पटना: बिहार के उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी का ‘अपशकुनी’ बंगले में जाने का निर्णय चिंता का विषय बन गया है। यह बंगला, जिसे पटना के 5-देशरत्न मार्ग पर स्थित माना जाता है, के साथ जुड़ी एक अजीब सी परंपरा है—यहां रहने वाले सभी उप मुख्यमंत्री का कार्यकाल अचानक समाप्त हो जाता है।
यह बंगला पहले तेजस्वी यादव के पास था, जो पिछली महागठंधन सरकार में उप मुख्यमंत्री थे। नीतीश कुमार के एनडीए के साथ जाने के बाद तेजस्वी को यह बंगला खाली करना पड़ा। इससे पहले, तारकिशोर प्रसाद भी इस बंगले में रहे थे और उन्हें भी अपने कार्यकाल के बीच में कुर्सी छोड़नी पड़ी।
2015 में, जब तेजस्वी यादव ने पहली बार इस बंगले में निवास किया, तो उनका कार्यकाल भी जुलाई 2017 में समाप्त हो गया, जब नीतीश कुमार ने भाजपा के साथ सरकार बना ली थी। तेजस्वी ने लंबे समय तक बंगला खाली नहीं किया और इसके लिए उन्हें सुप्रीम कोर्ट तक जाना पड़ा।
इसके बाद, सुशील कुमार मोदी को भी इस बंगले का आवंटन हुआ, लेकिन कुछ समय बाद उन्हें बिहार की राजनीति से हटा दिया गया। इसी वर्ष कैंसर से जूझते हुए उनका निधन हो गया।
अब, सम्राट चौधरी को विजयदशमी के अवसर पर इस बंगले में जाने की संभावना है। पिछले पांच सालों में तीन उप मुख्यमंत्री इस बंगले में रहकर अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए, जिससे सम्राट के भविष्य को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं। क्या सम्राट चौधरी भी इस ‘अपशगुनी’ बंगले में रहकर अपनी उप मुख्यमंत्री की कुर्सी खो देंगे? यह सवाल अब राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है।