पटना:पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने कहा कि शारदा सिन्हा सच्चे अर्थों में संगीत साधना की देवी थीं। उन्हें राष्ट्रीय और राजकीय सम्मान मिलना चाहिए। बिहार कोकिला शारदा सिन्हा को शनिवार को रवींद्र भवन में श्रद्धा सुमन अर्पित करने के मौके पर उन्होंने कहा कि मैंने कभी नहीं सोचा था कि उन्हें श्रद्धांजलि देनी पड़ेगी। वे पहली बार राजभवन में मिलीं थीं तो हमें बहुत प्रभावित किया था। वे काफी संवेदनशील थीं। आधुनिक चिकित्सा के युग में 80 वर्ष तक की आयु तो कम से कम होनी चाहिए। शारदा सिन्हा की आयु 71-72 वर्ष थी।
कोविन्द ने कहा कि यह संयोग रहा है कि मेरे हाथों से उन्हें सम्मान मिला, जबकि पद्मभूषण की घोषणा पहले हो चुकी थी। मेरा सौभाग्य था कि संगीत विद्या की साधक को सम्मानित करने का मौका मिला था। वे भारतीय लोकगीत परंपरा का अनुपम उदाहरण थीं। उनके लोक गीतों के बिना छठ पर्व अधूरा है। उनका संकल्प, अप्रतिम साधना, उनके गीत हम सभी के बीच है। वे छठ का पर्याय थीं। मारीशस की घटना की याद करते हुए उन्होंने कहा कि वे कार में बैठी थीं और चालक ने छठ गीत बजा दिया था। चालक से पूछने पर बताया कि भारत की महान गायिका शारदा सिन्हा के छठ गीत हैं। शारदा सिन्हा ने जब अपनी पहचान बताई तो भावुक हो गया था। वे सच्चे अर्थों में महान थीं। अपने गायन से सभी के दिलों में हमेशा जीवित रहेंगी। वे अंतिम सांस तक संगीत साधना करती रहीं।
उप मुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि शारदा सिन्हा ने अपने गीतों से नई पीढ़ी को छठ से अवगत कराया। उनके परिवार में गायिकी की कोई पृष्ठभूमि नहीं थी। उनके गाए गीत युवा पीढ़ी को प्रेरणा देंगे। उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, पूर्व केंद्रीय मंत्री रामकृपाल यादव, पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे, संजय पासवान समेत सभी ने भी उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित कर अपने विचार व्यक्त किए।