Bihar Teachers News :बिहार के सरकारी स्कूलों में शिक्षा विभाग के आंकड़ों के अनुसार राज्य में कुल 5 लाख 45 हजार 182 शिक्षक कार्यरत हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी सरकार की प्रमुख उपलब्धि के रूप में राज्य में सरकारी शिक्षकों की नियुक्ति को बताते हैं, लेकिन अब यही शिक्षक नीतीश सरकार और एनडीए के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकते हैं। हाल ही में तिरहुत स्नातक निर्वाचन क्षेत्र के उपचुनाव में जो परिणाम सामने आया, वह इस बात का संकेत है कि बिहार के शिक्षक संभवतः नीतीश सरकार से नाराज हैं।
दरअसल, तिरहुत स्नातक उपचुनाव में एक शिक्षक नेता ने ऐसा कमाल किया कि अब इसे नीतीश सरकार के खिलाफ शिक्षकों की नाराजगी से जोड़ा जा रहा है। बिहार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के रूप में केके पाठक ने जिस शिक्षक को बर्खास्त किया था, वही अब चुनाव में एमएलसी बनने के करीब हैं। वह शिक्षक नेता वंशीधर बृजवासी हैं, जिन्होंने इस उपचुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर 23003 वोट हासिल कर सभी प्रतिद्वंद्वियों को पीछे छोड़ दिया।
वंशीधर बृजवासी ने जन सुराज के डॉ. विनायक गौतम (12467 वोट) को काफी अंतर से हराया। वहीं, बिहार के दोनों प्रमुख सियासी दलों – राजद और जदयू – के उम्मीदवारों को हार का सामना करना पड़ा। राजद के गोपी किशन को 11600 वोट और जदयू के अभिषेक झा को 10316 वोट मिले।
इस चुनाव के परिणाम ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को झटका दिया है, क्योंकि वंशीधर बृजवासी ने शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव रहते हुए केके पाठक के खिलाफ लगातार संघर्ष किया था। 2024 में पाठक से विवाद के बाद बंशीधर बृजवासी को बर्खास्त कर दिया गया था, लेकिन उन्होंने फिर भी शिक्षकों के अधिकारों के लिए लड़ाई जारी रखी। बृजवासी मुजफ्फरपुर के मरवन प्रखंड के उ. मध्य वि. रक्सा पूर्वी में शिक्षक थे और उन्होंने 2005 में अपनी नौकरी शुरू की थी।
अब, जदयू की सिटिंग सीट से निर्दलीय बृजवासी का आगे बढ़ना शिक्षकों का व्यापक समर्थन दर्शाता है। शिक्षा विभाग के पिछले एक साल में ऐसे कई निर्णय हुए हैं, जो शिक्षकों के लिए परेशानी का कारण बने, और तिरहुत स्नातक उपचुनाव में शिक्षकों की नाराजगी खुलकर सामने आई है। यदि यही ट्रेंड विधानसभा चुनाव में जारी रहा, तो एनडीए को कई सीटों पर मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।
वंशीधर बृजवासी ने अपनी जीत के बाद कहा कि पहले इस क्षेत्र में आरामफरोश नेता जीतते थे, लेकिन अब तिरहुत की जनता ने एक संघर्षशील युवा को मौका दिया है। उन्होंने जदयू के पूर्व एमएलसी देवेश चंद्र ठाकुर पर भी हमला बोलते हुए कहा कि यह बदलाव बिहार की राजनीति में नया संकेत दे रहा है।