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‘भारतीय स्वाधीनता संग्राम में हिन्दी साहित्य की भूमिका’ विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी

पटना:ए. एन. कॉलेज,पटना तथा उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में ‘भारतीय स्वाधीनता संग्राम में हिन्दी साहित्य की भूमिका’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन बिहार विधान सभा के अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी के द्वारा किया गया। इस अवसर पर विधान सभा अध्यक्ष ने कहा कि ए. एन. कॉलेज लगातार प्रगति कर रहा है। उन्होंने अनुग्रह बाबू को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि वे समतामूलक सोच के धनी थे। उनकी स्मृति में बना यह महाविद्यालय शिक्षा और शोध के प्रसार में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि साहित्यकारों की जिम्मेदारी कभी खत्म नहीं हो सकती है। साहित्यकारों को साहित्य के साथ-साथ समाज के प्रति भी अपने उत्तरदायित्व का निर्वहन करना पड़ता है। समाज में हो रहे कार्यों की जानकारी प्रत्येक व्यक्ति को होती है किंतु उन कार्यों का समाज पर पड़ने वाले प्रभावों का चिंतन और चित्रण साहित्यकारों के द्वारा ही किया सकता है।

लखनऊ विश्वविद्यालय में हिन्दी विभाग के अवकाश प्राप्त प्राध्यापक तथा पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो.सूर्य प्रसाद दीक्षित ने कहा कि 1857 के स्वतंत्रता आंदोलन के प्रसार में साहित्यकारों की भूमिका का कोई समकालीन साक्ष्य नही है। 1880 के बाद साहित्यकारों के द्वारा राष्ट्रीय चेतना का प्रसार प्रारंभ हुआ। अजीमुल्ला खान, श्यामलाल तथा अन्य साहित्यकारों द्वारा झंडा गीत तथा अन्य गीतों के द्वारा भारत भूमि का मानवीकरण किया गया,जिससे राष्ट्रीय भावना का वृहत्तर विकास हुआ।इन कवियों में मैथलीशरण गुप्त, श्यामलाल, सियाराम शरण गुप्त आदि कवियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।इसके बाद के जेल भरो आंदोलन में माखन लाल चतुर्वेदी, बालेंदु शर्मा नवीन, सुभद्रा कुमारी चौहान, कन्हैया लाल प्रभाकर,द्वारिका प्रसाद मिश्र, नरेंद्र शर्मा, नागार्जुन जैसे साहित्यकारों ने अपने लेखों और कविताओं से लोगो को जागरूक किया। साहित्यकारों के कदम-कदम बढ़ाये जा जैसे गीत और इंकलाब-जिंदाबाद जैसे नारे और प्रयाण गीत दिए। काकोरी कांड को अंजाम देने वालों में राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाकउल्लाह खान, राजेंद्र लाहिड़ी भी अपने क्रांति गीत से अंग्रेजी हुकूमत की नींव हिला दी थी।

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इसके पहले अपने स्वागत भाषण में महाविद्यालय के प्रधानाचार्य प्रो.एस.पी.शाही ने कहा महाविद्यालय अध्यापन के साथ सामाजिक सरोकारों में भी सदैव आगे रहता है। महाविद्यालय के संस्थापक पूज्य सत्येंद्र बाबू और उनकी धर्मपत्नी किशोरी ने महाविद्यालय के विकास में हमेशा लगे रहते थे। उनके आशीर्वाद से और शिक्षकों, शिक्षकेत्तर कर्मचारियों के अथक प्रयास से महाविद्यालय लगातार तीन बार नैक में ए ग्रेड प्राप्त कर रहा है।मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आधारभूत संरचना के विकास के लिए लगभग चालीस करोड़ की राशि दी है, जिसके लिए महाविद्यालय उनका सदैव आभारी रहेगा। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी का स्वागत करते हुए प्रधानाचार्य ने कहा कि उनके कार्यकाल में विधानसभा संसदीय मानदंडों को अपनाने में अग्रणी रहेगा।

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इस कार्यक्रम में प्रो.कलानाथ मिश्र द्वारा लिखित किताब ‘सृजन के प्रतिमान’ का लोकार्पण भी किया गया। कार्यक्रम का संचालन महाविद्यालय के हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रो.कलानाथ मिश्र ने किया।धन्यवाद ज्ञापन डॉ. अमिता दुबे ने किया।कार्यक्रम के प्रथम दिन के पहले सत्र में प्रो.प्रेम जनमेजय,प्रो.जावेद अख्तर खान,डॉ. बीरेंद्र नाथ मिश्र ने लोगों को संबोधित किया। प्रथम सत्र का संचालन डॉ. विद्या भूषण ने लिया और धन्यवाद ज्ञापन डॉ.संजय कुमार सिंह ने किया। कार्यक्रम में देश के प्रख्यात साहित्यकारों, शिक्षकों, शोधार्थियों और विद्यार्थियों ने भाग लिया।

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