मुजफ्फरपुर : शहरवासियों ने अपना फैसला सुना दिया है, अब बारी महापौर, उपमहापौर एवं नवनिर्वाचित पार्षदों की है। जनता के विश्वास पर खड़ा उतरने की। चुनाव पूर्व किए गए वादों को पुरा करने की । उनके समक्ष सबसे बड़ी चुनौती होगी स्मार्ट सिटी के सपने को साकार करने की। शहर के विकास एवं शहरवासियों की बुनियादी सुविधाओं को पूरा करने की। लेकिन सबसे पहले उनपर नगर निगम को भ्रष्टाचार, लूट-खसोट एवं अनियमितता के मुक्ति दिलाने की जवाबदेही होगी। वहीं शहरवासियों को भी नवनिर्वाचित पार्षदों से कई उम्मीदें है। वे चाहते है कि चुने गए पार्षद निगम में कार्य प्रणाली का विकास करें। जाम एवं जलजमाव की पीड़ा से मुक्ति दिलाएं। पेयजल संकट की समस्या को दूर करे। आवारा पशुओं की मार एवं मÓछरों के दंश से मुक्ति दिलाए। सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं यथा, हाउस फार आल, हर घर नल जल एवं पक्की नाली एवं गली मुख्यमंत्री
निश्चय का योजना का सही तरीके से कार्यान्वयन हो। योजना का लाभ बगैर किसी स्वार्थ एवं भेदभाव के जरूरतमंदों तक पहुंच पाए। जीत के बाद नवनिर्वाचित महापौर, उपमहापौर एवं पार्षदों ने एक सूर में जनता की उम्मीद पर खड़ा उतरने एवं शहर को विकास की नई राह पर ले जाने की बात कहीं।
नवनिर्वाचित महापौर, उपमहापौर एवं पार्षदों के समक्ष होगी निम्न चुनौतियां :-
निगम कार्यालय में कार्य संस्कृति का विकास हो इसकी कवायद नवनिर्वाचित पार्षदों को करनी होगी। उनके समक्ष नगर निगम कर्मचारियों की मनमानी पर रोक लगाने की जिम्मेवारी होगी।
पिछले पांच सालों से निगम अनियमितता एवं भ्रष्टाचार के दलदल में फंसा रहा। भ्रष्टाचार के कारण निगम की खराब छवि शहरवासियों के जेहन में हैं। उनके समक्ष निगम को इन आरोपों से बाहर निकालने की चुनौती होगी।
शहर की विकास योजनाओं के प्रति ईमानदार प्रयास की चुनौती उनके समक्ष होगी। मानक के विपरीत सड़क एवं नाला निर्माण की योजनाओं पर रोक लगाने की जिम्मेवारी उनपर होगी। ताकि इन योजनाओं का लाभ उनको मिल सके।
शहर के अनियंत्रित विकास पर अंकुश लगाने की चुनौती भी निर्वाचित पार्षदों पर होगी। मास्टर प्लान बनाकर विकास योजनाओं को मूर्त रूप देने की जिम्मेवारी उनपर होगी।