पटना:पत्रकार अहमद रज़ा हाशमी की 75 लघु कथाओं का हिंदी संग्रह ऐसा क्यों? और उर्दू संग्रह दरीचा का लोकार्पण रविवार को महेंद्रु स्थित इकरा हॉल बिहार उर्दू अकादमी के पूर्व सचिव मुस्ताक अहमद नूरी, दूरदर्शन के कार्यक्रम निदेशक डॉ राजकुमार नाहर, पत्रिका नकीब के संपादक मुफ्ती सनाउल होदा कासमी, कौमी तंजीम के मुख्य संपादक अशरफ फरीद, अवामी न्यूज़ के मुख्य संपादक डॉ रेहान गनी, शिक्षाविद सरफराज आलम, जयप्रकाश विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग की अध्यक्ष डॉ अनीता राकेश, अखिल भारतीय लघु कथा मंच के महासचिव और नालंदा महाविद्यालय में शिक्षा विभाग के अध्यक्ष डॉ ध्रुव कुमार, उर्दू काउंसिल हिंद के महासचिव असलम जावेदा, अल हिरा पब्लिक स्कूल के निदेशक मोहम्मद अनवर, जीसस एंड मैरी अकैडमी की प्राचार्य पूजा एंड शर्मा, स्वरांजलि के संयोजक अनिल रश्मि, पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय में उर्दू की विभागाध्यक्ष डॉ शाइस्ता अंजुम नूरी, डॉ. फरहा उस्मानी, प्राचार्य शहजाद रशीद समेत कई गणमान्य लोगों के हाथों हुआ।इस अवसर पर अन्न की बर्बादी को रोकने के लिए स्वरांजलि द्वारा मेरी लघुकथा “अपमान” पर आधारित चलाए जा रहे अभियान के पोस्टर का लोकार्पण भी हुआ।
लोकार्पण समारोह में वक्ताओं ने कहा कि लघुकथा आज के समय की मांग है। मोबाइल के बढ़ते चलन के कारण पाठक किताबों से दूर हो रहे हैं। उन्हें करीब लाने की दिशा में लघुकथा सहायक सिद्ध होगी। लघुकथाओं को नई शिक्षा नीति के तहत विद्यालय के पाठ्यक्रमों में शामिल किया जाना चाहिए। वक्ताओं ने यह आह्वान किया कि लोग मोबाइल से दूरी बनाए और किताबों से रिश्ता जोड़ें ताकि पढ़ने पढ़ाने की परंपरा बनी रहे। जब लोग पढ़ेंगे तभी पुस्तक का अस्तित्व बचा रहेगा।