Bridge Collapse: ये Bihar में हो क्या रहा है! ये हम नहीं, वहां की जनता ये सवाल इन दिनों एक-दूसरे से पूछ रहे हैं… और इसका कारण एक के बाद एक पुलों का गिरना है। जी हां… बिहार में पुलों के गिरने का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है। सिवान (Siwan Bridge Collapse) और अररिया (Araria Bridge Collapse) के बाद अब मोतिहारी जिले में एक पुल (Motihari Bridge Collapse) भरभराकर धराशाई हो गया है। बरसात के सीजन शुरू होने के साथ ही एक के बाद एक लगातर पुलों के गिरना कई सवालों को जन्म दे रहा हैं। वहीं भ्रष्टाचार का पोल भी खोल रहा है।
ज़्यादातर लोग अपने आवागमन के दौरान हर दिन पार किए जाने वाले पुलों की संख्या या स्थिति के बारे में नहीं सोचते, लेकिन सुरक्षा और व्यावहारिकता के मामले में वे अविश्वसनीय रूप से महत्वपूर्ण हैं। पुल परिवहन के महत्वपूर्ण घटक हैं जो सड़क और रेल यातायात को जल निकायों, घाटियों, ओवरपास और अन्य सड़कों पर ले जाते हैं।जब कोई पुल गिरता है, तो इससे यातायात संबंधी बड़ी समस्याएँ पैदा हो सकती हैं या लोग पूरी तरह फंस सकते हैं, जिससे महत्वपूर्ण सेवाएँ बाधित हो सकती हैं। इससे भी बदतर यह है कि पुल के गिरने के समय उसके ऊपर या नीचे से गुज़रने वाले लोग गंभीर रूप से घायल हो सकते हैं या मारे जा सकते हैं।
दुसरी तरफ बिहार में पुल गिरने का सिलसिला थम था नजर नहीं आ रहा है। पिछले दिनों अररिया में पुल गिरने के बाद जहां एक और सरकार की किरकिरी हो रही थी वहीं दूसरी ओर बीते दिनों सिवान में भी एक पुल गिर जाने से सरकार को कटघरे में खड़ा होना पड़ा है। ताजा मामले में राज्य के एक और जिले में पुल गिरने का मामला सामने आया है।बिहार के पूर्वी चंपारण जिले के मोतिहारी में बन रहा एक पुल ढह गया। सात दिन के अंदर पुल गिरने की यह तीसरी घटना है। लगभग डेढ़ करोड़ रुपये की लागत से बन रहा यह पुल शनिवार की रात को गिर गया। वहीं अधिकारियों का कहना है कि कुछ असामाजिक तत्वों ने पुल को नुकसान पहुंचाया है जबकि स्थानीय लोगों का आरोप है कि निर्माण कार्य में घटिया सामग्री का इस्तेमाल हुआ है और नियमों का पालन नहीं किया गया है।
जानकारी के अनुसार घोड़ासहन प्रखंड में अमवा से चैनपुर स्टेशन जाने वाली सड़क पर यह पुल बन रहा था। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बन रहे इस पुल की लंबाई 18 मीटर थी। शनिवार को ही पुल के ऊपरी हिस्से की ढलाई की गई थी। कहा जा रहा है कि देर रात कुछ अज्ञात लोगों ने पुल के सेंटरिंग को तोड़ दिया, जिसके कारण ढलाई वाला हिस्सा गिर गया। आरडब्ल्यूडी ढाका के एक्जीक्यूटिव इंजीनियर एसएन मंडल ने बताया कि दो स्पैन में पुल का निर्माण हो रहा था। एक तरफ से कल पुल का ढलाई हुआ था। उसके बाद बीती रात कुछ गाड़ी से दर्जनों असामाजिक तत्व निर्माण स्थल पर आए और पुल के सेंटरिंग को तोड़ दिया। जिस कारण ढाला गया पुल ध्वस्त हो गया।
वहीं, स्थानीय लोगों का आरोप है कि पुल का निर्माण कार्य सही दिशा में नहीं हो रहा था और इंजीनियर ने जानबूझकर दिशा बदल दी थी। उन्होंने कहा कि निर्माण में घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया जा रहा था और स्टीमेट के हिसाब से काम नहीं हो रहा था। ग्रामीणों का कहना है कि निर्माण में बरती जा रही अनियमितता से ही पुल ध्वस्त हुआ है। इसकी उच्चस्तरीय जांच जरूरी है। सिवान और अररिया में गिरा था पुलबता दें कि इससे पहले शनिवार को ही सिवान जिले में गंडक नदी पर बना एक पुल गिर गया था। यह पुल लगभग 40-45 साल पुराना था। स्थानीय लोगों का कहना है कि नहर की सफाई के दौरान मिट्टी की कटाई की वजह से पुल कमजोर हो गया था। इससे पहले अररिया जिले के सिकटी प्रखंड में भी 12 करोड़ रुपये की लागत से बन रहा एक पुल गिर गया था। बकरा नदी पर बन रहे इस पुल के तीन पिलर ढह गए थे।
एक समय था जब आग लगना पुल गिरने का एक आम कारण था। स्टील और कंक्रीट के आम और सस्ते होने से पहले, पुल अक्सर लकड़ी से बनाए जाते थे। ट्रेन पुल, विशेष रूप से असुरक्षित थे क्योंकि रेल के पहियों के घर्षण से कभी-कभी चिंगारी निकलती थी और आस-पास की सामग्री में आग लग जाती थी।
आजकल, ज़्यादातर पुल स्टील और कंक्रीट का इस्तेमाल करके बनाए जाते हैं, जिससे आग लगने की घटना बहुत कम होती है। लेकिन, जैसा कि हमने अटलांटा में देखा, इसका मतलब यह नहीं है कि ऐसा नहीं होता। उस मामले में, आग लगने के लिए तोड़फोड़ या अत्यधिक लापरवाही (अभी तक किसी को भी मकसद नहीं पता) की ज़रूरत थी, और उस आग को ईंधन के एक बड़े स्रोत (पुल के नीचे संग्रहीत ज्वलनशील पदार्थ) की ज़रूरत थी ताकि तापमान तक पहुँचने के लिए संरचना कमज़ोर हो जाए और ढह जाए। जैसा कि इस मामले में हुआ, ज़्यादातर पुल विफलताओं के लिए कई कारकों की ज़रूरत होती है।
इसमें संपत्ति मालिकों, प्रबंधकों और डेवलपर्स के लिए एक सबक है। चाहे नवीनीकरण हो या नई संरचना का निर्माण, संरचनात्मक मजबूती और सुरक्षा पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है। पुलों की तरह, हर नई इमारत और नवीनीकरण अलग-अलग होता है। पुलों की तरह, भूविज्ञान, अधिभोग, उपयोग और कई अन्य कारक प्रत्येक स्थिति को अद्वितीय बनाते हैं। डिजाइनरों और जीसी की सावधानीपूर्वक जांच करना और यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि वे अनुभवी हैं, नवीनतम कोड के साथ-साथ नवीनतम सुरक्षित तकनीक, सामग्री और निर्माण तकनीकों से अवगत हैं।