नई दिल्ली:केंद्र की पूर्वर्ती सरकार और कांग्रेस पर तुष्टीकरण का आरोप लगाकर सुर्खियों में आने वाले और केंद्र की सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी और उसका शीर्ष नेतृत्व अब खुद तुष्टीकरण के आरोप से घिर गया है । 2014 के बाद देश के नए हालात में कई दफा हिंदू मुस्लिम को केंद्र में रखकर न सिर्फ राजनीति की गई बल्कि मंदिर मस्जिद कब्रिस्तान श्मशान की बहस को हवा देकर सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने की कोशिश भी की गई । ये ऐसे आरोप थे जो समय समय पर केंद्र की भारतीय जनता पार्टी की सरकार और उसके कई शीर्ष नेताओं पर लगते रहे हैं । भारतीय जनता पार्टी मूल रूप से हिंदू मुस्लिम राजनीति के सहारे ही इस मुकाम तक पहुंची है यह बात कोई ढकी छुपी नहीं है । समय-समय पर इसका आरोप विपक्ष के साथ-साथ बुद्धिजीवी वर्ग भी लगाता रहा है । हालांकि भारतीय जनता पार्टी तुष्टीकरण का आरोप कांग्रेस पर लगाती आई है और उसका कहना है कि कांग्रेस पार्टी अल्पसंख्यकों का तुष्टीकरण करती है ।
इन सबके बावजूद जम्मू कश्मीर में आने वाले दिनों में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों के सिलसिले में राज्य के दौरे पर पहुंचे केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का एक भाषण इन दिनों सुर्खियों में है । अब विपक्ष समेत आम लोग भी गृह मंत्री के इस कदम की न सिर्फ आलोचना कर रहे हैं बल्कि कहा यह जाने लगा है कि पिछले 8 सालों से केंद्र की सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी जब कई मुद्दों पर घिरती हुई नजर आ रही है और महंगाई बेरोजगारी समेत कई मुद्दे उसके गले की हड्डी बन रहे हैं ऐसे में भारतीय जनता पार्टी भी तुष्टीकरण की और अग्रसर है ।
दरअसल केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह बुधवार को जम्मू-कश्मीर के बारामूला पहुंचे और लोगों को संबोधित किया। खास बात है कि उन्होंने पास की मस्जिद में जारी अजान के लिए अपना भाषण बीच में ही रोक दिया था। शाह तीन दिनों के दौरे पर जम्मू-कश्मीर पहुंचे हैं। मंगलवार को उन्होंने राजौरी में एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे।बारामूला में शाह को सुनने के लिए लोगों की भीड़ जुटी थी। मंच से खुद गृहमंत्री भी पूरे जोश में संबोधन दे रहे थे, लेकिन इसी बीच उन्हें पता चला की पास ही मस्जिद में अजान शुरू हो गई है। यह खबर लगते ही उन्होंने अपना भाषण बीच में रोक दिया। उन्होंने कहा, ‘मुझे अभी चिट्ठी मिली है कि मस्जिद में अभी समय हुआ है प्रार्थना का, अब समाप्त हो गया है।’
केंद्रीय गृहमंत्री के इस कदम से भारतीय राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप के साथ-साथ भारतीय जनता पार्टी पर तुष्टीकरण का आरोप लगने लगा है। सोशल मीडिया से लेकर तमाम जगहों पर अमित शाह के इस कदम पर प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गई हैं जिसमें जहां कई लोग इसे जम्मू कश्मीर में सत्ता की ललक बता रहे हैं वही लोगों की एक बड़ी तादाद इसे भारतीय जनता पार्टी की विफलता को छुपाने के लिए और सिसकते जनाधार की भरपाई के लिए अल्पसंख्यकों का तुष्टीकरण बता रहे हैं।
बहरहाल जो भी हो लेकिन केंद्रीय गृहमंत्री का अजान के वक्त भाषण रोक देना सराहनीय तो है ही लेकिन विपक्ष के साथ-साथ आम लोग भी यह सोचने पर मजबूर है कि अल्पसंख्यकों की कट्टर विरोधी भारतीय जनता पार्टी और उसके शीर्ष नेता की आखिर क्या मजबूरी है कि वह जो आरोप कांग्रेस और विपक्ष पर लगाती आ रही है वह खुद उस पर भी लगने शुरू हो गए हैं।