पटना:बिहार प्रदेश राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राणा रणवीर सिंह के नेतृत्व में पटना के विभिन्न सड़को पर भाजपा के खिलाफ धिक्कार यात्रा निकालकर भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी को देशद्रोही बताया एवं पुतला दहन किया इस दौरान एनसीपी के कार्यकर्ता काफ़ी आक्रोशित थे एवं भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे। ज्ञात हो कि बीते दिनों भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने शिवाजी महाराज के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी किया था उसी के खिलाफ आज एनसीपी नेता एवं कार्यकर्ता सड़को पर भाजपा नेता का विरोध किया। श्री राणा ने आम जनता को संबोधित करते हुए कहा कि शिवाजी महाराज का बार बार अपमान करने वाली भाजपा को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा अगर सुधांशु त्रिवेदी को गिरफ्तार नहीं किया गया तो एनसीपी सम्पूर्ण देश में भाजपा के नेताओं का बहिष्कार करने के लिए जनता से आग्रह करेगी।
श्री राणा ने छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन के बारे में बताते हुए कहा कि छत्रपति बनने से पहले शिवाजी महाराज राजा थे. वे बेहद कम लगान वसूली पर अपना राज्य चला रहे थे, मराठा सेना ने 1664 में मुग़ल साम्राज्य के बंदरगाह सूरत पर हमला कर दिया. सूरत के खजाने को लूटने की खबर मुग़ल बादशाह औरंगजेब को लगी तो उसने अपने सबसे खास मनसबदार राजपूत राजा जसवंत सिंह को 80,000 सैनिकों के साथ शिवाजी महाराज को सबक सिखाने के लिए भेजा.
1665 में शिवाजी महाराज पूरी तरह मुग़लों से घिर गए. उन्हें मजबूरन मुग़लों के आगे झुकना पड़ा. जिसका नतीजा यह हुआ उन्हें पुरंदर किले में संधि पर हस्ताक्षर करना पड़ा.
उन्होंने कहा कि पुरंदर संधि के अनुसार शिवाजी महाराज अपने 37 किलों में से 23 किले मुग़लों को सौंप देंगे. उनके बेटे संभाजी को मनसबदार की उपाधि दी गई. और युद्घ में जरूरत पड़ने पर शिवाजी महाराज की सेना को मुग़लों को मदद करनी होगी.
इसी संधि के नियमों के तहत औरंगजेब ने शिवाजी महाराज को आगरा बुलाया. आगरा आने पर शिवाजी महाराज का राजाओं की तरह राजशाही स्वागत नही हुआ. उनका स्वागत एक मुंशी ने किया. औरंगजेब के दरबार में उन्हें मनसबदारों के पीछे खड़ा किया गया.
शिवाजी महाराज ने इस अपमान का विरोध किया और दरबार छोड़कर चले गए. लेकिन औरंगजेब ने उन्हें गिरफ्तार कर कैद कर लिया. शिवाजी महाराज पांच महीने तक औरंगजेब के कैद में रहे, उन्होंने कुल चार चिट्टी लिखी यह सच है लेकिन यह माफीनामा नही था केवल अपनी गैरकानूनी कैद का विरोध कर अपनी रिहाई की मांग थी.
उन्होंने कहा कि शिवाजी महाराज चाहते तो अन्य राजाओं की तरह दरबारी बन सकते थे. लेकिन उन्हें मुग़लों का सरपरस्ती कबूल नही थी. वे आगरा में अपने कैदखाने से भाग निकले जो इतिहास बन गया.इसके बाद शिवाजी महाराज के आगे मुग़ल साम्राज्य नरम रुख अख्तियार कर लिया. और बादशाह औरंगजेब ने शिवाजी महाराज को राजा मान लिया. लेकिन शिवाजी महाराज यहीं तक नही रुके उन्होंने धीरे धीरे अपने मराठा साम्राज्य को बढ़ाया और अपने खोए हुए किलों पर दुबारा अधिकार स्थापित किया।
उन्होंने कहा कि 1674 में शिवाजी महाराज ने खुद को छत्रपति घोषित किया लेकिन कोंकण और पुणे के ब्राह्मणों ने शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक करने से इंकार कर दिया. बनारस के पंडित गागा भट ने शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक किया और वे कहलाये छत्रपति शिवाजी महाराज।श्री राणा ने भाजपा एवं आर एस एस के लोगों को अंग्रेजी हुकूमत का दलाल बताते हुए कहा कि जो खुद देशद्रोही हो एवं राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे का पूजा करता हो उसे देश की आन बान और शान की रक्षा करने वाले शूरवीरों से नफ़रत है ऐसे भाजपाई के मुँह पर कालिख़ पोतने का काम बिहार एनसीपी के कार्यकर्ता करेंगें।
धिक्कार यात्रा एवं पुतला दहन कार्यक्रम में पार्टी के दर्जनों लोगों ने हिस्सा लिया जिसमें प्रमुख हैं। अरविंद कुमार सिंह अधिवक्ता , सुनील कुमार सिंह , अविनाश प्रशांत , वरुण कुमार , सुभाष चंद्रा , इंदु सिंह , धुपेन्द्र सिंह , सतीश झा , प्रियंका सिंह , रंजीत यादव , रामजनम प्रसाद यादव , अलाउद्दीन खोपे , नंदकिशोर तांती , विजय उपाध्याय , मोहम्मद शमीम , कामता यादव , करन पासवान , डॉ पारसनाथ , निकेश पासवान , राकेश कुमार , शम्भू साह , नवीन सिंह , सरिता सिंह , राणा संतोष कमल , नीतीश कुमार आदि।