सीतामढ़ी: सोनबरसा प्रखंड से होकर गुजरने वाली झीम नदी के जलस्तर में बीते 27 जून से उतार-चढ़ाव जारी है। इस वर्ष नदी में सात बार बाढ़ आ चुकी है। पहली बार की बाढ़ में सोनबरसा-बसतपुर-परिहार सड़क पर ह्यूम पाइप से बना डायवर्सन पुल ध्वस्त हो गया था। अब करीब 10 दिन पहले बना बांस का चचरी पुल भी ध्वस्त हो गया। आवागमन ठप है। डायवर्सन पुल ध्वस्त होने के कारण निर्माणाधीन पुल का काम भी ठप है।
सोनबरसा प्रखंड मुख्यालय से बसतपुर, चक्की, मयूरवा, लक्ष्मीपुर, जहदी, जमुनिया, राजवाड़ा, हरिहरपुर समेत एक दर्जन गांवों का सड़क संपर्क आज तक नहीं हो सका है। करीब 20 हजार की आबादी प्रभावित है। गांव के लोग अगल-बगल के रास्ते से करीब आठ किमी की दूरी तय कर प्रखंड मुख्यालय पहुंच रहे हैं। सड़क नहीं होने से बच्चों की पढ़ाई भी लगभग ठप है। डायवर्सन ध्वस्त होने के बाद लोहे के पतले पुल के सहारे लोग आ-जा रहे थे। इसे देखते हुए करीब 10 दिन पहले ठेकेदार ने बांस का चचरी पुल तैयार कराया था। इससे पैदल, साइकिल और बाइक सवार आ-जा रहे थे। बुधवार को बाढ़ से चचरी पुल के ध्वस्त होने से वह सहारा भी छिन गया।
पहले बरसात में नहीं था कोई विकल्प : लालबंदी के राज नारायण ङ्क्षसह बताते हैं कि बच्चों का स्कूल जाना बंद हो गया है। मयूरवा के रामेश्वर पटेल व राम आशीष राय का कहना है कि आपातकाल में भगवान ही मालिक हैं। लालबंदी के पूर्व सरपंच रामविलास महतो बताते हैं कि करीब पांच दशक पूर्व पुल नहीं रहने के कारण बाढ़-बरसात में दो से तीन महीना रास्ता बंद हो जाता था। जरूरत का सामान लोग पहले ही खरीदकर घर में रख लेते थे। 1980 के चुनाव के बाद सखुआ और जामुन की लकड़ी से पुल का निर्माण कराया गया था। इसके बाद 1992 में लोहे का पुल बना। बाद में पुल जर्जर होने लगा। इसके बाद छह माह से सात करोड़ की लागत से पुल का निर्माण कराया जा रहा है। इसमें तीन पिलर खड़े हो चुके हैं, लेकिन इसी बीच नदी में बाढ़ आ गई और पुल की ढलाई बंद हो गई। बाढ़ आने के कारण सेंङ्क्षटग व लोहे के जाल को हटाना पड़ा।
BIHAR:पहले टूटा डायवर्सन, फिर बहा चचरी पुल, अब आठ किमी की परिक्रमा
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