नई दिल्ली: महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और एनसीपी नेता अजित पवार को दिल्ली के ट्रिब्यूनल से बड़ी राहत मिली है। बेनामी संपत्ति लेनदेन रोकथाम अपीलीय न्यायाधिकरण ने उनके और उनके परिवार के खिलाफ लगाए गए बेनामी संपत्ति के स्वामित्व के आरोपों को खारिज कर दिया।
आयकर विभाग का फैसला
न्यायाधिकरण ने 2021 में शुरू हुए बेनामी संपत्ति मामले में जब्त की गई अजित पवार और उनके परिवार की सभी संपत्तियों को लौटाने का आदेश दिया है। आयकर विभाग ने अक्टूबर 2021 में कई कंपनियों पर छापेमारी के दौरान दस्तावेज बरामद किए थे, जिनके आधार पर अजित पवार और उनके परिवार पर बेनामी संपत्तियों के स्वामित्व का दावा किया गया था।
न्यायाधिकरण ने खारिज किए आरोप
न्यायाधिकरण ने कहा कि संपत्तियों से जुड़े सभी भुगतान वैध माध्यमों से किए गए थे और ऐसा कोई सबूत नहीं मिला जिससे यह साबित हो कि अजित पवार, उनकी पत्नी सुनेत्रा पवार और बेटे पार्थ पवार ने बेनामी संपत्तियां खरीदीं।अजित पवार और उनके परिवार का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील प्रशांत पाटिल ने न्यायाधिकरण के समक्ष दलील दी कि यह मामला कानूनी आधार से कमजोर है और उनके मुवक्किलों ने कोई अवैध काम नहीं किया।
आरोपों का इतिहास
यह मामला तब सुर्खियों में आया था जब आयकर विभाग ने मुंबई में दो रियल एस्टेट समूहों पर छापेमारी के दौरान 184 करोड़ रुपये की बेहिसाब आय का खुलासा किया। इन समूहों को अजित पवार के रिश्तेदारों से जोड़ा गया, जिससे बेनामी संपत्तियों के आरोपों को बल मिला। हालांकि, ट्रिब्यूनल ने इस मामले में संपत्तियों और बेहिसाब आय के बीच कोई ठोस संबंध नहीं पाया।
सत्ता में आते ही राहत
इस फैसले का समय भी चर्चा का विषय है, क्योंकि यह आदेश अजित पवार के महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के एक दिन बाद आया। इस फैसले से न केवल पवार बल्कि उनके परिवार ने भी राहत की सांस ली है।