आर के जैन
एक समाचार है कि वर्ष 2022 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए दो भारतीय पत्रकारों का नाम भी विजेताओं की संभावित सूची में है । फ़ैक्ट चेक वेबसाइट ऑल्ट न्यूज़ के पत्रकार मोहम्मद ज़ुबैर व प्रतीक सिन्हा के अलावा विभिन्न देशों व संस्थाओं के 8 नाम और हैं जिनके नामों पर नोबेल पुरस्कार समिति विचार कर रही हैं और विजेता की घोषणा दिनांक 7 अक्तूबर को की जाएगी ।यह पूरे देश के लिए गर्व की बात है कि इस वर्ष विश्व के सबसे बड़े व प्रतिष्ठित नोबेल शांति पुरस्कार समिति दो भारतीयो के नामों पर भी विचार कर रही हैं ।
नोबेल पुरस्कार प्रति वर्ष भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, चिकित्सा, साहित्य, अर्थ शास्त्र व शांति के लिए दिये जाते है । हालाँकि नोबेल पुरस्कारों के विजेताओं के नामों पर विवाद शायद ही कभी हुऐ हो पर शांति के क्षेत्र में दिये गये नामों पर यदा कदा विवाद होते रहे है ।
आज़ादी के बाद से कुल 3 भारतीय नागरिकों को नोबेल पुरस्कार मिले हैं जिनमें से शांति के लिए मदर टेरेसा व कैलाश सत्यारथी को तथा अमर्त्य सेन को अर्थ शास्त्र के लिए मिला है । गुरुदेव रविंद्र नाथ टेगौर को साहित्य व डा. सीवी रमन को भौतिकी के लिए आज़ादी से पहले नोबेल पुरस्कार मिले थे। यद्यपि डा. हरगोविंद खुराना को चिकित्सा,डा. सुब्रमण्यम चंद्र शेखर को भौतिकी, डा. वेंकटरमन राम कृष्णन को रसायन विज्ञान तथा डा. अभिजीत बनर्जी को अर्थ शास्त्र के नोबेल पुरस्कार मिले हैं पर यह चारों जन्म से तो भारतीय थे पर इन की नागरिकता भारतीय नहीं थी ।
वैसे तो नोबेल पुरस्कार समिति शुरू से ही अपनी निष्पक्षता, योग्य उम्मीदवारों के मूल्यांकन तथा चयन के लिए जानी जाती हैं पर पहले यह भी दबाव में आती रही है । महात्मा गाँधी जी जिन्हें पूरा विश्व सत्य व शांति का पर्याय मानता था और जो साम्राज्यवाद की अन्यान्य व शोषण की दमनकारी नीतियों के विरुद्ध अहिंसक तरीक़े से लड़ रहा था का नाम छह बार नोबेल शांति पुरस्कार के लिए आया था पर नोबेल पुरस्कार समिति ने उनके नाम पर इसलिए विचार नहीं किया था कि उन्हें पुरस्कार देने से इंग्लैंड नाराज़ हो जायेगा क्योंकि गांधी जी आज़ादी की लड़ाई इंग्लैंड के ख़िलाफ़ लड़ रहे थे। ख़ैर यह बात अलग है कि गाँधी जी को नोबेल पुरस्कार देने से गॉधी जी का नहीं बल्कि नोबेल पुरस्कारों का सम्मान और बढ़ जाता । जिस व्यक्ति को उसके जीवन काल में ही पूरा विश्व बुद्ध और ईसा की श्रेणी में रखने लगा था तो उसके लिए नोबेल पुरस्कार क्या अहमियत रखते थे । नोबेल पुरस्कार समिति को जीवन भर इसका अफ़सोस रहेगा और इसे वह स्वीकार भी कर चुके है ।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि जिन दो भारतीय नागरिकों के नाम संभावित विजेताओं की सूची में है , का नाम गाँधी जी कै नाम की तरह किसी के दबाव या लिहाज़ में हटा तो नहीं दिया जायेगा । वैसे उम्मीद तो यही है कि नोबेल पुरस्कार समिति अब ऐसे किसी दबाव या लिहाज़ में नहीं आयेगी ।
मैं मोहम्मद ज़ुबैर व प्रतीक सिन्हा जी के लिए शुभकामनाएँ प्रेषित करता हूँ और दुआ करता हूँ कि इस बार का शांति पुरस्कार उन्हें ज़रूर मिले जिससे हमारे देश का नाम रोशन हो और हम सब देशवासी गौरवान्वित हो सके।