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Maharashtra Chunav:वोटिंग की सुबह अजित पवार का इमोशनल कार्ड!

वोटिंग की सुबह अजित पवार का इमोशनल कार्ड!

Maharashtra Chuna:महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बुधवार सुबह से मतदान जारी है। राज्य की 288 सीटों पर वोटिंग हो रही है, लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा बारामती सीट की है। यह सीट केवल एनसीपी प्रमुख अजित पवार के चुनाव लड़ने की वजह से ही नहीं, बल्कि पवार परिवार के भीतर चल रहे सियासी संघर्ष के कारण भी सुर्खियों में है।

बारामती पवार परिवार का गढ़ माना जाता है, लेकिन हाल के वर्षों में परिवार में आई दरार का असर इस सीट पर साफ दिख रहा है। एनसीपी में विभाजन के बाद पार्टी की बागडोर अजित पवार के हाथ में है, जबकि उनके चाचा और एनसीपी संस्थापक शरद पवार ने अपने धड़े को अलग रखा है।

परिवार का बंटवारा और पहला राउंड
लोकसभा चुनाव में पवार परिवार की इस दरार की शुरुआत हुई। तब बारामती में अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार और शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले के बीच मुकाबला हुआ, जिसमें सुप्रिया सुले ने जीत हासिल की। यह पवार परिवार के भीतर पहला सियासी संघर्ष था।

दूसरे राउंड की जंग: चाचा बनाम भतीजा
इस बार विधानसभा चुनाव में बारामती सीट पर अजित पवार खुद मैदान में हैं, जबकि उनके खिलाफ शरद पवार के धड़े से उनके भतीजे युगेंद्र पवार चुनाव लड़ रहे हैं। परिवार में बढ़ते मतभेद ने इस मुकाबले को और दिलचस्प बना दिया है।अजित पवार के भाई श्रीनिवास पवार भी उनसे अलग हो चुके हैं। युगेंद्र पवार, जो अजित पवार के खिलाफ उम्मीदवार हैं, श्रीनिवास पवार के बेटे हैं। चाचा-भतीजे की इस सियासी लड़ाई ने पवार परिवार को पूरी तरह से दो हिस्सों में बांट दिया है।

मां का आशीर्वाद: एक भावुक संदेश
इस कठिन मुकाबले में अजित पवार के लिए चुनौतियां बढ़ गई हैं, और वह इसे बखूबी समझते हैं। अपने पक्ष में माहौल बनाने के लिए उन्होंने गहन प्रचार अभियान चलाया। मतदान के दिन उन्होंने एक भावुक संदेश देने की कोशिश की।

वोट डालने से पहले उन्होंने अपनी मां का पैर छूकर आशीर्वाद लिया और यह तस्वीर साझा की। उनके इस कदम को एक इमोशनल कार्ड माना जा रहा है। अजित पवार ने यह संदेश देने की कोशिश की कि भले ही परिवार के अन्य सदस्य उनसे दूर हो गए हों, लेकिन उनकी मां उनके साथ हैं। उनका कहना है कि मां कभी भी स्वार्थ में भेदभाव नहीं करती और हमेशा सच का साथ देती है। उन्होंने बारामती की जनता को यह विश्वास दिलाने की कोशिश की कि वह भी सही रास्ते पर हैं।बारामती की यह लड़ाई न सिर्फ पवार परिवार की प्रतिष्ठा, बल्कि महाराष्ट्र की राजनीति में उनकी पकड़ की परीक्षा भी है।

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