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विधानसभा चुनाव से पहलेअरविंद केजरीवाल की फिर बढ़ी मुसीबतें

दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ गई हैं। उत्पाद शुल्क नीति मामले में अब उन्हें प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच का सामना करना पड़ेगा। इस मामले में ईडी को अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति मिल गई है, जिससे उनके खिलाफ शिकंजा कसने का रास्ता साफ हो गया है।

दिल्ली में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, और आम आदमी पार्टी ने अपने उम्मीदवारों की सूची भी जारी कर दी है। इस राजनीतिक माहौल के बीच, उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने ईडी को केजरीवाल के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दी है। ईडी ने इस महीने की शुरुआत में उपराज्यपाल से यह अनुमति मांगी थी, जिसमें दावा किया गया था कि उत्पाद शुल्क नीति के निर्माण और कार्यान्वयन में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है। इस मामले में ईडी ने 17 मई को राउज एवेन्यू कोर्ट में अभियोजन शिकायत दर्ज की थी, जिस पर कोर्ट ने 9 जुलाई को संज्ञान लिया था।

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आम आदमी पार्टी ने इन आरोपों को राजनीतिक साजिश करार दिया है। पार्टी ने कहा कि तथाकथित शराब घोटाले की जांच दो वर्षों तक चली, जिसमें 500 लोगों से पूछताछ की गई, 250 से अधिक छापे मारे गए, और 50,000 पन्नों के दस्तावेज पेश किए गए, लेकिन एक भी पैसा बरामद नहीं हुआ। आप ने यह भी आरोप लगाया कि इस मामले में कई खामियां हैं, और भाजपा का असली मकसद आप और अरविंद केजरीवाल को राजनीतिक रूप से कमजोर करना है।

ईडी की शिकायत में आरोप लगाया गया है कि केजरीवाल ने “साउथ ग्रुप” के सदस्यों के साथ मिलकर 100 करोड़ रुपये की रिश्वत प्राप्त करने और शराब नीति के माध्यम से निजी संस्थाओं को अनुचित लाभ पहुंचाने की साजिश रची। शिकायत के अनुसार, उत्पाद शुल्क नीति 2021-22 के तहत “साउथ ग्रुप” को शराब की दुकानों में हिस्सेदारी सुनिश्चित की गई थी, जो नीति के उद्देश्यों के खिलाफ थी।

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ईडी ने यह भी आरोप लगाया कि अपराध से अर्जित 45 करोड़ रुपये का उपयोग गोवा चुनाव में आप के प्रचार के लिए किया गया था। एजेंसी के अनुसार, आप इस धन की प्रमुख लाभार्थी थी, और पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और अन्य वरिष्ठ नेताओं की जानकारी और सहमति से यह धन चुनाव प्रचार में खर्च किया गया।

अरविंद केजरीवाल और आप के खिलाफ इन आरोपों ने दिल्ली की राजनीति में हलचल मचा दी है। पार्टी ने इसे पूरी तरह से भाजपा की राजनीतिक रणनीति का हिस्सा बताया है, जबकि ईडी ने अपने दावों के समर्थन में जांच से संबंधित तथ्य और सबूत पेश करने का दावा किया है।

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