PATNA: बिहार की सत्ता पर 15 वर्षों तक राज करने वाली और मौजूदा समय में बिहार की अहम विपक्षी पार्टी राजद की मुश्किलें कम होती हुई दिखाई नहीं दे रही है। आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटे राजद को एक बार फिर मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव समेत उनके परिवार वालों की मुश्किलें बढ़ती हुई नजर आ रही है।
दरअसल, प्रवर्तन निदेशालय ने राजद नेता तेजस्वी यादव और अन्य आरोपियों के खिलाफ जमीन के बदले नौकरी घोटाले के मामले में राउज एवेन्यू कोर्ट में पहला सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल किया है। जिसमें 11 आरोपियों के नाम शामिल किए गए हैं।इसमें 96 दस्तावेज भी हैं। अदालत ने आरोप पत्र और दस्तावेजों की जांच के लिए मामले को 13 अगस्त के लिए सूचीबद्ध किया है। इसके बाद से लालू -तेजस्वी की टेंशन बढ़ सकती है। इस मामले में अब अगली सुनवाई 13 अगस्त को होगी।
दरअसल, पूरा मामला वर्ष 2004 से 2009 के बीच का है। जब लालू प्रसाद यादव केंद्रीय रेल मंत्री थे। आरोप है कि लालू ने पद पर रहते हुए परिवार को जमीन हस्तांतरित के बदले रेलवे में नौकरियां दिलवाई। सीबीआइ ने यह भी आरोप लगाया है कि रेलवे में की गई भर्तियां भारतीय रेलवे के मानकों के दिशा निर्देशों के अनुरुप नहीं थीं।
बता दें कि आरोप के अनुसार, रेल मंत्री रहते हुए लालू प्रसाद ने भारतीय रेलवे के 11 जोन में ग्रुप डी की बहालियों में भ्रष्टाचार किया था और लोगों की जमीनें और फ्लैट लेकर उन्हें रेलवे में नौकरी दी थी. इस मामले की सीबीआई और ईडी दोनों एजेंसी जांच कर रही है. जांच में यह बात सामने आई है कि लालू ने अपने और अपने परिवार के लोगों के नाम पर इन जमीनों की रजिस्ट्री कराई थी. इस केस में सीबीआई और ईडी ने इस मामले में लालू प्रसाद, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बेटी मीसा भारती, दूसरी बेटी हेमा यादव, तेजस्वी यादव और तेज प्रताप यादव समेत कई लोगों को आरोपी बनाया है.