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Karnataka Govt: धर्मांतरण विरोधी कानून रद्द ,स्कूली पाठ्य पुस्तकों से आरएसएस संस्थापक के बी हेडगेवार का चैप्टर आउट,विरोध शुरू

Karnataka Govt:कर्नाटक में सरकार बदलते ही कांग्रेस पार्टी ने अब सख्त फैसले लेने शुरू कर दिए हैं। शायद यही वजह है कि हाल ही में कर्नाटक में सत्ता में आई कांग्रेस पार्टी ने जहां अपनी पहली बैठक में कई जन सरोकार के मुद्दे पर पैसे ले लिए वहीं अब ताजा खबर यह आ रही है कि कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने धर्मांतरण विरोधी कानून को रद्द कर दिया है साथ ही  राज्य में स्कूली पाठ्य पुस्तकों से आरएसएस संस्थापक के.बी. हेडगेवार के चैप्टर को भी हटाया दिया गया है।कर्नाटक में निजाम बदलने के साथ ही पुराने कानूनों को पलटने का काम भी शुरू हो गया है। महीना बीतते ही कांग्रेस सरकार ने पूर्व की भाजपा सरकार द्वारा लाए गए धर्मांतरण के कानून को रद्द करने की न सिर्फ पूरी योजना बना ली है बल्कि कर्नाटक कैबिनेट ने इस पर मुहर भी लगा दी है। जल्दी ही इस प्रस्ताव को विधानसभा में लाया जाएगा। साथ ही कैबिनेट ने सर्वसम्मति से स्कूली पाठ्यक्रम से आरएसएस के संस्थापक हेडगेवार से संबंधित चैप्टर भी हटाने का फैसला किया है।

हेडगेवार के चैप्टर को हटाया गया
कर्नाटक के शिक्षा मंत्री मधु बंगारप्पा ने बताया कि राज्य में स्कूली पाठ्य पुस्तकों से आरएसएस संस्थापक केबी हेडगेवार और अन्य के चैप्टर को हटाने का फैसला किया है। उनके साथ ही मंत्री एचके पाटिल ने बताया है कि राज्य मंत्रिमंडल ने स्कूलों और कॉलेजों में प्रेयर के साथ संविधान की प्रस्तावना को पढ़ना अनिवार्य करने का फैसला किया है। साथ ही कैबिनेट बैठक में कृषि उत्पाद बाजार समिति अधिनियम में संशोधन करने पर भी निर्णय लिया गया है। इस कदम का उद्देश्य पुराने कानून को बहाल करना है। उन्होंने यह भी कहा कि आज कैबिनेट की बैठक में पाठ्यपुस्तकों के पुनरीक्षण पर भी चर्चा हुई।

बताते चलें कि पिछली बीजेपी (BJP) सरकार राज्य में धर्मांतरण रोधी कानून लेकर आई थी। सिद्धारमैया कैबिनेट (Siddaramaiah Cabinet) के फैसलों पर अब सियासी बवाल भी शुरू हो गया है। भारतीय जनता पार्टी ने जवाब देते हुए कर्नाटक सरकार को हिंदू विरोधी बताया है। कर्नाटक के पूर्व शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने कहा कि वे (कांग्रेस) मुसलमानों के वोट चाहते हैं, सिद्धारमैया सरकार हिंदुओं के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि वे हिजाब को फिर से पेश कर सकते हैं। वे अल्पसंख्यकों के वोटों को आकर्षित करना चाहते हैं और हर चीज का राजनीतिकरण करना चाहते हैं।

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