जबलपुर।राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत(MOHAN BHAGWAT) ने रविवार को जबलपुर के महारानी लक्ष्मी बाई कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के मैदान में कुटुंब एकत्रीकरण कार्यक्रम में कहा कि सामाजिक समरसता का व्यवहार हर परिवार में आवश्यक है। पड़ोस, कुटुंब और कार्यस्थल में हमें समानता के आचरण को स्थापित करना है। हमारे निकट रहने वाले परिवार किसी भी जाति के हों, हमारे आत्मीय व्यवहार के दायरे में होने चाहिए। हमारे यज्ञ, हवन, पारिवारिक कार्यक्रमों में उनकी भी भागीदारी होनी चाहिए। सभी प्रकार के भेद समाप्त होने चाहिए। संघ की शाखा, संघ के कार्यक्रमों में किसी की जाति नहीं पूछी जाती। सब साथ खाते-पीते हैं, मिलकर काम करते हैं, हर घर में ऐसा वातावरण बनाना है।स्वयंसेवकों के परिवारों से भागवत ने कहा कि समाज में कुटुंब के नाते एक उदाहरण प्रस्तुत करना हमारा कर्तव्य है। स्वभाषा, स्वदेशी का आचरण, देश-समाज के लिए अपने धन-साधनों का उपयोग, सबकी देखरेख, सब प्रकार के योग्य आचरण की आज आवश्यकता है। सारी व्यवस्था गृहस्थ आश्रम पर चलती है। ब्रह्मचर्य आश्रम जीवन की तैयारी है। वानप्रस्थी बुजुर्ग छोटों के लिए संवाद का स्थान बनते हैं। जगत का कल्याण करते हुए आत्म मोक्ष की साधना करने वाले त्यागी संन्यासी तो हमारे नैतिक, आध्यात्मिक सब प्रकार के आधार हैं। ये तीनों आश्रम गृहस्थाश्रम पर आश्रित हैं। दुनिया के प्रबुद्ध लोग भारतीय कुटुंब व्यवस्था का गहराई से अध्ययन करने के लिए प्रेरित हुए हैं।
मोदी जी हमारे स्वयंसेवक हैं : मोहन भागवत
मोहन भागवत ने कहा, जब कोई आरएसएस के बारे में बात करता है तो लोग विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के बारे में भी सोचते हैं और उस संगठन में भी स्वयंसेवक हैं एवं उनकी सोच भी समान है. भागवत ने कहा, संघ कहने के बाद लोग मोदी जी का नाम लेते हैं. मोदी जी हमारे स्वयंसेवक हैं. भागवत ने कहा, संघ कहने के बाद आपको विश्व हिंदू परिषद दिखती है. विश्व हिंदू परिषद में स्वयंसेवक हैं और उनके विचार एवं संस्कार स्वयंसेवक जैसे ही हैं, परंतु ये सब स्वतंत्र और अलग स्वयंसेवकों के किए हुए काम हैं. ये संघ नहीं है.
हिंदू धर्म कोई धर्म नहीं है बल्कि जीने का एक तरीका है : भागवत
मोहन भागवत ने कहा, संघ एक अलग और स्वतंत्र काम है, स्वयंसेवक सब जगह हैं, इसलिए संबंध रहता है जिससे अच्छे कामों में मदद होती है, परंतु संघ का उन पर प्रत्यक्ष या परोक्ष नियंत्रण नहीं होता है. भागवत ने कहा कि हिंदू धर्म कोई धर्म नहीं है बल्कि जीने का एक तरीका है, यह एक परंपरा है, जिसे विभिन्न पंथों, जातियों और क्षेत्रों द्वारा पोषित किया गया है. भागवत छत्तीसगढ़ का दौरा करने और वहां आरएसएस पदाधिकारियों के साथ बातचीत करने के बाद बृहस्पतिवार को चार दिवसीय दौरे पर जबलपुर पहुंचे. मोहन भागवत ने कहा कि लोग मोदी को स्वयंसेवक बताते हैं, जो सही है. वीएचपी आरएसएस से जुड़ा हुआ नहीं है और ना ही संघ डायरेक्ट या इनडायरेक्ट रिमोट से दोनों को नियंत्रित करता है. दरअसल आरएसएस प्रमुख शुक्रवार को जबलपुर में प्रबुद्ध लोगों की गोष्ठी में शरीक हुए. इस दौरान उन्होंने ये भी कहा कि दोनों संघ का मार्गदर्शन लेने के लिए स्वतंत्र हैं और लेते भी हैं.आरएसएस प्रमुख ने फिर कहा कि हिंदू धर्म नहीं बल्कि जीने का तरीका है. यह एक परंपरा है और इसे विभिन्न पंथों, जातियों और क्षेत्रों द्वारा पोषित किया जा रहा था. जो भी सामान्य परंपराओं को मानता है, वो इसी परिभाषा में आता है. अपने संबोधन मे आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने लोगों को आदर्श समाज के निर्माण में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से संघ में शामिल होने के लिए कहा.