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जान पर भारी पड़ रही डाक्टरों की हड़ताल

जान पर भारी पड़ रही डाक्टरों की हड़ताल

पटना : डाक्टरों की हड़ताल अब मरीजों की जान पर भारी पडऩे लगी है। शनिवार को राजधानी के सभी प्रमुख अस्पतालों में ओपीडी सेवा बंद रही। प्रमुख अस्पतालों में 200 से अधिक आपरेशन टल गए। पटना मेडिकल कालेज अस्पताल (पीएमसीएच), नालंदा मेडिकल कालेज अस्पताल (एनएमसीएच), इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (आइजीआइएमएस) एवं अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में मरीजों का ओपीडी में उपचार नहीं हो पाया। पीएमसीएच, आइजीआइएमएस एवं एम्स में केवल इमरजेंसी मरीजों को ही सेवा मिली। एनएमसीएच में इमरजेंसी सेवा भी बंद रही, जिससे मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। शहर के प्रमुख संस्थानों की ओपीडी में दिखाने के लिए आने वाले पांच हजार से ज्यादा मरीज बिना उपचार के ही लौट गए।

 

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उधर, गया के अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कालेज एवं अस्पताल में चिकित्सकों की हड़ताल के कारण इमरजेंसी में मरीजों का उपचार नहीं हुआ। नालंदा जिले के पावापुरी स्थित भगवान महावीर आयुर्विज्ञान संस्थान में दूसरे दिन भी ओपीडी व इमरजेंसी सेवा पूरी तरह बंद रही। आरा में सदर अस्पताल समेत अन्य सरकारी और निजी अस्पतालों में ओपीडी सेवा ठप रही। वहीं, नवादा में सरकारी अस्पताल में हड़ताल का असर नहीं दिखा। जबकि, शहर में निजी क्लिनिक में ओपीडी सेवा बंद रही। रोहतास में सरकारी व निजी अस्पतालों में ओपीडी सेवा बाधित रही। भभुआ में सरकारी व निजी अस्पतालों में तथा औरंगाबाद, जहानाबाद, बक्सर में ओपीडी सेवा बंद रही। केवल इमरजेंसी में मरीजों का उपचार किया गया। गोपालगंज व सिवान, सारण व वैशाली में हड़ताल से ओपीडी से सेवा पूरी तरह बाधित रही।

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उधर, भागलपुर के जवाहर लाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय सह अस्पताल में ओपीडी सेवा बंद रही, जबकि आपातकालीन सेवाएं चालू रहीं। 500 से अधिक आइएमए के सदस्यों की निजी क्लीनिकें भी बंद रहीं। सहरसा में सभी सरकारी व निजी क्लीनिक में चिकित्सा बंद रहने से मरीजों को काफी परेशानी हुई। अररिया सदर अस्पताल में ओपीडी खुली रही। खगडिय़ा सदर अस्पताल में ओपीडी पूरी तरह ठप कर दिया गया जबकि इमरजेंसी में उपचार हुआ। मुंगेर में सरकारी और निजी अस्पतालों में ओपीडी सेवाएं बाधित रहीं। इमरजेंसी और आपरेशन थिएटर की सेवाएं चालू रहीं। जमुई जिले के सरकारी और निजी क्लीनिक के चिकित्सक शनिवार को हड़ताल पर रहे। आइएमए के सदस्यों ने मार्च निकाल कर विरोध जताया। बांका सदर अस्पताल सहित अन्य सरकारी अस्पतालों में ओपीडी सेवाएं बाधित रही। किशनगंज में चिकित्सक काला बिल्ला लगाकर काम कर रहे थे। निजी चिकित्सक पूर्णत: हड़ताल पर रहे। मेडिकल कालेज में सिर्फ आपातकालीन सेवाएं जारी रहीं।

 

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मधेपुरा के जननायक कर्पूरी ठाकुर मेडिकल कालेज व अस्पताल सहित सदर सदर अस्पताल में इमरजेंसी सेवा चालू रही। ओपीडी बंद रहने से मरीजों को काफी परेशानी हुई। निजी चिकित्सकों ने भी क्लीनिक को बंद रखकर विरोध जताया। शाम में कैंडल मार्च निकाला गया। लखीसराय, सुपौल व सहरसा में सभी सरकारी एवं निजी अस्पतालों में ओपीडी सेवा ठप रही। वहीं, दरभंगा के डीएमसीएच में दो दिनों में आठ आपरेशन टाले गए गए। यहां शनिवार सुबह आठ बजे सेंट्रल ओपीडी और इमरजेंसी के आगे सैकड़ों मरीज जमा हो गए। जिन्हें सुरक्षा गार्डों ने खदेड़कर भगाया। आपातकालीन विभाग में चिकित्सक मौजूद रहे। केवल अति गंभीर मरीजों को भर्ती किया गया, लेकिन आपरेशन ठप रहा।

 

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मुजफ्फरपुर में निजी व सरकारी अस्पतालों में ताला लटका रहा। सदर अस्पताल और एसकेएमसीएच में इमरजेंसी सेवा बहाल रही। जिले में शनिवार को 22 हजार मरीज बिना इलाज के लौट गए। पूर्वी चंपारण में अधिकतर निजी क्लीनिक व नर्सिंग होम में ओपीडी सेवाएं बाधित रहीं। सदर अस्पताल के ओपीडी में भी चिकित्सक नहीं बैठे। पश्चिम चंपारण के बगहा में सरकारी अस्पताल तो खुले, लेकिन आपरेशन और सर्जरी नहीं हुई। चिकित्सकों ने काली पट्टी बांधकर मरीजों का उपचार किया। शिवहर में सदर अस्पताल से लेकर पीएचसी तक ओपीडी सहित अन्य सेवाएं ठप रहीं। केवल इमरजेंसी सेवा बहाल रही।

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मधुबनी में चिकित्सकों ने काली पट्टी बांधकर कार्य किया। हालांकि, कुछ पीएचसी व अनुमंडल अस्पताल में दोपहर 12.30 बजे तक ओपीडी सेवा बंद थी। निजी अस्पताल के डाक्टर भी हड़ताल पर रहे। केवल आपात सेवा चालू थी। पूर्वी चंपारण जिले के अधिकतर क्लीनिक व नर्सिंग होम में ओपीडी सेवाएं बाधित रहीं। सदर अस्पताल के ओपीडी में भी चिकित्सक नहीं बैठे। पश्चिम चंपारण में सरकारी एवं प्राइवेट अस्पतालों में ओपीडी नहीं चली। राजकीय मेडिकल कालेज व अस्पताल बेतिया से 1500 मरीज लौट गए। चिकित्सकों ने ओपीडी के समक्ष धरना दिया।

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