पटना (प्रेस विज्ञप्ति )हकीम मुहम्मद शफ़ाअत करीम ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि पीठ दर्द आमतौर पर उम्र बढ़ने के साथ देखा जाता है, लेकिन आजकल कमर दर्द युवा पुरुषों और मध्यम आयु वर्ग की महिलाओं में आम है। महिलाओं में पीठ दर्द आमतौर पर बच्चे को जन्म देने के बाद शुरू होता है, जबकि युवा लड़कों में जिम और वजन उठाना अक्सर इसका मुख्य कारण होता है। इनमें से कुछ पीठ दर्द के रोगियों में दर्द होता है जो कमर से नीचे जांघों, घुटनों और कभी-कभी पीठ के निचले हिस्से तक फैलता है, साथ ही पैरों में झुनझुनी, सुन्नता, जलन, झुनझुनी या कमजोरी होती है। इस दर्द को साईटिका के रूप में जाना जाता है और यदि ऐसे रोगियों का एमआरआई होता है, तो रीढ़ में दबाव को स्पष्ट रूप से देख सकते हैं, जिसे स्लिप्ड डिस्क भी कहा जाता है।जब स्लिप डिस्क के इलाज की बात आती है, तो एलोपैथिक डॉक्टर ज्यादातर मामलों में सर्जरी का सुझाव देते हैं। कुछ मामलों में सर्जरी उपयोगी होती है, लेकिन ज्यादातर मामलों में इससे बचना ही बेहतर होता है। क्योंकि सफल ऑपरेशन के बाद भी चलने-फिरने और बैठने में परेशानी होती है। जबकि इस बीमारी का इलाज दवा से किया जा सकता है और यूनानी के साथ आयुर्वेद और होम्योपैथी में भी हानिरहित इलाज संभव है।
हकीम मुहम्मद शफ़ाअत करीम ने कहा कि जहां तक यूनानी चिकित्सा की बात है तो इसे साईटिका या अरकुन्निसा या लंगड़ापन भी कहा जाता है। अरकुन्निसा का इलाज प्राचीन काल से ही उपलब्ध है, हालाँकि इस बीमारी को ठीक करने में परहेज़ के साथ हफ्तों या महीनों का समय लगता है।
हकीम मुहम्मद शफ़ाअत करीम ने आगे कहा कि दिल्ली में जामा मस्जिद के पास उनका इलाज फसद द्वारा किया गया था और वर्तमान में यूपी के मऊ में हकीम साहब भी फसद के द्वारा इलाज करते हैं और वह काफी प्रसिद्ध हैं। हब अरकुन्निसा, हलवा घीकवार , माजून चोब चीनी , रोमोन और आर्थ्रम पाउडर जैसी औषधियां अरकुन्निसा के इलाज में बहुत प्रभावी हैं। उन्होंने कहा की अगर दवाओं के साथ हजामा वगैरह का प्रयोग किया जाए तो सर्वोत्तम परिणाम प्राप्त होते हैं औ