष की महानता है। उन्होंने कहा कि यह हमारे लोकतंत्र की ही शक्ति है कि उसमें एक गरीब घर में पैदा हुई बेटी दूर सुदूर आदिवासी क्षेत्र में पैदा हुई बेटी, भारत के सर्वोच्च संवैधानिक पद तक पहुंच सकती है। श्रीमती मुर्मू ने कहा कि राष्ट्रपति के पद तक पहुँचना, मेरी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, ये भारत के प्रत्येक गरीब की उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि मेरा निर्वाचन इस बात का सबूत है कि भारत में गरीब सपने देख भी सकता है और उन्हें पूरा भी कर सकता है। यह मेरे लिए बहुत संतोष की बात है कि जो सदियों से वंचित रहे, जो विकास के लाभ से दूर रहे, वे गरीब, दलित, पिछड़े तथ आदिवासी मुझ में अपना प्रतिबिंब देख रहे हैं। मेरे इस निर्वाचन में देश के गरीब का आशीर्वाद शामिल है, देश की करोड़ों महिलाओं और बेटियों के सपनों और सामर्थ्य की हालक है। उन्होंने कहा कि मेरे इस निर्वाचन में, पुरानी लीक से हटकर नए रास्तों पर चलने वाले भारत के आज के युवाओं का साहस भी शामिल है। ऐसे प्रगतिशील भारत का नेतृत्व करते हुए आज में खुद को गौरवान्वित महसूस कर रही हूँ। मैं आज समस्त देशवासियों को, विशेषकर भारत के युवाओं को तथा भारत की महिलाओं को में विश्वास दिलाती हूँ कि इस पद पर कार्य करते हुए मेरे लिए उनके हित सर्वोपरि होंगे।
राष्ट्रपति ने कहा कि मेरे सामने भारत के राष्ट्रपति पद की ऐसी महान विरासत है जिसने विश्व में भारतीय लोकतन्त्र की प्रतिष्ठा की निरंतर मजबूत किया है। देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद से लेकर श्री राम नाथ कोविन्द जी तक अनेक विभूतियों ने इस पद को सुशोभित किया है। इस पद के साथ साथ देश ने इस महान परंपरा के प्रतिनिधित्व का दायित्व भी मुझे सौंपा है।संविधान के आलोक में, मैं पूरी निष्ठा से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करूंगी। मेरे लिए भारत के लोकतांत्रिक-सांस्कृतिक आदर्श और सभी देशवासी हमेशा मेरी ऊर्जा के स्रोत रहेंगे।
श्रीमती मुर्मू ने कहा कि हमारे स्वाधीनता संग्राम ने एक राष्ट्र के तौर पर भारत की नई यात्रा की रूपरेखा तैयार की थी। हमारा स्वाधीनता संग्राम उन संघर्षों और बलिदानों की अविरल धारा था जिसने आजाद भारत के लिए कितने ही आदशों और सभावनाओं को सींचा था। उन्होंने कहा कि पूजा बापू ने हमें स्वराज स्वदेशी स्वच्छता और सत्याग्रह द्वारा भारत के सांस्कृतिक आदर्शी की स्थापना का मार्ग दिखाया था। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, नेहरू जी. सरदार पटेल, बाबा साहेब आंबेडकर, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरू, चन्द्रशेखर आजाद जैसे जनगिनत स्वाधीनता सैनानियों ने हमें राष्ट्र के स्वाभिमान को सर्वोपरि रखने की शिक्षा दी थी रानी लक्ष्मीबाई, रानी तु नचिवार, रानी गाइदिन्ल्यू और रानी चेन्नम्मा जैसी अनेकों वीरांगनाओं ने राष्ट्ररक्षा और
राष्ट्रनिर्माण में नारीशक्ति की भूमिका को नई ऊंचाई दी थी। संथाल क्रांति, पाइका क्रांति से लेकर कोल क्रांति और भील क्रांति ने स्वतंत्रता संग्राम में आदिवासी योगदान को और सशक्त किया था। उन्होंने कहा कि सामाजिक उत्थान एवं देश-प्रेम के लिए धरती आबा भगदान बिरसा मुंडा जी के बलिदान से हमें प्रेरणा मिली थी।
मुझे खुशी है कि आजादी की लड़ाई में जनजातीय समुदाय के योगदान को समर्पित अनेक संग्रहालय देशभर में बनवाए जा रहे हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि एक संसदीय लोकतंत्र के रूप में 75 वर्षों में भारत ने प्रगति के संकलर को सहभागिता एवं सर्वसम्मति से आगे बढ़ाया है। हमारे विविधताओं से भरे देश में हम अनेक भाषा, धर्म, संप्रदाय, खान-पान, रहन-सहन, रीति रिवाजों को अपनाते हुए एक भारत श्रेष्ठ भारत के निर्माण में सक्रिय है। उन्होंने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष के अवसर पर आया ये अमृतकात भारत के लिए नए संकल्पों का कालखंड है। आज में इस नए युग के स्वागत में अपने देश को नई सोच के साथ तत्पर और तैयार देख रही हूँ। हमारा देश आज हर क्षेत्र में विकास का नया अध्याय जोड़ रहा है। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के वैश्विक संकट का सामना करने में भारत ने जिस तरह का सामर्थ्य दिखाया है, उसने पूरे विश्व में भारत की साख बढ़ाई है और लोहा मनवाया है। हम हिंदुस्तानियों ने अपने प्रयास से न सिर्फ इस वैश्विक चुनौती का सामना किया बल्कि दुनिया के सामने नए मापदंड भी स्थापित किए। उन्होंने कहा कि कुछ ही दिन पहले भारत ने कोरोना वैक्सीन की 200 करोड़ डोज लगाने का कीर्तिमान स्थापित किया है और विश्व में 200 करोड़ से ज्यादा डोज देने वाला दूसरा देश बन गया है। उन्होंने कहा कि कोरोना की इस पूरी जंग में भारत के लोगों ने जिस संयुग, साहस और सहयोग का परिचय दिया वो एक समाज के रूप में हमारी बढ़ती हुई शक्ति और संवेदनशीलता का प्रतीक है। भारत ने इन मुश्किल हालात में न केवल खुद को संभाला बल्कि दुनिया की मदद भी की। कोरोन महामारी से बने माहौल में आज दुनिया भारत को नए विश्वास से देख रही है। दुनिया की आर्थिक स्थिरता के लिए सप्लाई चेन की सुगमता के लिए और वैश्विक शांति के लिए दुनिया को भारत से बहुत उम्मीदें हैं। श्रीमती मुर्मू ने कहा कि आगामी महीनों में भारत अपनी अध्यक्षता में जी-20 ग्रुप की मेजबानी भी करने जा रहा है। इसमें दुनिया के बीस बड़े देश भारत की अध्यक्षता में वैश्विक विषयों पर मंचन करेंगे। मुझे विश्वास है भारत में होने वाले इस धन से जो निष्कर्ष और नीतियाँ निर्धारित होंगी, उनसे आने वाले दशकों की दिशा तय होगी। राष्ट्रपति ने कहा कि दशकों पहले मुझे ओडिशा के रायरंगपुर में श्री अरविंदो इंटीग्रल स्कूल में शिक्षक के रूप में कार्य करने का अवसर मिला था। कुछ ही दिनों बाद श्री अरविंदो की 150वी जन्मजयंती मनाई जाएगी। शिक्षा के बारे में श्री अरबिंदो के विचारों ने मुझे निरंतर प्रेरित किया है। उन्होंने कहा कि एक जनप्रतिनिधि के रूप में विभिन्न पदों पर कार्य करते हुए और फिर राज्यपाल के रूप में भी मेरा शिक्षण संस्थानों के साथ सक्रिय जुड़ाव रहा है। मैंने देश के युवाओं के उत्साह और आत्मबल को करीब से देखा है। हम सभी के श्रद्धेय अटल जी कहा करते थे कि देश के ख़ुदा जब आगे बढ़ते है तो वे सिर्फ अपना ही भाग्य नहीं बनाते बल्कि देश का भी भाग्य बनाते हैं। आज हम इसे सच होते देख रहे हैं। श्रीमती मुर्मू ने कहा वोकल फॉर लोकर से लेकर डिजिटल इंडिया तक हर क्षेत्र में आज भारत आगे बढ़ रहा है भारत विश्व के साथ कदम से कदम मिला कर औद्योगिक क्रांति फोर पॉइंट ऑ के लिए पूरी तरह तैयार है। देश में रिकॉर्ड संख्या में बन रहे स्टार्ट-अप्स में, नए-नए नवाचार में, दूर- सुदूर क्षेत्रों में डिजिटल टेक्नोलॉजी की स्वीकार्यता में भारत के युवाओं को बड़ी भूमिका है।
उन्होंने कहा कि बीते वर्षों में भारत ने जिस तरह महिला सशक्तिकरण के लिए निर्णय लिए हैं, नीतियां बनाई है, उसने भी देश में एक नई शक्ति का संचार हुआ है। उन्होंने कहा, “मैं चाहती हूँ कि हमारी सभी बहने व बेटियां अधिक से अधिक सशक्त हों तथा वे देश के हर क्षेत्र में अपना योगदान बढ़ाती रहें। मैं अपने देश के युवाओं से कहना चाहती हूं कि आप न केवल अपने भविष्य का निर्माण कर रहे हैं बल्कि भविष्य के भारत की नींव भी रख रहे हैं। देश के राष्ट्रपति के तौर पर मेरा हमेशा आपको पूरा सहयोग रहेगा।”
राष्ट्रपति ने कहा कि विकास और प्रगतिशीलता का अर्थ देश का निरंतर आगे बढ़ना होता है, लेकिन साथ ही अपने अतीत का ज्ञान भी उतना ही आवश्यक है। आज जब विश्व दीर्घकालिक प्लानेट की बात कर रहा है तो उसमें भारत की प्राचीन परंपराओं, हमारे अतीत को दीर्घकालिक जीवनशैली की भूमिका और बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि मेरा जन्म तो उस जनजातीय परपर में हुआ है जिसने हजारों वर्षों से प्रकृति के साथ ताल मेल बनाकर जीवन को आगे बढ़ाया है। मैंने जंगल और जलाशयों के महत्व को अपने जीवन में महसूस किया है। हम प्रकृति से जरूरी संसाधन लेते है और उतनी ही श्रद्धा से प्रकृति की सेवा भी करते हैं। यहाँ संवेदनशीलता आज वैश्विक अनिवार्यता बन गई है। मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि भारत पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में विश्व का मार्गदर्शन कर रहा है।
राष्ट्रपति ने अपने भाषण में अंत में कहा, “मैंने अपने अब तक के जीवन में जनसेवा में ही जीवन की सार्थकता को अनुभव किया है।” उन्होंने श्री जगन्नाथ क्षेत्र के एक प्रख्यात कवि भीम भोई जी की कविता की एक पंक्ति के बारे में बताते हुए कहा” मो जीवन पर्छ नकें पढ़ी थाउ, जगत उद्धार हेउ” अर्थात, अपने जीवन के हित अहित से बड़ा जगत कल्याण के लिए कार्य करना होता है। ” उन्होंने कहा कि जगत कल्याण की इसी भावना के साथ, मैं आप सब के विश्वास पर खरा उतरने के लिए पूरी शिक्षा और लगन से काम करने के लिए सदैव तत्पर रहूंगी। श्रीमती मुर्मू ने कहा, आइए, हम सभी एक जुट होकर समर्पित भाव से कर्तव्य पथ पर जागे बढ़ें तथा वैभवशाली व आत्मनिर्भर भारत का निर्माण करें। जय हिन्द।