नई दिल्ली:महाराष्ट्र की राजनीति में सोमवार के बाद मंगलवार का दिन भी सस्पेंस से भरा रहा। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे आए हुए 10 दिन हो गए, लेकिन मुख्यमंत्री और दोनों उपमुख्यमंत्रियों की नियुक्ति को लेकर स्थिति अभी भी स्पष्ट नहीं हो पाई है। हालांकि, शिवसेना (शिंदे गुट) के नेता और राज्य के कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की तबियत में सुधार की खबर आई है। वह मुंबई के लिए रवाना हो चुके हैं और रात तक वहां पहुंचने की संभावना है। इस खबर के बाद उम्मीद जताई जा रही है कि शायद आज रात तक महाराष्ट्र की जनता को कोई अच्छी खबर मिल सकती है।
बीजेपी के सीएम चेहरा देवेंद्र फडणवीस पहले से ही मुंबई में मौजूद हैं, लेकिन महायुति (शिवसेना, बीजेपी और अन्य सहयोगी दलों) के अंदर एनसीपी के नेता अजित पवार को लेकर स्थिति थोड़ी जटिल होती दिख रही है। कहा जा रहा है कि अजित पवार भी वही मंत्रालय चाहते हैं, जिसे शिंदे गुट ने पहले ही दावा किया हुआ है।
आपको बताएं कि एनसीपी नेता अजित पवार सोमवार शाम से दिल्ली में मौजूद हैं। इस बीच, यह सवाल उठ रहा है कि महाराष्ट्र में सरकार गठन की बातचीत अब अंतिम दौर में क्यों पहुंची है और अजित पवार पिछले 24 घंटों से दिल्ली में क्या कर रहे हैं? क्या वह गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात करने के लिए दिल्ली आए हैं? क्या एनसीपी भी सरकार में वही मंत्रालय मांग रही है, जिस पर शिंदे गुट का दावा पहले से ही है?
महाराष्ट्र में 5 दिसंबर को शपथ ग्रहण समारोह होना है। ऐसे में बीजेपी के दोनों पर्यवेक्षक मुंबई पहुंच गए हैं, या फिर पहुंचने वाले हैं। इस दौरान अजित पवार का दिल्ली में लगातार मौजूद रहना कई सवाल खड़े कर रहा है। हालांकि, आपको याद दिला दें कि अजित पवार वह पहले नेता थे, जिन्होंने बीजेपी को मुख्यमंत्री पद का चेहरा स्वीकार किया था। इसी कारण से शिंदे गुट और एनसीपी के बीच तनाव की खबरें भी आ रही हैं।
हालांकि, एकनाथ शिंदे पहले ही कह चुके हैं कि बीजेपी जो भी फैसला लेगी, वे उसे स्वीकार करेंगे। लेकिन बार-बार तूल पकड़ने वाली ये अटकलें क्यों बनी हुई हैं? इस पर भी सवाल उठते रहे हैं, क्योंकि शिंदे गुट के भीतर भी यह माना जाता है कि वह सीएम पद का दावा छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं। इसी वजह से वह पांच दिन में दो बार अपने गांव जा चुके हैं। शायद इसी कारण बीजेपी कोई बड़ा फैसला नहीं ले पाई, लेकिन अब खबर है कि वह मुंबई लौट रहे हैं।
अब यह देखना होगा कि महाराष्ट्र की राजनीति में चल रही इन उलझनों का हल कब और कैसे निकलता है।