पटना (प्रेस विज्ञप्ति) हकीम मुहम्मद शफाअत करीम ने कहा कि गर्दन में दर्द की शिकायत घंटों कंप्यूटर पर काम करने वालों, बाइक चलाने वालों, दर्जी और भारी सामान उठाने वालों में ज्यादा पाया जाता है। गर्दन का दर्द आमतौर पर सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस के कारण होता है। सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस के मरीजों में गर्दन में दर्द, चक्कर आना, हाथों में झुनझुनी, गर्दन मोड़ने में दर्द के आदि सामान्य लक्षण होते हैं। सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस में दर्द अक्सर हृदय रोग के लक्षणों के समान दिखाई देता है जैसे हाथों में झिंझिनी या गर्दन के साथ कंधे में दर्द। ऐसे में मरीज दिल की बीमारी के डर से मानसिक रूप से भी परेशान रहता है।
हकीम मुहम्मद शफाअत करीम ने कहा कि अक्सर ऐसे मरीजों को गर्दन का कॉलर उपयोग करने की सलाह दी जाती है। गर्दन कॉलर का अस्थायी उपयोग तो ठीक है, हालांकि, लंबे समय तक उपयोग से गर्दन की मांसपेशियां धीरे-धीरे सख्त हो जाती हैं और गर्दन में अधिक दर्द होने लगता है। गर्दन का काम 180 डिग्री पर घूमना है और अगर इस को रोक दिया जाए तो यह मानव स्वभाव के खिलाफ है। गर्दन के दर्द के लिए यूनानी चिकित्सा पद्धति में सर्वोत्तम उपचार उपलब्ध है। दवा में हब सुरंजन, माजून चोब चीनी, हफ्त बर्ग तेल, बबूना का तेल आदि का उपयोग किया जाता है। इसके अलावा इलाज बिल तदबीर के अंतर्गत मसाज , भापरा, ड्राई कपिंग या हिजामा आदि एक बेहतर इलाज है जो बीमारी को पूरी तरह से ठीक कर सकता है, जो बहुत प्रभावी, गैर-हानिकारक और प्रकृति के अनुकूल इलाज है और इसी कारण यूनानी चिकित्सा पद्धति गर्दन के दर्द का एक बेहतरीन विकल्प है।