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बिहार में हुनर को सम्मान एवं हस्तशिल्प को बड़ा बाज़ार मिलता है

पटना: अब तो बिहार हमारे लिए मायके है और साल में दो बार हमें मायके आने का इंतेज़ार रहता है l हम पुरे मान सम्मान के साथ आते हैं और झोली भर के जाते हैं l यह उदगार है बिहार सरस मेला में तेलंगाना के राजपल्ली जिला से आई श्रीमती के. ज्योति का l के. ज्योति महिला उद्यमी के तौर पर बंजारा शिल्प के अंतर्गत हाथ से निर्मित एवं कढ़ाई किये हुए पर्स, रुमाल, चादर, तौलिया, वाल शो जैसे उत्पाद लेकर पिछले 9 साल से बिहार आ रही हैं l बिहार उन्हें अब अपना समझती है l के. ज्योति बताती हैं कि बिहार में हुनर को सम्मान एवं हस्तशिल्प को बड़ा बाज़ार मिलता है l महज दो दिनों में उनके स्टॉल से 25 हजार से ज्यादा के कसीदाकारी किये हुए उत्पादों की बिक्री हुई है l के.ज्योति की तरह 60 से अधिक महिला उद्यमी देश के अलाग-अलग प्रदेशों से बिहार सरस मेला में अपने-अपने प्रदेश के हस्तशिल्प, लोक कला, परंपरा और देशी व्यंजनों को लेकर उपस्थित हैं l इसके साथ ही बिहार के सभी जिलों से भी स्वयं सहायता समूह से जुडी महिला उद्यमी भी बिहार के शिल्प एवं देशी व्यंजन को लेकर शिरकत कर रही हूँ l

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सरस मेला में पुरामी लोक कलाएं, संस्कृति , वाद्यय यंत्रों की सुमधुर गूंज पुन: पुनर्जीवित हो रही हैं l बिहार सरस मेला ग्रामीण उद्यमिता को प्रोत्साहन एवं सदियों पुरानी लोक शिल्प एवं संस्कृति के उत्थान हेतु बिहार सरस मेला ज्ञान भवन, पटना में 18 सितंबर से आयोजित है l सरस मेला में हर उम्र के लोगों के लिए शिल्प उपलब्ध है l रसोई घर से लेकर घर सजावट और फिर खेल-खिलौने भी आगंतुकों को लुभा रहे हैं l जन-सामान्य के जरूरत की वस्तुएं सरस मेला में उपलब्ध हैं , लोग अपनी अभिरुचि एवं सामर्थ्य के अनुरूप खरीदारी कर रहे हैं l आते-जाते सेल्फी जोन पर अपने साथियों एव परिजनों के साथ फोटो भी लेकर सरस को यादगार बना रहे हैं l

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घास , बालू , लकड़ी के बुरादा आदि से बनी कलाकृतियाँ, सूट, लहठी, चूड़ियां, खादी के परिधान , सीप,कास्यं, पीतल, पत्थर,घास एवं जुट आदि से बनी कलाकृतियाँ, टेराकोटा, लकड़ी से फर्नीचर, झूले, दरी-कालीन, चादर , रसोई घर के सामान और बचपने के खिलौने, बांस एवं जुट से बने उत्पाद, सिक्की कला, मधुबनी पेंटिंग, फुलकारी कला, बुटिक प्रिंट की साड़िया, सिल्क एवं मलबरी से बनी साड़िया, जनजातीय कबीलों द्वारा बनाये गए गहने, घर और बाहर के साज-सज्जा के सामान, फर्नीचर, दरी- कालीन, कतरनी चावल, चुडा, अचार, अदवरी-दनावरी, पापड़, सत्तू,बेसन जैसे देशी व्यंजनों की खूब खरीद-बिक्री हो रही है l जीविका दीदियों द्वारा संचालित जे _वायर्स के स्टॉल से सौर्य उर्जा से चालित बल्ब , चूल्हा आदि की बिक्री हो रही है l जीविका दीदी द्वारा संचालित दीदी की रसोई समेत अन्य स्टॉल से देशी, शुद्ध, स्वादिष्ट एवं पौष्टिक व्यंजनों का स्वाद के शौकिन लुत्फ़ उठा रहे हैं l

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बिहार की लोक कला एवं हुनर को एक मंच पर लाकर उसे बाज़ार से जोड़कर स्वावलंबन एवं रोजगार के अवसर मुहैया कराने वाला शिल्प ग्राम अपने –आप में जीविका दीदियों के आत्मनिर्भरता की झलक पेश कर रहा है l शिल्प ग्राम के स्टॉल पर सिक्की कला, मलबरी से बनी सिल्क की साड़ियाँ. दुपट्टे, स्टाल तसर सिल्क, पेपर सिल्क एवं खादी कॉटन से बने परिधान आगंतुकों के लिए आकर्षण के खास केंद्र बने हुए है l इनकी खूब खरीद – बिक्री हो रही है l जीविका दीदी द्वारा उत्पादित उच्च गुणवत्तापूर्ण शहद मधुग्राम महिला उत्पादक कंपनी लि.के स्टॉल पर बिक्री हेतु प्रदर्शित है l इस स्टॉल से आगंतुकों को शहद के विभिन्न फ्लेवर यथा तुलसी शहद, लीची शहद, सरसों शहद, करंच, युकोलिप्टस , वन तुलसी , सहजन और जामुन एवं अन्य फ्लेवर के बारे में भी बताया जा रहा है l मेला में कैशलेश खरीददारी की भी सुविधा उपलब्ध है l मेला के दुसरे दिन 19 सितंबर को 18 लाख 27 हजार से अधिक की राशी के उत्पादों एवं व्यंजनों की खरीद-बिक्री हुई l लगभग 30 हजार लोग आये और खरीददारी की l

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