मोतिहारी: बिहार में सरकारें बदलने के बावजूद कई इलाके अब भी विकास से अछूते हैं। राज्य के कुछ हिस्सों में ऐसा दृश्य देखने को मिलता है, जहां लोगों की जिंदगी आज भी पहले की तरह ही संघर्षपूर्ण है। पूर्वी चंपारण के मोतिहारी जिले से एक ऐसी ही तस्वीर सामने आई है, जो बिहार के विकास की सच्चाई को उजागर करती है।
सुगौली के माली पंचायत स्थित सिकरहना नदी के किनारे बसे दर्जनों गांवों के हजारों लोगों की ज़िंदगी चचरी पुल पर निर्भर है। यह पुल लोगों के लिए न सिर्फ एक रास्ता, बल्कि उनकी रोजमर्रा की जिंदगी की धारा है। हर दिन हजारों लोग इस पुल से गुजरते हैं, जान जोखिम में डालकर। हालांकि, यह पुल मठ समिति द्वारा बनाया गया था, ताकि आसपास के लोगों को सुविधा मिल सके, लेकिन इसके बदले उनसे भारी शुल्क भी लिया जाता है।
यह शुल्क मठ समिति के पास जाता है, जबकि पुल दर्जनों गांवों को मुख्यालय से जोड़ने का काम करता है। लेकिन बरसात के मौसम में नदी का जलस्तर बढ़ने पर यह पुल टूटकर गिर जाता है, जिससे लोग मुख्यालय तक पहुंचने के लिए लंबी और मुश्किल यात्रा करते हैं। इस रास्ते से मोटरसाइकिल, साइकिल और पैदल चलने वाले लोग रोजाना आते-जाते हैं।
पुल पार करते समय कभी-कभी लोग अपना संतुलन खोकर बाइक सहित नदी में गिर जाते हैं और गंभीर रूप से घायल हो जाते हैं। इस तरह की घटनाएं कई बार हो चुकी हैं। बरसात के दिनों में लोग रेलवे पुल का सहारा लेते हैं, लेकिन यह भी जानलेवा साबित हो सकता है। कई बार लोग ट्रेन की चपेट में भी आ चुके हैं। इस गंभीर समस्या पर प्रशासनिक स्तर पर कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं, और न ही कोई अधिकारी इस पर बोलने को तैयार है।